26
परमेश्वर को उपस्थिति को तम्बू
(निर्गमन ३६:८-३८)
1 परमेश्वर न मूसा सी कह्यो, फिर निवास जागा लायी दस परदा बनायजो; इन्को पतलो धागा को बिन्यो हुयो नीलो, जामुनी अऊर लाल रंग को कपड़ा को बुन्यो हुयो करूबों को चित्र संग बनायजो।
2 हर एक परदा की लम्बायी अट्ठावीस फीट अऊर चौड़ायी चार फीट की हो, सब परदा एकच नाप को हो।
3 पाच परदा एक दूसरो सी जोड़्यो हुयो हो; अऊर फिर जो पाच परदा रहेंन हि भी एक दूसरो सी जुड़्यो हुयो हो।
4 अऊर जित या दोयी परदा जोड़्यो जाये उत को दोयी कोना पर नीलो नीलो फन्दा लगायजो।
5 दोयी कोना म पचास पचास फन्दा असो लगवायजो कि हि आमने-सामने हो।
6 अऊर सोनो को पचास गोल कड़ी बनायजो; अऊर जोड़्यो हुयो परदा ख इन कड़ी सी जोड़ देजो जेकोसी पूरो निवास जागा एक बन जाये।
7 “फिर निवास को ऊपर तम्बू लायी बकरा को बाल को ग्यारा परदा बनवाजो।
8 हर एक परदा की लम्बायी तीस हाथ अऊर चौड़ायी चार हाथ हो, असो ग्यारा परदा एकच नाप को हो।
9 अऊर पाच परदा को एक जोड़ अऊर फिर छय परदा को दूसरो जोड़ अलग जोड़जो, अऊर छठवो परदा ख तम्बू को आगु मोड़ क डबल कर क् लटकाय देजो।
10 अऊर तय पचास कड़ी उच परदा को कोना म अऊर पचास कड़ी दूसरी तरफ को परदा को कोना म जो बाहेर सी मिलाय क बनवायजो।
11 अऊर पीतल को पचास कड़ा बनाजो, अऊर कड़ा ख फन्दा म लगाय क तम्बू ख असो जोड़जो कि ऊ मिल क एक होय जाये।
12 अऊर तम्बू को परदा को लटक्यो हुयो हिस्सा, यानेकि जो अरधो बच्यो रहेंन, ऊ निवास-जागा की पिछली तरफ लटक्यो रहेंन।
13 अऊर तम्बू को परदा की लम्बायी म सी हाथ भर इत, अऊर हाथ भर उत निवास-जागा को ढकन लायी ओको दोयी तरफ लटक्यो हुयो रहो।
14 फिर तम्बू लायी लाल रंग सी रंगी हुयो मेंढी की खाल को एक ओढ़नो अऊर ओको ऊपर सुइसों की खाल को भी एक ओढ़नो बनायजो।”
15 “फिर निवास-जागा ख खड़ो करन लायी बबूल की लकड़ी को चौखट बनायजो।
16 हर एक तक्ता की लम्बायी दस हाथ अऊर चौड़ायी देढ़ हाथ की हो।
17 हर एक तक्ता म एक दूसरो सी जोड़ी हुयी दोय दोय खाचा हो; निवास-जागा को सब तक्ता ख येको भाति सी बनवायजो।
18 निवास-जागा लायी जो तक्ता तय बनवायजो उन्म सी बीस तक्ता त दक्षिन की तरफ लायी हो;
19 अऊर बीस तक्तां को नीचो चांदी की चालीस आधार-तक्ता बनाजो, मतलब एक एक तक्तां को नीचो ओको खाचा लायी दोय दोय आधार-तक्ता बनवाजो।
20 निवास को दूसरी तरफ, मतलब उत्तर की तरफ लायी बीस तक्तां बनवायजो;
21 अऊर उन्को लायी चांदी की चालीस आधार-तक्ता बनवायजो, मतलब एक एक तक्तां को नीचो दोय दोय हो।”
22 निवास को पीछू तरफ, मतलब पश्चिम की तरफ लायी छय तक्तां बनवायजो।
23 अऊर पिछलो हिस्सा म निवास को कोना लायी दोय तक्तां बनवायजो;
24 अऊर या नीचो सी दोय दोय हिस्सा को हो, अऊर दोयी हिस्सा ऊपर को कोना तक एक एक कड़ा म मिलाये जाये; दोयी तक्तां को योच रूप हो; या दोयी कोनो लायी आय।
25 अऊर आठ तक्ता हो, अऊर उन्की चांदी की आधार-तक्ता हो, मतलब एक एक तक्ता को नीचो दोय दोय हो।
26 “तब बबूल की लकड़ी को डन्डा बनायजो, मतलब निवास को एक तरफ को तक्तां लायी पाच,
27 अऊर निवास को दूसरी तरफ को तक्तां लायी पाच डन्डा अऊर निवास को जो भाग पश्चिम की तरफ पीछू भाग म होयेंन, ओको लायी पाच बेंड़े बनायजो।”
28 बीच वालो डन्डा जो तक्तां को बीच म होयेंन ऊ तम्बू को एक कोना सी दूसरो कोना तक जायेंन।
29 तक्तां ख सोनो सी मढ़वाजो, अऊर उन्को कड़ां जो डन्डा को सहारा को काम देयेंन उन्ख भी सोनो सी बनवाजो, अऊर बेंड़ा ख भी सोनो सी मढ़वायजो।
30 अऊर निवास की जागा ख असो रीति सी खड़ो करजो जसो पहाड़ी पर तोख दिखायो गयो हय।
31 “तब नीलो, जामुनी अऊर लाल रंग को पतलो धागा सी बुन्यो हुयो कपड़ा को एक बीच वालो परदा बनायजो; ओको पर करूबों को चित्र बुन क बनायजो।”
32 अऊर ओख सोनो सी मढ़यो हुयो बबूल को चार खम्बां पर लटकायजो, इन्की खूटी सोनो की हो, अऊर या चांदी की चार आधार-तक्ता पर लगी हुयो, सोनो को छल्ला म फस्यो होन ख होना।
33 अऊर बीच वालो परदा ख खूटी को नीचो लटकाय क, ओकी आड़ म साक्षी पत्र को सन्दूक अन्दर ले जानो, यो तरह ऊ बीच वालो परदा तुम्हरो लायी पवित्र जागा ख परम पवित्र जागा सी अलग करयो रहेंन।
34 फिर परम पवित्र जागा म गवाही चिट्ठी को सन्दूक को ऊपर पश्चाताप को ढक्कन ख रखजो।
35 अऊर ऊ परदा को बाहेर निवास को उत्तर को तरफ मेज रखजो; अऊर ओको दक्षिन तरफ मेज को आगु दीवट ख रखजो।
36 फिर तम्बू को द्वार लायी नीलो, जामुनी अऊर लाल रंग को अऊर पतलो धागा सी बुन्यो हुयो एक परदा बनवायजो।
37 अऊर यो परदा लायी बबूल को पाच खम्बा बनायजो, अऊर उन्ख सोनो सी मढ़वाना; उन्को कड़ां सोनो की हो, अऊर उन्को लायी पीतल की पाच तक्ता ढलवाय क बनायजो।