उत्पत्ति की किताब
उत्पत्ति की किताब
परिचय
उत्पत्ति शब्द को अर्थ हय “सुरूवात” अऊर यो बाइबल को पुरानो नियम की पहली किताब आय। मूल हिब्रू भी “सुरूवात म” शब्द सी शुरू होवय हय। यो दिखावय हय कि सब कुछ कहां सी आयो अऊर विशेष रूप सी मनुष्यों को संग परमेश्वर को व्यवहार कसो शुरू भयो। अज ज्ञानी लोगों को जवर ऊ व्यक्ति यां व्यक्तियों को बारे म कयी सिद्धान्त हय कि येख ५-६ वी शताब्दी ईसा पहले को पुरानो दस्तावेजों सी तुलना करयो गयो होना। बेबीलोन म दूसरो लोग यो पारंपारिक मान्यता ख स्विकार करय हंय कि मूसा न लगभग १३०० यां १४०० साल ईसा पहले उत्पत्ति, संग म निर्गमन, लैव्यव्यवस्था, गिनती अऊर व्यवस्थाविवरण लिख्यो होतो।
उत्पत्ति म बहुत महत्वपूर्न जानकारी हय जो मसीही लोगों ख बाइबल को बाकी हिस्सा, पुरानो अऊर नयो नियम दोयी ख समझन म मदत करय हय। यो हम्ख दिखावय हय कि पाप न संसार म कसो सिरयो अऊर लोगों ख एक उद्धारकर्ता की जरूरत हय। यो लोगों ख बचावन की परमेश्वर की योजना ख भी प्रगट करय हय। येख यीशु को बारे म पहिली भविष्यवानी उत्पत्ति ३:१५ अऊर अब्राहम सी धरती पर सब राज्यों ख आशीर्वाद देन को परमेश्वर को वादा उत्पत्ति १२:३सी देख्यो जाय सकय हय।
रूप-रेखा
१. परमेश्वर न संसार अऊर आदम अऊर हवा की रचना करी। १–२
२. आदम अऊर हवा, उन्को पाप अऊर उन्को वंशजों को वर्णन हय। ३–५
३. नूह अऊर महान बाढ़ को बारे म बतायो हय। ६–९
४. नूह को समय अऊर अब्राहम को समय को बीच का भयो, जेको म बेबीलोन की मीनार भी शामिल हय। १०–११
५. अब्राहम, ओको परिवार अऊर इस्राएल राज्य की सुरूवात को बारे म हंय। १२–५०
६. अब्राहम अऊर ओकी पत्नि सारा को जीवन अध्याय १२ सी २५ म शामिल हय।
७. इसहाक अऊर ओकी पत्नि रिबका को जीवन अध्याय २१ सी २८ म वर्णन हय, अऊर ओकी मृत्यु को वर्णन अध्याय ३५ म करयो गयो हय।
८. याकूब, ओको टुरावों को जीवन अऊर कनान सी मिस्र देश तक उन्को स्थानांतरन अध्याय २५ सी ५० म शामिल हय।
९. अध्याय ३७ सी ५० याकूब को पसंद को टुरा यूसुफ को जीवन पर आधारित हय अऊर ऊ मिस्र देश को कसो शासक बन्यो।
1
जगत को वर्नन
1 सुरूवात म परमेश्वर न स्वर्ग अऊर धरती ख बनायो।
2 अऊर धरती बिना आकार कि होती, अऊर धरती पर कुछ भी नहीं होतो, अऊर गहरो पानी को ऊपर अन्धियारो होतो; अऊर परमेश्वर की आत्मा पानी को ऊपर मण्डरावत होतो।
3 जब परमेश्वर न आज्ञा दियो, “उजाड़ो हो” अऊर उजाड़ो भय गयो।
4 अऊर परमेश्वर न उजाड़ो ख देख्यो, अऊर ऊ जान गयो कि यो अच्छो हय। तब परमेश्वर न उजाड़ो ख अन्धारो सी अलग कर दियो।
5 तब परमेश्वर न उजाड़ो को नाम “दिन” अऊर अन्धारो को नाम “रात” रख्यो। तब शाम भयी अऊर तब सुबेरे भयी। तब यो पहिलो दिन भय गयो।
6 तब परमेश्वर न कह्यो, “पानी को बीच एक असो अन्तर हो कि पानी दोय भाग होय जाये।”
7 तब परमेश्वर न एक अन्तर कर क् ओको खल्लो को पानी अऊर ओको ऊपर को पानी ख अलग अलग करयो; अऊर वसोच भय गयो।
8 अऊर परमेश्वर न ऊ अन्तर ख “आसमान” कह्यो। फिर शाम भयी तब सुबेरे भयी। यो तरह दूसरों दिन भय गयो।
9 तब परमेश्वर न आज्ञा दियो, “आसमान को खल्लो को पानी एक जागा म जमा हो जाये अऊर सूखी जमीन दिखायी दे” अऊर वसोच भय गयो।
10 परमेश्वर न सूखी जमीन को नाम “धरती” रख्यो अऊर जो पानी जमा भयो होतो, ओख “समुन्दर” नाम दियो। अऊर परमेश्वर न देख्यो कि यो अच्छो हय।
11 तब परमेश्वर न कह्यो, “धरती सी हरी घास, अऊर बीज वालो छोटो छोटो झाड़, अऊर फर वालो झाड़ भी जिन्को बीज उन्कोच म एक एक की जाति को अनुसार हंय, अऊर धरती पर उगें,” अऊर वसोच भय गयो।
12 यो तरह धरती सी हरी घास, अऊर छोटो छोटो झाड़ जिन्म अपनी अपनी जाति को अनुसार बीज होवय हय, अऊर फर वालो झाड़ जिन्को बीज एक एक की जाति को अनुसार उन्कोच म होवय हंय ऊ उगें: अऊर परमेश्वर न देख्यो कि यो अच्छो हय।
13 फिर शाम भयी फिर सुबेरे भयी। यो तरह तीसरो दिन भय गयो।
14 तब परमेश्वर न आज्ञा दियो, “रात ख दिन सी अलग करन लायी आसमान को अन्तर म ज्योतियां हो; अऊर हि चिन्हों, अऊर ठहरायो हुयो समयों अऊर दिनों, अऊर सालों को चिन्ह हो;
15 अऊर हि धरती ख उजाड़ो देन लायी आसमान म चमकेंन” अऊर वसोच भयो।
16 तब परमेश्वर न दोय बड़ो उजाड़ो बनायो; सूरज न दिन पर शासन करन लायी अऊर चन्दा न रात पर शासन करन लायी; अऊर उन्न तारागन भी बनायो।
17 परमेश्वर न उन्ख आसमान को अन्तर म येकोलायी रख्यो कि हि धरती पर उजाड़ो दे,
18 दिन अऊर रात पर शासन करन लायी, अऊर अन्धारो सी उजाड़ो ख अलग करन लायी। अऊर जो कुछ परमेश्वर न देख्यो कि हि अच्छो हंय।
19 तब शाम भयी अऊर सुबेरे भयी। यो तरह चौथो दिन भय गयो।
20 तब परमेश्वर न आज्ञा दियो, “पानी जीन्दो प्रानियों सी भरयो रहे, अऊर पक्षी धरती को ऊपर आसमान को ऊपर उड़े, हवा ख पक्षियों सी भरन दे।”
21 येकोलायी परमेश्वर न जाति जाति को बड़ो बड़ो पानी को जीव जन्तुवों, अऊर उन सब जीन्दो प्रानियों की भी रचना करी जो चलतो फिरतो हंय जिन सी पानी बहुतच भर गयो, अऊर एक एक जाति को उड़न वालो पक्षियों की भी रचना करी : अऊर परमेश्वर न देख्यो कि यो अच्छो हंय।
22 अऊर परमेश्वर न उन्ख यो कह्य क आशीर्वाद दियो, “फलो फूलो, अऊर समुन्दर को पानी म भर जावो, अऊर उन्न पक्षियों ख संख्या म बढ़न लायी कह्यो।”
23 तब शाम भयी अऊर सुबेरे भय गयी। यो तरह पाचवों दिन भय गयो।
24 तब परमेश्वर न आज्ञा दियो, “धरती म सी एक एक जाति को जीन्दो प्रानी, यानेकि घरेलू जनावर, अऊर रेंगन वालो जन्तु, अऊर धरती को जंगली जनावर, जाति जाति को अनुसार पैदा हो,” अऊर वसोच भय गयो।
25 यो तरह परमेश्वर न धरती को जाति जाति को जंगली जनावरों ख, अऊर जाति जाति को पालतु जनावरों ख, अऊर जाति जाति को जमीन पर सब रेंगन वालो जन्तुवों ख बनायो : अऊर परमेश्वर न देख्यो कि यो अच्छो हय।
26 तब परमेश्वर न कह्यो, “हम आदमी ख अपनो स्वरूप को अनुसार अपनी समानता म बनायो; अऊर हि समुन्दर की मच्छी, अऊर पालतु जनावरों, अऊर पूरी धरती पर, अऊर सब रेंगन वालो जन्तुवों पर जो धरती पर रेंगय हंय, उन बड़ो छोटो पर अधिकार रखे।”
27 तब परमेश्वर न आदमी ख अपनो स्वरूप को अनुसार पैदा करयो, अऊर अपनोच स्वरूप को अनुसार परमेश्वर न ओख पैदा करयो; अऊर नर अऊर नारी कर क् ओन आदमियों की रचना करी।
28 अऊर परमेश्वर न उन्ख आशीर्वाद दियो, अऊर उन्को सी कह्यो, “फूलो फलो, अऊर धरती म भर जावो, अऊर ओख अपनो बस म कर लेवो; अऊर समुन्दर की मच्छी, तथा आसमान की पक्षियों, अऊर धरती पर रेंगन वालो सब जन्तुवों पर अधिकार रखो।”
29 तब परमेश्वर न उन्को सी कह्यो, “सुनो, जितनो बीज वालो छोटो छोटो झाड़ पूरी धरती को ऊपर हंय अऊर जितनो झाड़ म बीज वालो फर होवय हंय, हि सब मय न तुम ख दियो हंय; हि तुम्हरो खान लायी आय।
30 अऊर जितनो धरती को जनावर, अऊर आसमान को पक्षी, अऊर धरती पर रेंगन वालो जन्तु हंय, जिन्म जीवन को जीव हय, उन सब ख खान लायी मय न सब हरो हरो छोटो झाड़ दियो हंय,” अऊर वसोच भय गयो।
31 तब परमेश्वर न जो कुछ बनायो होतो सब ख देख्यो, त का देख्यो, कि ऊ बहुतच अच्छो हय। तथा शाम भयी फिर सुबेरे भयी। यो तरह छठवो दिन भय गयो।