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बदली भइ जिंदगी
मसीह सरीर के रूप मैं दुख उठाई, तभईये तुमकै भी अपने कै बहे सोच के संग मजबूत करने होगो जो बाके पास रहै; काहैकि जो कोई सरीर के रूप मैं दुख उठाथै, बौ पाप के संग सामिल नाय है। तौ से, तौले, तुमकै अपनी बची भइ सांसारिक जिंदगी कै परमेस्वर की इच्छा से सादनो चाहिए, नाय की इंसानी इच्छन के जरिया। तुम अतीत मैं बौ काम कै करन मैं काफी समय बिताए हौ जोकै गैर यहूदि करनो पसंद करथैं। तुमरी जिंदगी अभद्रता, वासना, मद्‌यपान, तांडव, पीन की दावत और मूर्तियन की घिनौनी पूजा मैं बीतो। अनैतिकता और वासना, उनकी दावत और नसा और जंगली दावत, और उनकी मूर्तियन की छिया पूजा मैं समय बिताथैं। और अब गैर यहूदि अचम्मो करथैं जब तुम उनकै एकै जंगली और लापरवाह जिंदगी मैं सामिल नाय करथौ, और तभईये बे तुमरी बुराई करथैं। लेकिन उनकै खुदकै परमेस्वर कै लेखा-जोखा देने होगो, जो जिंदे और मरे लोगन को न्याय करन के ताहीं तैयार है। काहैकि मरे भैन कै भी सुसमाचार इसलै सुनाओ गौ, कि सरीर मैं तौ इंसानन के हानी उनको फैसला भौ, पर आत्मा मैं बे परमेस्वर के हानी जिंदे रहमैं।
परमेस्वर के वरदान के अच्छे बंदोबस्त करन बारे
सब चीजन को अंत झोने है। प्रार्थना करन मैं माहिर होन के ताहीं तुमकै खुदकै सादने और चौकन्नो होनो चाहिए। सब कुछ से ऊपर, एक दुसरे कै पूरे दिल से प्रेम करौ, काहैकि प्रेम तमान पापन कै ढोंक देथै। बिना हिचकिचाय हितुअन को आदर करौ। 10 हर एक कै, परमेस्वर के कई तरहन के उपहारन के एक अच्छे प्रबंधक के रूप मैं, दुसरेन ऊपर दया के ताहीं बौ खास उपहार को इस्तमाल सेवा मैं करनो चाहिए जो बौ परमेस्वर से पाई है। 11 जो उपदेस देथैं उनकै परमेस्वर के संदेसन को प्रचार करनो चाहिए; जो लोग सेवा करथैं, उनकै बौ सक्ति के संग सेवा करनो चाहिए जो परमेस्वर उनकै देथै, ताकी सब चीजन मैं ईसु मसीह के जरिया से परमेस्वर की बड़ाँईं करी जाए सकै, जिनके ताहीं महिमा और सक्ति हमेसा और हमेसा के ताहीं होबै। आमीन।
इसाई के रूप मैं दुख सहनो
12 मेरे प्रिय दोस्तौ, तुम जो दर्दनाक परिक्छा मैं दुख सह रै हौ, बामै अचम्मो मत करौ, जैसी कि तुमरे संग कुछ असामान्य होत रहै। 13 खुस होबौ कि तुम मसीह के दुखन मैं भागीदार हुई रै हौ, जब बाकी महिमा दिखाई देगी तौ तुम खुसी से भरे रैहबौ। 14 अगर मसीह के नाओं के अनुयायी होन के बजह से तुमरो अपमान होबै तौ तुम धन्य हौ; जाको मतलब है कि महिमामय आत्मा, परमेस्वर की आत्मा, तुमरे ऊपर आराम कर रइ है। 15 अगर तुम दुखी हौ, तौ जौ नाय होनो चाहिए तुम हत्यारे या चुट्टा या अपराधी या दुसरे लोगन के मामलेन मैं पड़े हौ। 16 पर अगर विस्वासी होन के वजह से दुख मिलै, तौ लज्जित मत होबौ, पर जौ बात के ताहीं परमेस्वर की महिमा करौ।
17 अगर परमेस्वर हमरे संग अपनो फैसला सुरू करथै, तौ जौ निसचित रूप से बे लोगन के ताहीं कहीं जाधे कठिन होगो जो परमेस्वर से आनबारी सुसमाचार के ऊपर बिस्वास ना करथैं। 18 जैसो कि सास्त्र कहथै,
“धर्मी लोगन कै बचनो मुस्किल है;
तौ जो अधर्मी और पापी हैं उनको का होगो?”
19 तभईये, जो लोग दुख सहथैं जौ उनके ताहीं परमेस्वर की इच्छा है, उनके अच्छे कामन से उनकै अपने बनान बारे ऊपर पूरे मन से बिस्वास करनो चाहिए, जो हमेसा अपनो वादा पूरो करथै।