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आदमी न परमेश्वर की आज्ञा नहीं मानी
उन सब जंगली प्रानियों म जिन्ख प्रभु परमेश्वर न बनायो होतो, उन सब म सांप चालाक होतो। ओन बाई सी कह्यो, “का सचमुच परमेश्वर न कह्यो हय, तुम यो बगीचा को कोयी झाड़ को फर नहीं खावो?”
बाई न सांप ख उत्तर दियो, “हम यो बगीचा को झाड़ को फर खाय सकजे हंय;” पर परमेश्वर न हमरो सी कह्यो, “बगीचा को बीच म लग्यो हुयो झाड़ को फर मत खावो, अऊर नहीं ओख छूवो, नहीं त तुम मर जावो।”
तब सांप न बाई सी कह्यो, “यो सच नोहोय; तुम कभी नहीं मरो! बल्की परमेश्वर खुद जानय हय कि जो दिन तुम ओको फर खावो उच दिन तुम्हरी आंखी खुल जायेंन, अऊर तुम भलो बुरो को ज्ञान पा क परमेश्वर को जसो बन जावो।”
जब बाई न देख्यो कि झाड़ कितनो सुन्दर होतो अऊर ओको फर खानो म कितनो अच्छो होयेंन, अऊर ओन सोच्यो कि बुद्धिमान बनन लायी यो कितनो लायक होयेंन। येकोलायी ओन कुछ फर ले लियो अऊर खाय लियो अऊर अपनो पति ख भी दियो, अऊर ओन ओख भी खायो। तब उन दोयी की आंखी खुल गयी, अऊर उन्ख मालूम भयो कि हि नंगा हय; येकोलायी उन्न अंजीर को पत्ता ख एक संग सिल दियो अऊर खुद ख झाक लियो।
जब शाम ख उन्न प्रभु परमेश्वर ख बगीचा म घुमतो हुयो सुन्यो, तब आदमी अऊर ओकी पत्नी बगीचा को झाड़ को बीच म प्रभु परमेश्वर सी लूक गयो। पर प्रभु परमेश्वर न आदम ख पुकारयो, “तुम कित हय?”
10 ओन उत्तर दियो, “मय न तुम ख बगीचा म घुमतो हुयो सुन्यो; मय डर गयो, अऊर तोरो सी लूक गयो, कहालीकि मय नंगा होतो।”
11 प्रभु परमेश्वर न पुच्छ्यो, “कौन न तोरो सी कह्यो कि तय नंगा हय? का तय न ऊ झाड़ को फर खायो हय, जेक मय न खान लायी नहीं कह्यो होतो?”
12 आदम न उत्तर दियो, “जो बाई तुम न मोरो संग रहन लायी दियो हय, ओन ऊ झाड़ को फर मोख दियो, अऊर मय न खाय लियो।”
13 प्रभु परमेश्वर न बाई सी पुच्छ्यो, “यो तुम न असो कहाली करयो?”
बाई न उत्तर दियो, “सांप न मोख बहकाय दियो अऊर मय न फर खाय लियो।”
परमेश्वर को न्याय
14 तब प्रभु परमेश्वर न सांप सी कह्यो, “तुम न जो यो करयो हय येकोलायी तुम सब पालतु जनावरों अऊर सब जंगली जनावरों सी ज्यादा श्रापित हय; अब सी तुम पेट को बल चलजो, अऊर जब तक जीन्दो रहो तब तक तुम्ख धूल चाटनो पड़ेंन 15 अऊर मय तोरो अऊर बाई को बीच म, अऊर तोरो वंश अऊर येको वंश को बीच म घृना पैदा करूं; अऊर ओको वंश तुम्हरी मुंड ख कुचल देयेंन, अऊर तुम ओकी एड़ी ख डसो।”*
16 प्रभु परमेश्वर न बाई सी कह्यो, “मय तोरी पीड़ा अऊर तोरो गर्भवती होन को दु:ख ख बहुत बढ़ाऊं; अऊर तय पीड़ित होय क बच्चा पैदा करजो; अऊर तोरी इच्छाये तोरो पति को तरफ होयेंन, अऊर ऊ तोरो पर शासन करेंन।”
17 प्रभु परमेश्वर न आदम सी कह्यो, “तय न अपनी पत्नी की बात सुनी, अऊर ऊ झाड़ को फर खायो जेको बारे म मय न तोख आज्ञा दी होती कि तय ओको फर नहीं खाजो, ओख तय न खायो हय येकोलायी जमीन तोरो वजह श्रापित हय। तय ओकी फसल खान लायी तोख जीवन भर कठोर परिश्रम करनो पड़ेंन। 18 अऊर ऊ तोरो लायी काटा अऊर ऊंटकटारे उगायेंन, अऊर तोख जंगली पौधा ख खानो पड़ेंन। 19 अऊर अपनो मस्तक को पसीना की रोटी खायो करजो, अऊर आखरी म माटी म मिल जाजो कहालीकि तय ओकोच म सी निकाल्यो गयो हय; तय माटी त आय अऊर माटी मच फिर मिल जाजो।”
20 आदम न अपनी पत्नी को नाम हवा रख्यो; कहालीकि वा पूरो आदमियों की माय बनी। 21 अऊर प्रभु परमेश्वर न आदम अऊर ओकी पत्नी लायी जनावरों की खाल सी कपड़ा बनायो, अऊर ओन ओख कपड़ा पहिनायो।
आदम अऊर हवा ख बगीचा सी निकाल्यो जानो
22 तब प्रभु परमेश्वर न कह्यो, “अब हि आदमी भलो अऊर बुरो ख जान क हम म सी एक को जसो भय गयो हंय, अब कहीं असो नहीं होय कि ऊ हाथ बढ़ाय क जीवन को झाड़ को फर तोड़ ले, अऊर ओख खाय क अमर होय जाये।” 23 येकोलायी प्रभु परमेश्वर न आदमी ख अदन को बगीचा म सी निकाल दियो कि ऊ वा जमीन पर खेती करे, जेको म सी आदमी ख बनायो गयो होतो। 24 ओन आदम ख निकाल दियो, ओन जीवन को झाड़ को तरफ जान वालो रस्ता की देखभाल करन लायी अदन को बगीचा की पूर्व दिशा म करूबों§ अऊर जीन्दो प्रानियों अऊर एक धधकती तलवार ख नियुक्त करयो।
3:1 प्रकाशितवाक्य 12:9; 20:2 3:5 यहेजकेल 28:2 * 3:15 प्रकाशितवाक्य 12:17 3:18 इब्रानियों 6:8 3:22 प्रकाशितवाक्य 22:14 § 3:24 पंख वालो स्वर्गदूत 3:24 यहेजकेल 28:16