निर्गमन की पुस्तक
निर्गमन की किताब
परिचय
निर्गमन की किताब अब्राहम को वंश की कहानी ख आगु बढ़ावय हय, जो उत्पत्ति म शुरू हुयी होती। निर्गमन शब्द को अर्थ हय “निकास,” जेको तात्पर्य इस्राएल राष्ट्र को मिस्र सी निकल क ऊ देश म लौटनो सी हय जेको वादा परमेश्वर न अब्राहम सी करयो होतो। परंपरागत रूप सी, विद्वानों को माननो हय कि निर्गमन की किताब को अधिकांश भाग पैगंबर मूसा द्वारा लिख्यो गयो होतो, अऊर असो लगय हय कि यो पाठ सीच पता चलय हय। निर्गमन २४:४ बतावय हय कि मूसा न किताब को कुछ हिस्सों ख कसो लिख्यो। यहोशू ८:३१ म यो निर्गमन २०:२५ म दियो गयो आदेश को संदर्भ देवय हय अऊर कह्य हय कि यो “मूसा की व्यवस्था की किताब म लिख्यो गयो होतो।” नयो नियम मूसा द्वारा लिखी गयी किताबों को कयी बार उल्लेख करय हय, उदाहरन लायी जब जरती हुयी झाड़ी म जो भयो ओको बारे म बात करय हुयो अऊर यो कह्यतो हुयो कि यो “मूसा की किताब” मरकुस १२:२६ म लिख्यो गयो होतो। मिस्र सी इस्राएलियों को निकलनो संभवत: लगभग १३०० या १४०० साल ईसा पूर्व भयो होतो। १ राजा ६:१ म कह्यो गयो हय कि यो पलायन इस्राएल पर राजा सुलैमानी को शासन को चौथो साल सी ४८० साल पहिले भयो होतो।
निर्गमन यो बात पर जोर देवय हय कि परमेश्वर अब्राहम, इसहाक अऊर याकूब सी करयो अपनो वादा ख कसो पूरो कर रह्यो होतो। यो अब्राहम को वंशजों, इस्राएल राष्ट्र ख मिस्र की जमीन सी परमेश्वर को शक्तिशाली उद्धार को बारे म बतावय हय निर्गमन १:१२ उत सी परमेश्वर अपनो लोगों ख सीनाई पहाड़ को तलहटी तक ले गयो जित ओन मूसा ख इस्राएलियों को पालन लायी कयी नियम दियो। निर्गमन १२–१९ यो नियम बतावय हंय कि उन्ख कसो कार्य करनो चाहिये, उन्ख कसो बलिदान करनो चाहिये, अऊर तम्बू जो उन्को बीच परमेश्वर को निवास की जागा होनो होतो, तम्बू म पूजा लायी सन्दूक अऊर दूसरो उपकरन, अऊर पूजारियों को विशेष कपड़ा निर्गमन २०–३१ को निर्मान लायी विस्तृत नियम दियो गयो हंय। फिर एक भयानक विद्रोह को बाद जित इस्राएल न बछड़ा को रूप म एक सोनो की मूर्ति बनायी होती, मूसा फिर सी परमेश्वर सी मिल्यो। निर्गमन ३२–३३ किताब को आखरी भाग म, हम पढ़जे हंय कि पहिले बतायी गयी चिजों को निर्मान कसो करयो गयो। निर्गमन ३३–४०
रूप रेखा
१. इस्राएलियों ख मिस्र देश म गुलाम बनायो गयो होतो। १
२. मूसा को परिचय दियो गयो हय तथा ओको जीवन को बारे म बतायो गयो जब तक कि ओख परमेश्वर को लोगों ख छुड़ान लायी नहीं बुलायो गयो। २–४
३. तब लेखक बतावय हय कि कसो परमेश्वर न अपनो लोगों ख ऊ देश सी अऊर फिरौन की सेना सी बचान लायी मिस्र म बड़ो बड़ो चमत्कार अऊर विपत्तियां पैदा करी। ५:१५-२१
४. यहां सी इस्राएल राष्ट्र सीनै पहाड़ तक गयो। १५:२२-२७
५. कसो परमेश्वर न मूसा ख व्यवस्था दी, जेको म परमेश्वर को लोगों, मतलब इस्राएलियों ख कसो तरह जीवन जीनो अऊर आराधना करनो होतो, येको बारे म विस्तृत निर्देश होतो। २०–३१
६. कसो इस्राएलियों न मूसा को भाऊ हारून ख सोनो को बछड़ा को आकार की मूर्ति बनान लायी राजी कर क् परमेश्वर को विरुद्ध विद्रोह करयो,३२
७. कसो मूसा न परमेश्वर की महिमा देखी अऊर फिर इस्राएलियों ख परमेश्वर की व्यवस्था को बारे म निर्देश दियो अऊर बतायो कि रहन की जागा, सन्दूक अऊर रहन की जागा म उपासना लायी दूसरो उपकरन, तथा याजकों को विशेष कपड़ा कसो बनायो। ३३–४०
1
मिस्र देश म इस्राएलियों को दु:ख
1 इस्राएल मतलब याकूब को टुरावों को नाम, जो अपनो बाप को संग अपनो घरानो समेत मिस्र देश म आयो होतो, यो आय :
2 रूबेन, शिमोन, लेवी, यहूदा,
3 इस्साकार, जबूलून, बिन्यामीन,
4 दान, नप्ताली, गाद अऊर आशेर।
5 अऊर यूसुफ त मिस्र देश म पहिलेच आयो होतो। याकूब को अपनो वंश म जो पैदा हुयो हि सब सत्तर लोग होतो।
6 ओको बाद यूसुफ अऊर ओको सब भाऊ अऊर ओकी पीढ़ी को सब लोग मर गयो।
7 पर इस्राएल लोगों की सन्तान फूलन-फलन लगी; अऊर हि लोग बहुतच सामर्थी बनतो गयो, अऊर उन्की संख्या बढ़ती गयी कि पूरो देश उन्को सी भर गयो।
8 मिस्र देश म एक नयो राजा बन्यो जो यूसुफ ख नहीं जानत होतो।
9 ओन अपनी प्रजा सी कह्यो, “देखो, इस्राएली लोग हम सी गिनती अऊर ताकत म बहुत बढ़ गयो हंय।
10 येकोलायी आवो, हम उन्को संग चालाकी सी व्यवहार करबोंन, कहीं असो नहीं होय कि जब हि बहुत बढ़ जायेंन अऊर यदि लड़ाई को समय आय पड़्यो, त हमरो दुश्मनों सी मिल क हमरो विरोध म लड़ क देश सी भग जायें।”
11 येकोलायी उन्न इस्राएलियों पर कठिन काम करन वालो अधिकारियों ख नियुक्त करयो कि हि उन पर भारी बोझा डाल क उन्ख दु:ख दियो करे; अऊर उन्न फिरौन लायी पितोम अऊर रामसेस नाम को भण्डार घर वालो नगरों ख बनायो।
12 पर जितनो अधिक उन्ख दु:ख देतो गयो, उतनोच अधिक बढ़तो अऊर फैलतो गयो; येकोलायी मिस्र को लोग इस्राएलियों सी बहुतच डर गयो अऊर घृना करन लग्यो।
13 तब भी मिस्रियों न इस्राएलियों लोगों सी कठोर मेहनत करवायो,
14 अऊर उन्को जीवन ख गारा, ईटा अऊर खेती को अलग अलग को काम की कठिन सेवा सी जीनो मुश्किल कर डाल्यो; जो कोयी काम म हि उन्को सी सेवा करावत होतो ओको म हि कठोरता को व्यवहार करत होतो।
15 इस्राएली बाईयों ख मदत करन वाली शिप्रा अऊर पूआ नाम की दोय इब्री मतलब इस्राएली सुईन ख मिस्र देश को राजा न आज्ञा दियो,
16 “जब तुम इब्री बाईयों को बारतपन करवातो समय ध्यान सी देखो कि टुरा आय, त ओख मार डालजो, अऊर टुरी हय त ओख जीन्दी रहन देजो।”
17 पर हि सुईन परमेश्वर को डर मानत होती, येकोलायी मिस्र को राजा की आज्ञा नहीं मान क टुरावों ख भी जीन्दो छोड़ देत होती।
18 तब मिस्र देश को राजा न सुईन ख बुलाय क पुच्छ्यो, “तुम जो टुरावों ख जीन्दो छोड़ देवय हय, त असो कहाली करय हय?”
19 सुईन न फिरौन ख उत्तर दियो, “इब्री बाईयां मिस्र देश की बाईयों की जसी नहाय; हि असी फुरतीली हंय कि सुईन को पहुंचन को पहिलेच उन्ख बच्चा पैदा होय जावय हय।”
20 येकोलायी परमेश्वर न सुईन को संग भलायी करी; अऊर हि इस्राएली बढ़ कर बहुत शक्तिशाली भय गयो।
21 सुईन परमेश्वर को डर मानत होती, येकोलायी परमेश्वर न उन्ख अपनो परिवार दियो। अऊर इस्राएली लगातार बढ़तो अऊर ताकवर बनतो गयो।
22 तब फिरौन न अपनो पूरी प्रजा ख यो आज्ञा दी, “जब इब्रियों को जितनो टुरा पैदा होयेंन उन्ख तुम नील नदी म फेंक देजो, अऊर सब टुरियों ख जीन्दो रहन देजो।”