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मन्दिर को जवर मौजूद दोय कमरा
1 फिर ऊ मोख बाहेर को आंगन म उत्तर दिशा को तरफ ले गयो, अऊर मोख उन दोय कमरा को जवर लायो जो भवन को आंगन को सामने अऊर ओको उत्तर दिशा को तरफ होतो।
2 सौ हाथ की दूरी पर उत्तरी दरवाजा होतो, अऊर चौड़ायी पचास हाथ की होती।
3 अन्दर को आंगन को बीस हाथ सामने अऊर बाहेर को आंगन को फर्श को सामने तीनयी मंजिल को सज्जा होतो।
4 कमरा को सामने अन्दर को तरफ जान वालो दस हाथ चौड़ो एक रस्ता होतो; अऊर हाथ भर को एक अऊर रस्ता होतो; अऊर कमरा को दरवाजा उत्तर को तरफ होतो।
5 ऊपर को कमरा छोटो होतो, मतलब सज्जा को वजह हि खल्लो को अऊर बीच को कमरा सी छोटो होतो।
6 कहालीकि हि तीन मंजिल की होती, अऊर आंगनों को सामने उन्को खम्बा नहीं होतो; यो वजह ऊपर को कमरा खल्लो को अऊर बीच को कमरा सी छोटो होतो।
7 जो दीवाल कमरा को बाहेर उन्को जवर जवर होतो मतलब कमरा को सामने बाहेर को आंगन को तरफ होतो, ओकी लम्बायी पचास हाथ की होती।
8 कहालीकि बाहेर को आंगन को कमरा पचास हाथ लम्बो होतो, अऊर मन्दिर को सामने को आधार सौ हाथ को होतो।
9 इन कमरा को खल्लो पूर्व दिशा को तरफ रस्ता होतो, जहां लोग बाहेर को आंगन सी इन म जात होतो।
10 आंगन की दीवाल चौड़ायी म पूर्व को तरफ अलग जागा अऊर भवन दोयी को सामने कमरा होतो।
11 उन्को सामने को रस्ता उत्तर कमरा को रस्ता को जसो होतो; उन्की लम्बायी चौड़ायी बराबर होती अऊर निकास अऊर ढंग उन्को दरवाजा को जसो होतो।
12 दक्षिनी कमरा को दरवाजा को अनुसार रस्ता को सुरूवात म दरवाजा होतो, मतलब पूर्व को तरफ की दीवाल को सामने, जहां सी लोग उन म जात होतो।
13 फिर ओन मोरो सी कह्यो, “हि उत्तरी अऊर दक्षिनी कमरा जो आंगन को सामने हय, हिच पवित्र कमरा हय, जिन म परमेश्वर को जवर जान वालो याजक परमपवित्र चिजे खायो करेंन, हि परमपवित्र चिजे, अऊर अन्नबलि, अऊर पापबलि, अऊर दोषबलि वहांच रखेंन; कहालीकि वा जागा पवित्र हय।
14 जब जब याजक लोग अन्दर जायेंन, तब तब निकलन को समय हि पवित्र जागा सी बाहेर आंगन म असोच नहीं निकलेंन, मतलब हि पहिले अपनी सेवा करन को कपड़ा पवित्र जागा म रख देयेंन; कहालीकि हि कमरा पवित्र हय। तब हि दूसरो कपड़ा पहिन क साधारन लोगों को संग म जायेंन।”
मन्दिर को सीमा को नाप
15 जब ऊ अन्दर को भवन ख नाप चुक्यो, तब मोख पूर्व दिशा को फाटक को रस्ता सी बाहेर लिजाय क बाहेर को जागा चारयी तरफ नापन लग्यो।
16 ओन पूर्व को तरफ को नापन को बांस सी नाप क पाच सौ बांस को पायो।
17 तब ओन उत्तर को तरफ ख नापन को बांस सी नाप क पाच सौ बांस को पायो।
18 तब ओन दक्षिन को तरफ को नापन को बांस सी नाप क पाच सौ बांस पायो;
19 अऊर पश्चिम को तरफ ख मुड़ क ओन नापन को बांस सी नाप क ओख पाच सौ बांस को पायो।
20 ओन ऊ जागा को चारयी सीमा नापी, अऊर ओको चारयी तरफ एक दीवाल होती, वा पाच सौ बांस लम्बी अऊर पाच सौ बांस चौड़ी होती, अऊर येकोलायी बनी होती कि पवित्र अऊर सर्वसाधारन ख अलग अलग करे।