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योना की प्रार्थना
1 तब योना न बड़ी मच्छी को पेट म सी अपनो परमेश्वर यहोवा सी प्रार्थना कर क् कह्यो,
2 “मय संकट म पड़्यो हुयो परमेश्वर ख पुकारयो,
अऊर ओन मोरी सुन ली हय;
मय न मदत लायी अधोलोक को अन्दर सी पुकारयो,
अऊर तय न मोरी सुन ली।
3 तय न मोख गहरो
समुन्दर की गहरायी तक डाल दियो;
अऊर मय धारावों को बिचमच पड़्यो होतो,
तोरी भड़कायी हुयी सब तरंगें अऊर लहर मोरो ऊपर सी बह गयी।
4 तब मय न कह्यो, ‘मय तोरो आगु सी निकाल दियो गयो हय,
फिर भी मय तोरो पवित्र मन्दिर ख कसो देखूं?’
5 मय पानी सी यहां तक घिरयो हुयो होतो; की मोरो जीव निकल्यो जात होतो;
गहरो समुन्दर मोरो चारयी तरफ होतो,
अऊर मोरो मुंड म कायी लपट्यो हुयो होतो।
6 मय पहाड़ी की जड़ तक पहुंच गयो होतो;
मय हमेशा को लायी जमीन म बन्द भय गयो होतो;
फिर भी हे मोरो परमेश्वर यहोवा,
तय न मोरो जीव ख गड्डा म सी निकाल्यो हय।
7 जब मोरो जीवन खतम होन वालो होतो, तब मय न परमेश्वर ख याद करयो;
अऊर मोरी प्रार्थना तोरो जवर बल्की
तोरो पवित्र मन्दिर म पहुंच गयी।
8 जो लोग बेकार कि चिजों पर मन लगावय हय,
हि अपनो अनुग्रह करन वालो परमेश्वर ख छोड़ देवय हय।
9 पर मय धन्यवाद को गीत गाय क तोख बलिदान चढ़ाऊं;
जो मन्नत मय न मानी,
ओख पूरी करूं।
उद्धार परमेश्वर सीच होवय हय!”
10 तब परमेश्वर न बड़ी मच्छी ख आज्ञा दियो, अऊर ओन योना ख समुन्दर को किनार पर उगल दियो।