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मदद के लिए दुआ
दाऊद का ज़बूर। मौसीक़ी के राहनुमा के लिए।
ऐ रब, कब तक? क्या तू मुझे अबद तक भूला रहेगा? तू कब तक अपना चेहरा मुझसे छुपाए रखेगा?
मेरी जान कब तक परेशानियों में मुब्तला रहे, मेरा दिल कब तक रोज़ बरोज़ दुख उठाता रहे? मेरा दुश्मन कब तक मुझ पर ग़ालिब रहेगा?
 
ऐ रब मेरे ख़ुदा, मुझ पर नज़र डालकर मेरी सुन! मेरी आँखों को रौशन कर, वरना मैं मौत की नींद सो जाऊँगा।
तब मेरा दुश्मन कहेगा, “मैं उस पर ग़ालिब आ गया हूँ!” और मेरे मुख़ालिफ़ शादियाना बजाएंगे कि मैं हिल गया हूँ।
 
लेकिन मैं तेरी शफ़क़त पर भरोसा रखता हूँ, मेरा दिल तेरी नजात देखकर ख़ुशी मनाएगा।
मैं रब की तमजीद में गीत गाऊँगा, क्योंकि उसने मुझ पर एहसान किया है।