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सहीह इबादत
आसफ़ का ज़बूर।
रब क़ादिरे-मुतलक़ ख़ुदा बोल उठा है, उसने तुलूए-सुबह से लेकर ग़ुरूबे-आफ़ताब तक पूरी दुनिया को बुलाया है।
अल्लाह का नूर सिय्यून से चमक उठा है, उस पहाड़ से जो कामिल हुस्न का इज़हार है।
हमारा ख़ुदा आ रहा है, वह ख़ामोश नहीं रहेगा। उसके आगे आगे सब कुछ भस्म हो रहा है, उसके इर्दगिर्द तेज़ आँधी चल रही है।
वह आसमानो-ज़मीन को आवाज़ देता है, “अब मैं अपनी क़ौम की अदालत करूँगा।
मेरे ईमानदारों को मेरे हुज़ूर जमा करो, उन्हें जिन्होंने क़ुरबानियाँ पेश करके मेरे साथ अहद बाँधा है।”
आसमान उस की रास्ती का एलान करेंगे, क्योंकि अल्लाह ख़ुद इनसाफ़ करनेवाला है। (सिलाह)
“ऐ मेरी क़ौम, सुन! मुझे बात करने दे। ऐ इसराईल, मैं तेरे ख़िलाफ़ गवाही दूँगा। मैं अल्लाह तेरा ख़ुदा हूँ।
मैं तुझे तेरी ज़बह की क़ुरबानियों के बाइस मलामत नहीं कर रहा। तेरी भस्म होनेवाली क़ुरबानियाँ तो मुसलसल मेरे सामने हैं।
न मैं तेरे घर से बैल लूँगा, न तेरे बाड़ों से बकरे।
10 क्योंकि जंगल के तमाम जानदार मेरे ही हैं, हज़ारों पहाड़ियों पर बसनेवाले जानवर मेरे ही हैं।
11 मैं पहाड़ों के हर परिंदे को जानता हूँ, और जो भी मैदानों में हरकत करता है वह मेरा है।
12 अगर मुझे भूक लगती तो मैं तुझे न बताता, क्योंकि ज़मीन और जो कुछ उस पर है मेरा है।
13 क्या तू समझता है कि मैं साँडों का गोश्त खाना या बकरों का ख़ून पीना चाहता हूँ?
14 अल्लाह को शुक्रगुज़ारी की क़ुरबानी पेश कर, और वह मन्नत पूरी कर जो तूने अल्लाह तआला के हुज़ूर मानी है।
15 मुसीबत के दिन मुझे पुकार। तब मैं तुझे नजात दूँगा और तू मेरी तमजीद करेगा।”
 
16 लेकिन बेदीन से अल्लाह फ़रमाता है, “मेरे अहकाम सुनाने और मेरे अहद का ज़िक्र करने का तेरा क्या हक़ है?
17 तू तो तरबियत से नफ़रत करता और मेरे फ़रमान कचरे की तरह अपने पीछे फेंक देता है।
18 किसी चोर को देखते ही तू उसका साथ देता है, तू ज़िनाकारों से रिफ़ाक़त रखता है।
19 तू अपने मुँह को बुरे काम के लिए इस्तेमाल करता, अपनी ज़बान को धोका देने के लिए तैयार रखता है।
20 तू दूसरों के पास बैठकर अपने भाई के ख़िलाफ़ बोलता है, अपनी ही माँ के बेटे पर तोहमत लगाता है।
 
21 यह कुछ तूने किया है, और मैं ख़ामोश रहा। तब तू समझा कि मैं बिलकुल तुझ जैसा हूँ। लेकिन मैं तुझे मलामत करूँगा, तेरे सामने ही मामला तरतीब से सुनाऊँगा।
22 तुम जो अल्लाह को भूले हुए हो, बात समझ लो, वरना मैं तुम्हें फाड़ डालूँगा। उस वक़्त कोई नहीं होगा जो तुम्हें बचाए।
 
23 जो शुक्रगुज़ारी की क़ुरबानी पेश करे वह मेरी ताज़ीम करता है। जो मुसम्मम इरादे से ऐसी राह पर चले उसे मैं अल्लाह की नजात दिखाऊँगा।”