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मन्दिर सी बहतो हुयो सोता
फिर ऊ मोख भवन को दरवाजा पर लौटाय ले गयो; अऊर भवन की डेहरी को खल्लो सी एक सोता निकल क पूर्व को तरफ बह रह्यी होती। भवन को दरवाजा त पूर्वमुखी होतो, अऊर सोता भवन को दायो तरफ अऊर वेदी की दक्षिन तरफ खल्लो सी निकलत होतो। तब ऊ मोख उत्तर की फाटक सी होय क बाहेर ले गयो, अऊर बाहेर बाहेर सी घुमाय क बाहरी मतलब पूर्वमुखी फाटक को जवर पहुंचाय दियो, अऊर दक्षिन को तरफ सी पानी टपक क बह रह्यो होतो। जब ऊ आदमी हाथ म नापन की दोरी लियो हुयो पूर्व को तरफ निकल्यो, तब ओन भवन सी ले क, हजार हाथ तक ऊ सोता ख नाप्यो, अऊर मोख पानी म सी चलायो, अऊर पानी येड़ी तक होतो। ओन फिर हजार हाथ नाप क मोख पानी म सी चलायो, अऊर पानी घुटना तक होतो। फिर अऊर हजार हाथ नाप क मोख पानी म सी चलायो, अऊर पानी कमर तक होतो। तब फिर ओन एक हजार हाथ नाप्यो, अऊर असी नदी बन गयी जेको ओनपार मय नहीं जाय सक्यो, कहालीकि पानी बढ़ क तैरन को लायक होतो; मतलब असी नदी होती जेको ओनपार कोयी नहीं जाय सकत होतो। तब ओन मोरो सी पुच्छ्यो, “हे आदमी की सन्तान,”
का तय न यो देख्यो हय? फिर ओन मोख नदी को किनार-किनार लौटाय क पहुंचाय दियो। लौट क मय न का देख्यो, कि नदी को दोयी किनार पर बहुत सो झाड़ हय। तब ओन मोरो सी कह्यो, “यो सोता पूर्व देश को तरफ बह रह्यो हय, अऊर अराबा म उतर क तलाव को तरफ बहेंन; अऊर यो भवन सी निकलतो हुयो सीधो तलाव म मिल जायेंन; अऊर ओको पानी मीठो होय जायेंन। जहां जहां या नदी बहेंन, वहां वहां सब तरह को बहुत अन्डा देन वालो जीवजन्तु जीयेंन अऊर मच्छियां भी बहुत होय जायेंन; कहालीकि यो सोता को पानी वहां पहुंच्यो हय, अऊर तलाव को पानी मीठो होय जायेंन; अऊर जहां कहीं या नदी पहुंचेंन वहां सब जन्तु जीयेंन। 10 तलाव को किनार पर मछवारा खड़ो रहेंन, अऊर एनगदी सी ले क ऐनेग्लैम तक वहां जार फैलायो जायेंन, अऊर उन्ख महासागर की जसी अलग अलग की अनगिनत मच्छियां मिलेंन। 11 पर तलाव को जवर जो दलदल अऊर गड्डा हय, उन्को पानी मीठो नहीं होयेंन; हि खारोच रहेंन। 12 नदी को दोयी किनार पर अलग अलग को खान को लायक फलदायक झाड़ उगेंन, जिन्को पत्ता नहीं मुर्झायेंन अऊर उन्को फरनो भी कभी बन्द नहीं होयेंन, कहालीकि नदी को पानी पवित्र जागा सी निकल्यो हय। उन म महीना महीना नयो नयो फर लगेंन। उन्को फर त खान को, अऊर पत्ता दवायी को काम आयेंन।”
देश की सीमायें
13 परमेश्वर यहोवा यो कह्य हय, “जो सीमा को अन्दर तुम्ख यो इस्राएल देश अपनो बारा कुलों को अनुसार बांटनो पड़ेंन, ऊ यो आय : यूसुफ ख दोय हिस्सा मिल्यो। 14 ओख तुम एक दूसरो को जसो निजी हिस्सा म पावों, कहालीकि मय न कसम खायी कि ओख तुम्हरो पूर्वजों ख देऊं, येकोलायी यो देश तुम्हरो निजी हिस्सा ठहरेंन।”
15 “देश की सीमा या हो : मतलब उत्तर को तरफ की सीमा महासागर सी हेतलोन नगर को जवर सी सदाद की घाटी तक पहुंचे, 16 अऊर वा सीमा को जवर हमात बेरोता, अऊर सिब्रैम जो दमिश्क अऊर हमात की सीमावों को बीच म हय, अऊर हसर्हत्तीकोन तक, जो हौरान नगर की सीमा पर हय। 17 या सीमा समुन्दर सी ले क दमिश्क की सीमा को जवर को हसरेनोत नगर तक पहुंचे, अऊर ओको उत्तर को तरफ हमात की सीमा हो। उत्तर की सीमा याच होय।
18 “पूर्वी सीमा जेको एक तरफ हौरान अऊर दमिश्क; अऊर यरदन को तरफ गिलाद अऊर इस्राएल को देश हो; उत्तर की सीमा सी ले क पूर्वी तलाव तक ओख नापजो। पूर्वी सीमा त याच हो।”
19 “दक्षिन की सीमा तामार सी ले क कादेश नगर को मरीबोत नाम को सोता तक मतलब मिस्र को नाला तक, अऊर महासागर तक पहुंचे। दक्षिन की सीमा याच हो।”
20 “पश्चिमी सीमा दक्षिनी सीमा सी ले क हमात की घाटी को सामने तक को महासागर हो। पश्चिमी सीमा याच हो।”
21 “यो तरह देश ख इस्राएल को कुलों को अनुसार आपस म बांट लेजो। 22 येख आपस म अऊर उन परदेशियों को संग बांट लेजो, जो तुम्हरो बीच रहतो हुयो बालकों ख जनम दे। हि तुम्हरी नजर म देशी इस्राएलियों को जसो ठहरे, अऊर तुम्हरो कुलों को बीच अपनो अपनो हिस्सा पाये। 23 जो परदेशी जो कुल को देश म रहत होना, ओख वहांच हिस्सा देवो, परमेश्वर यहोवा की या वानी हय।”
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