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बेदीन की हमाक़त
दाऊद का ज़बूर। मौसीक़ी के राहनुमा के लिए।
अहमक़ दिल में कहता है, “अल्लाह है ही नहीं!” ऐसे लोग बदचलन हैं, उनकी हरकतें क़ाबिले-घिन हैं। एक भी नहीं है जो अच्छा काम करे।
रब ने आसमान से इनसान पर नज़र डाली ताकि देखे कि क्या कोई समझदार है? क्या कोई अल्लाह का तालिब है?
अफ़सोस, सब सहीह राह से भटक गए, सबके सब बिगड़ गए हैं। कोई नहीं जो भलाई करता हो, एक भी नहीं।
 
क्या जो बदी करके मेरी क़ौम को रोटी की तरह खा लेते हैं उनमें से एक को भी समझ नहीं आती? वह तो रब को पुकारते ही नहीं।
 
तब उन पर सख़्त दहशत छा गई, क्योंकि अल्लाह रास्तबाज़ की नसल के साथ है।
तुम नाचार के मनसूबों को ख़ाक में मिलाना चाहते हो, लेकिन रब ख़ुद उस की पनाहगाह है।
 
काश कोहे-सिय्यून से इसराईल की नजात निकले! जब रब अपनी क़ौम को बहाल करेगा तो याक़ूब ख़ुशी के नारे लगाएगा, इसराईल बाग़ बाग़ होगा।