भविष्यद्वक्ता यहेजकेल की पुस्तक
भविष्यवक्ता यहेजकेल की किताब
परिचय
यहेजकेल की किताब इस्राएल को विनाश अऊर ओकी फिर सी स्थापना को बारे म भविष्यवानी की एक किताब आय। भविष्यवक्ता यहेजकेल को बारे म जो कुछ जान्यो जावय हय वा किताब सीच आवय हय। ओकी भविष्यवानी की सेवकायी कुल २२ साल तक चली, ७ ई. पहले ५८६ म यरूशलेम को विनाश सी पहले अऊर १५ साल को बाद। अपनो दर्शन को जवाब म, यहेजकेल ख कयी चिजों ख करन की जरूरत होती जो इस्राएल को संग घटित होयेंन। एक उदाहरन५ म पायो जावय हय जहां ओख अपनी दाढ़ी काटन अऊर बाल ख तीन हिस्सावों म५:१ म अलग करन लायी कह्यो गयो होतो, जेको म दिखायो गयो होतो कि यरूशलेम को का होयेंन।
यहेजकेल की किताब तीन मुख्य हिस्सावों म बाट्यो हय; इस्राएल को न्याय, आजु-बाजू को राज्यों को न्याय, अऊर इस्राएल की फिर सी स्थापना। इन सब खन्डो म एक प्रमुख विषय यो हय कि कसो चिजे हम्ख परमेश्वर ख जानन लायी प्रेरित करेंन। यहेजकेल न ६० सी जादा बार यो वाक्यांश ख लिख्यो, “तब हि समझेंन की मय परमेश्वर आय। चाहे परमेश्वर न्याय कर रह्यो होना यां फिर सी स्थापना कर रह्यो होना, हम ओको बारे म अऊर ऊ हम सी का चाहवय हय, सिख सकजे हय।”
रूप-रेखा
१. इस्राएल पर परमेश्वर को न्याय को वर्णन हय। १–२४
२. परमेश्वर आजु-बाजू को राज्यों को न्याय करय हय। २५–३२
३. यहेजकेल इस्राएल की फिर सी स्थापना को बारे म भविष्यवानी करय हय,३३–४८
1
परमेश्वर को बारे म यहेजकेल को पहिलो दर्शन
(१:१; ७:२७)
1 कहालीकि तीसवों साल को चौथो महीना को पाचवों दिन, मय बन्दियों को बीच कबार नदी को किनार पर होतो, तब स्वर्ग खुल गयो, अऊर मय न परमेश्वर को दर्शन पायो।
2 यहोयाकीन राजा की बन्धुवायी को पाचवों साल को चौथो महीना को पाचवों दिन ख, कसदियों को देश म कबार नदी को किनार पर,
3 परमेश्वर को वचन बूजी को टुरा यहेजकेल याजक को जवर पहुंच्यो; अऊर परमेश्वर की सामर्थ ओको पर वहांच प्रगट भयी।
4 जब मय देखन लग्यो, त का देखू हय कि उत्तर दिशा सी बड़ो बादर, अऊर लहराती हुयी आगी सहित बड़ी आन्धी आय रह्यी हय, अऊर घटा को चारयी तरफ प्रकाश अऊर आगी को बीचों-बीच सी चमकतो हुयो पीतल को जसो कुछ दिखायी देवय हय।
5 अऊर ओको बीच सी चार जीवधारी प्रानियों को जसो कुछ दिखायी दे रह्यो होतो। उन्को रूप आदमियों को जसो होतो,
6 पर उन्म सी हर एक को चार चार मुख अऊर चार चार पंख होतो।
7 उन्को पाय सीधो होतो, अऊर उन्को पाय को तलवा बछड़ा को खुरी को जसो होतो; अऊर हि चमकायो हुयो पीतल को जसो चमकत होतो।
8 उन्को चारयी तरफ पंखा को खल्लो आदमी को जसो हाथ होतो। उन चारयी को मुख अऊर पंख यो तरह होतो :
9 उन्को पंख एक दूसरो सी परस्पर जुड़्यो हुयो होतो; हि अपनो अपनो सामने सीधोच चलत होतो हि मुड़त नहीं होतो।
10 उन्को सामने को मुख को रूप आदमी को जसो होतो अऊर उन चारयी को दायो तरफ को मुख सिंह को जसो, अऊर बायो तरफ को मुख बईल को जसो होतो, अऊर चारयी को पीछु को मुख उकाब पक्षी को जसो होतो।
11 उन्को चेहरा असोच होतो। उन्को मुख अऊर पंख ऊपर को तरफ अलग अलग होतो, हर एक जीवधारी को दोय दोय पंख होतो, जो एक दूसरो को पंख मिल्यो हुयो होतो, अऊर दोय दोय पंखों सी उन्को शरीर ढक्यो हुयो होतो।
12 हि सीधो अपनो अपनो सामनेच चलत होतो; जित आत्मा जानो चाहत होती, हि उतच जात होतो, अऊर चलतो समय मुड़त नहीं होतो।
13 जीवधारियों को रूप आगी अऊर जलती हुयी मशालों को समान दिखायी देत होतो, अऊर वा आगी जीवधारियों को बीच इत उत चलती फिरती हुयी बड़ो प्रकाश देत रह्यी; अऊर वा आगी सी बिजली निकलत होती।
14 जीवधारियों को चलनो फिरनो बिजली को जसो होतो।
15 जब मय जीवधारियों ख देखतोच रह्यो होतो, त का देख्यो कि जमीन पर उन्को जवर चारयी मुखों की गिनती को अनुसार, एक एक पहिया होतो।
16 उन पहियों कि चमक अऊर बनावट स्वर्णमनि जसी होती, अऊर चारयी को एकच रूप होतो; अऊर उन्को रूप अऊर बनावट असी होती जसो एक पहिया को बीच दूसरो पहिया होना।
17 चलतो समय हि अपनो चारयी तरफ चल सकत होतो, अऊर चलन म मुड़त नहीं होतो।
18 उन चारयी को घेरा बहुत बड़ो अऊर डरावनो होतो, अऊर उन्को घेरावों म चारयी तरफ आंखीच आंखी होती।
19 जब जीवधारी चलत होतो, तब पहिया भी उन्को संग चलत होतो; अऊर जब जीवधारी जमीन पर सी उठत होतो, तब पहिया भी उठत होतो।
20 जित आत्मा जानो चाहत होती, उतच हि जात होतो, अऊर पहिया जीवधारियों को संग उठत होतो; कहालीकि उन्की आत्मा पहिया म होती।
21 जब हि चलत होतो तब हि भी चलत होतो; अऊर जब जब हि खड़ो होत होतो तब हि भी खड़ो होत होतो, अऊर जब हि जमीन पर सी उठत होतो तब पहिया भी उन्को संग उठत होतो; कहालीकि जीवधारियों की आत्मा पहियों म होती।
22 जीवधारियों को मुंड को ऊपर आकाश मण्डल को जसो कुछ होतो जो बरफ को समान भयानक रीति सी चमकत होतो, अऊर ऊ उन्को मुंड को ऊपर फैल्यो हुयो होतो।
23 आकाश मण्डल को खल्लो, उन्को पंख एक दूसरो को तरफ सीधो फैल्यो हुयो होतो; अऊर हर एक जीवधारी को दोय दोय अऊर भी पंख होतो जिन्कोसी उन्को शरीर झक्यो हुयो होतो।
24 उन्को चलतो समय उन्को पंखा की फड़फड़ाहट की आवाज मोख बहुत सो पानी, यां सर्वशक्तिमान की वाणी, यां सेना की हलचल की आवाज सुनायी पड़त होती; अऊर जब हि खड़ो होत होतो, तब अपनो पंख लटकाय देत होतो।
25 फिर उन्को मुंडो को ऊपर जो आकाश मण्डल होतो, ओको ऊपर सी एक आवाज सुनायी पड़त होतो; अऊर जब हि खड़ो होत होतो, तब अपनो पंख खल्लो कर देत होतो।
26 जो आकाश मण्डल उन्को मुंडो को ऊपर होतो, ओको ऊपर मानो कुछ नीलम गोटा को बन्यो हुयो सिंहासन को ऊपर आदमी को समान कोयी दिखायी देत होतो।
27 ओकी कमर सी ले क ऊपर को तरफ मोख मानो चमकायो हुयो पीतल जसो दिखायी पड़्यो, अऊर ओको अन्दर अऊर चारयी तरफ आगी जसी दिखायी पड़त होती; पर ऊ आदमी की कमर सी ले क खल्लो को तरफ भी मोख कुछ आगी जसी दिखायी पड़त होती; अऊर ओको चारयी तरफ प्रकाश होतो।
28 जसो बारीश को दिन बादर म धनुष दिखायी पड़य हय, वसोच चारयी तरफ को प्रकाश दिखायी देत होतो। परमेश्वर की सामर्थ असीच होती। ओख देख क, मय मुंह को बल गिरयो, तब मय न एक शब्द सुन्यो जसो कोयी बाते करय हय।