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भवन म परमेश्वर को तेज
फिर ऊ मोख वा फाटक को जवर ले गयो जो पूर्व को मुंह को होतो। तब इस्राएल को परमेश्वर को तेज पूर्व दिशा सी आयो; अऊर ओकी वानी बहुत सो पानी की गर्जन जसी भयी; अऊर ओको तेज सी धरती प्रकाशित भयी। यो दर्शन ऊ दर्शन को जसो होतो, जो मय न ओख नगर को नाश करन ख आतो समय देख्यो होतो; अऊर ऊ दर्शन को जसो, जो मय न कबार नदी को किनार पर देख्यो होतो; अऊर मय मुंह को बल गिर पड़्यो। तब परमेश्वर को तेज वा फाटक सी होय क जो पूर्व को तरफ मुंह होतो, भवन म आय गयो।
तब आत्मा न मोख उठाय क अन्दर को आंगन म पहुंचायो; अऊर परमेश्वर को तेज भवन म भर गयो होतो। तब मय न एक जन को आवाज सुन्यो, जो भवन म सी मोरो सी बोल रह्यो होतो, अऊर ऊ आदमी मोरो जवर खड़ो होतो। ओन मोरो सी कह्यो, “हे आदमी की सन्तान, परमेश्वर की या वानी हय : यो त मोरो सिंहासन की जागा अऊर मोरो पाय रखन की जागा आय, जहां मय इस्राएल को बीच म हमेशा वाश करतो रहूं। नहीं त इस्राएल को घराना, अऊर नहीं ओको राजा अपनो व्यभिचार सी, यां अपनी ऊंची जागा म अपनो राजावों को शवों को द्वारा मोरो पवित्र नाम अशुद्ध ठहरायेंन। हि अपनो चौखट मोरो चौखट को जवर, अऊर अपनो दरवाजा को खम्बा मोरो दरवाजा को खम्बा को जवर बनावय होतो, अऊर मोरो अऊर उन्को बीच केवल दीवालच होती, अऊर उन्न अपनो घिनौनो कामों सी मोरो पवित्र नाम अशुद्ध ठहरायो होतो; येकोलायी मय न क्रोध म आय क उन्ख नाश करयो। अब हि अपनो व्यभिचार अऊर अपनो राजावों को शव मोरो सामने सी दूर कर दे, तब मय उन्को बीच हमेशा वाश करतो रहूं।
10 “हे आदमी की सन्तान, तय इस्राएल को घराना ख यो भवन को नमूना दिखाव कि हि अपनो अधर्म को कामों सी लज्जित होय क ऊ नमूना ख नापे। 11 यदि हि अपनो पूरो कामों सी लज्जित होये, त उन्ख यो भवन को आकार अऊर स्वरूप, अऊर येको बाहेर अऊर अन्दर आन जान को रस्ता, अऊर येको सब आकार अऊर विधियां, अऊर नियम बतायजो, अऊर उन्को सामने लिख क रखजो; जेकोसी हि येको सब आकार अऊर येकी सब विधियां याद कर क् ओको अनुसार करे। 12 भवन को नियम यो हय कि पहाड़ी की सेंडी को चारयी तरफ को पूरो भाग परमपवित्र हय। देख, भवन को नियम योच आय।
वेदी की बनावट
13 “असो हाथ को नाप सी जो साधारन हाथ सी चार बोट जादा हो, वेदी को नाप यो हय, मतलब ओको आधार एक हाथ को, अऊर ओकी चौड़ायी एक हाथ की, अऊर ओको चारयी तरफ को कोना पर की किनार चार बोट की हो। वेदी की ऊंचायी या आय : 14 जमीन पर रख्यो हुयो आधार सी ले क खल्लो की बैठक तक दोय हाथ की ऊंचायी रहे, अऊर ओकी चौड़ायी हाथ भर की हो; अऊर छोटी बैठक सी ले क बड़ी बैठक तक चार हाथ हो अऊर ओकी चौड़ायी हाथ भर की हो; 15 अऊर ऊपर को भाग चार हाथ को हो; अऊर वेदी पर जलावन की जागा को चार सींग ऊपर को तरफ निकल्यो हो। 16 वेदी पर जलावन की जागा चौकोन मतलब बारा हाथ लम्बो अऊर बारा हाथ चौड़ो हो। 17 खल्लो की बैठक चौदा हाथ लम्बी अऊर चौदा हाथ चौड़ी हो, अऊर ओको चारयी तरफ की किनार अरधो हाथ की हो, अऊर ओको आधार चारयी तरफ हाथ भर को हो। ओकी सीढ़ी ओको पूर्व को तरफ हो।”
वेदी को अर्पन
18 फिर ओन मोरो सी कह्यो, “हे आदमी की सन्तान, परमेश्वर यहोवा यो कह्य हय, जो दिन होमबलि चढ़ावन अऊर खून छिड़कन को लायी वेदी बनायी जाये, ऊ दिन की विधियां या ठहरे : 19 मतलब लेवीय याजक लोग, जो सादोक की सन्तान आय, अऊर मोरी सेवा करन ख मोरो जवर रह्य हय, उन्ख तय पापबलि को लायी एक बछड़ा देजो, परमेश्वर यहोवा की या वानी आय। 20 तब तय ओको खून म सी कुछ ले क वेदी को चारयी सींगों अऊर बैठक को चारयी कोना अऊर चारयी तरफ की किनार पर लगायजो; यो तरह सी ओको लायी पश्चाताप करन को द्वारा ओख पवित्र करजो। 21 तब पापबलि को बछड़ा ख ले क, भवन को पवित्र जागा को बाहेर ठहरायो हुयो जागा म जलाय देजो। 22 दूसरो दिन एक निर्दोष बकरा पापबलि कर क् चढ़ायजो; अऊर जसो बछड़ा को द्वारा वेदी पवित्र करी जाये, वसोच ऊ यो बकरा को द्वारा भी पवित्र करयो जाये। 23 जब तय ओख पवित्र कर चुक्यो, तब एक निर्दोष बछड़ा अऊर एक निर्दोष मेंढा चढ़ायजो। 24 तय उन्ख परमेश्वर को सामने ले आजो, अऊर याजक लोग उन पर नमक डाल क उन्ख परमेश्वर ख होमबलि कर क् चढ़ाये। 25 सात दिन तक तय हर दिन पापबलि को लायी एक बकरा तैयार रखजो, अऊर निर्दोष बछड़ा अऊर मेंढा म सी निर्दोष मेंढा भी तैयार करयो जाये। 26 सात दिन तक याजक लोग वेदी को लायी पश्चाताप कर क् ओख शुद्ध करतो रहे; यो तरह ओको संस्कार हो। 27 जब हि दिन खतम होये, तब आठवों दिन को बाद सी याजक लोग तुम्हरो होमबलि अऊर मेलबलि वेदी पर चढ़ायो करे; तब मय तुम सी खुश रहूं, परमेश्वर यहोवा की या वानी आय।”
43:2 यहेजकेल १०:३,4,१८,१९; ११:२२,२३; प्रकाशितवाक्य १:१५ 43:17 निर्गमन २७:१,२; २ इतिहास ४:१ 43:27 निर्गमन ३९:३५-३७