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सुबह को मदद के लिए दुआ
1 दाऊद का ज़बूर। उस वक़्त जब उसे अपने बेटे अबीसलूम से भागना पड़ा।
ऐ रब, मेरे दुश्मन कितने ज़्यादा हैं, कितने लोग मेरे ख़िलाफ़ उठ खड़े हुए हैं!
2 मेरे बारे में बहुतेरे कह रहे हैं, “अल्लाह इसे छुटकारा नहीं देगा।” (सिलाह)
3 लेकिन तू ऐ रब, चारों तरफ़ मेरी हिफ़ाज़त करनेवाली ढाल है। तू मेरी इज़्ज़त है जो मेरे सर को उठाए रखता है।
4 मैं बुलंद आवाज़ से रब को पुकारता हूँ, और वह अपने मुक़द्दस पहाड़ से मेरी सुनता है। (सिलाह)
5 मैं आराम से लेटकर सो गया, फिर जाग उठा, क्योंकि रब ख़ुद मुझे सँभाले रखता है।
6 उन हज़ारों से मैं नहीं डरता जो मुझे घेरे रखते हैं।
7 ऐ रब, उठ! ऐ मेरे ख़ुदा, मुझे रिहा कर! क्योंकि तूने मेरे तमाम दुश्मनों के मुँह पर थप्पड़ मारा, तूने बेदीनों के दाँतों को तोड़ दिया है।
8 रब के पास नजात है। तेरी बरकत तेरी क़ौम पर आए। (सिलाह)