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क़िहातियों की ज़िम्मादारियाँ
रब ने मूसा और हारून से कहा, “लावी के क़बीले में से क़िहातियों की मर्दुमशुमारी उनके कुंबों और आबाई घरानों के मुताबिक़ करना। उन तमाम मर्दों को रजिस्टर में दर्ज करना जो 30 से लेकर 50 साल के हैं और मुलाक़ात के ख़ैमे में ख़िदमत करने के लिए आ सकते हैं। क़िहातियों की ख़िदमत मुक़द्दसतरीन कमरे की देख-भाल है।
जब ख़ैमे को सफ़र के लिए समेटना है तो हारून और उसके बेटे दाख़िल होकर मुक़द्दसतरीन कमरे का परदा उतारें और उसे शरीअत के संदूक़ पर डाल दें। इस पर वह तख़स की खालों का ग़िलाफ़ और आख़िर में पूरी तरह नीले रंग का कपड़ा बिछाएँ। इसके बाद वह संदूक़ को उठाने की लकड़ियाँ लगाएँ।
वह उस मेज़ पर भी नीले रंग का कपड़ा बिछाएँ जिस पर रब को रोटी पेश की जाती है। उस पर थाल, प्याले, मै की नज़रें पेश करने के बरतन और मरतबान रखे जाएँ। जो रोटी हमेशा मेज़ पर होती है वह भी उस पर रहे। हारून और उसके बेटे इन तमाम चीज़ों पर क़िरमिज़ी रंग का कपड़ा बिछाकर आख़िर में उनके ऊपर तख़स की खालों का ग़िलाफ़ डालें। इसके बाद वह मेज़ को उठाने की लकड़ियाँ लगाएँ।
वह शमादान और उसके सामान पर यानी उसके चराग़, बत्ती कतरने की क़ैंचियों, जलते कोयले के छोटे बरतनों और तेल के बरतनों पर नीले रंग का कपड़ा रखें। 10 यह सब कुछ वह तख़स की खालों के ग़िलाफ़ में लपेटें और उसे उठाकर ले जाने के लिए एक चौखटे पर रखें।
11 वह बख़ूर जलाने की सोने की क़ुरबानगाह पर भी नीले रंग का कपड़ा बिछाकर उस पर तख़स की खालों का ग़िलाफ़ डालें और फिर उसे उठाने की लकड़ियाँ लगाएँ। 12 वह सारा सामान जो मुक़द्दस कमरे में इस्तेमाल होता है लेकर नीले रंग के कपड़े में लपेटें, उस पर तख़स की खालों का ग़िलाफ़ डालें और उसे उठाकर ले जाने के लिए एक चौखटे पर रखें।
13 फिर वह जानवरों को जलाने की क़ुरबानगाह को राख से साफ़ करके उस पर अरग़वानी रंग का कपड़ा बिछाएँ। 14 उस पर वह क़ुरबानगाह की ख़िदमत के लिए सारा ज़रूरी सामान रखें यानी छिड़काव के कटोरे, जलते हुए कोयले के बरतन, बेलचे और काँटे। इस सामान पर वह तख़स की खालों का ग़िलाफ़ डालकर क़ुरबानगाह को उठाने की लकड़ियाँ लगाएँ।
15 सफ़र के लिए रवाना होते वक़्त यह सब कुछ उठाकर ले जाना क़िहातियों की ज़िम्मादारी है। लेकिन लाज़िम है कि पहले हारून और उसके बेटे यह तमाम मुक़द्दस चीज़ें ढाँपें। क़िहाती इनमें से कोई भी चीज़ न छुएँ वरना मर जाएंगे।
16 हारून इमाम का बेटा इलियज़र पूरे मुक़द्दस ख़ैमे और उसके सामान का इंचार्ज हो। इसमें चराग़ों का तेल, बख़ूर, ग़ल्ला की रोज़ाना नज़र और मसह का तेल भी शामिल है।”
17 रब ने मूसा और हारून से कहा, 18 “ख़बरदार रहो कि क़िहात के कुंबे लावी के क़बीले में से मिटने न पाएँ। 19 चुनाँचे जब वह मुक़द्दसतरीन चीज़ों के पास आएँ तो हारून और उसके बेटे हर एक को उस सामान के पास ले जाएँ जो उसे उठाकर ले जाना है ताकि वह न मरें बल्कि जीते रहें। 20 क़िहाती एक लमहे के लिए भी मुक़द्दस चीज़ें देखने के लिए अंदर न जाएँ, वरना वह मर जाएंगे।”
जैरसोनियों की ज़िम्मादारियाँ
21 फिर रब ने मूसा से कहा, 22 “जैरसोन की औलाद की मर्दुमशुमारी भी उनके आबाई घरानों और कुंबों के मुताबिक़ करना। 23 उन तमाम मर्दों को रजिस्टर में दर्ज करना जो 30 से लेकर 50 साल के हैं और मुलाक़ात के ख़ैमे में ख़िदमत के लिए आ सकते हैं। 24 वह यह चीज़ें उठाकर ले जाने के ज़िम्मादार हैं : 25 मुलाक़ात का ख़ैमा, उस की छत, छत पर रखी हुई तख़स की खाल की पोशिश, ख़ैमे के दरवाज़े का परदा, 26 ख़ैमे और क़ुरबानगाह की चारदीवारी के परदे, चारदीवारी के दरवाज़े का परदा, उसके रस्से और उसे लगाने का बाक़ी सामान। वह उन तमाम कामों के ज़िम्मादार हैं जो इन चीज़ों से मुंसलिक हैं। 27 जैरसोनियों की पूरी ख़िदमत हारून और उसके बेटों की हिदायात के मुताबिक़ हो। ख़बरदार रहो कि वह सब कुछ ऐन हिदायात के मुताबिक़ उठाकर ले जाएँ। 28 यह सब मुलाक़ात के ख़ैमे में जैरसोनियों की ज़िम्मादारियाँ हैं। इस काम में हारून इमाम का बेटा इतमर उन पर मुक़र्रर है।”
मिरारियों की ज़िम्मादारियाँ
29 रब ने कहा, “मिरारी की औलाद की मर्दुमशुमारी भी उनके आबाई घरानों और कुंबों के मुताबिक़ करना। 30 उन तमाम मर्दों को रजिस्टर में दर्ज करना जो 30 से लेकर 50 साल के हैं और मुलाक़ात के ख़ैमे में ख़िदमत के लिए आ सकते हैं। 31 वह मुलाक़ात के ख़ैमे की यह चीज़ें उठाकर ले जाने के ज़िम्मादार हैं : दीवार के तख़्ते, शहतीर, खंबे और पाए, 32 फिर ख़ैमे की चारदीवारी के खंबे, पाए, मेख़ें, रस्से और यह चीज़ें लगाने का सामान। हर एक को तफ़सील से बताना कि वह क्या क्या उठाकर ले जाए। 33 यह सब कुछ मिरारियों की मुलाक़ात के ख़ैमे में ज़िम्मादारियों में शामिल है। इस काम में हारून इमाम का बेटा इतमर उन पर मुक़र्रर हो।”
लावियों की मर्दुमशुमारी
34 मूसा, हारून और जमात के राहनुमाओं ने क़िहातियों की मर्दुमशुमारी उनके कुंबों और आबाई घरानों के मुताबिक़ की। 35-37 उन्होंने उन तमाम मर्दों को रजिस्टर में दर्ज किया जो 30 से लेकर 50 साल के थे और जो मुलाक़ात के ख़ैमे में ख़िदमत कर सकते थे। उनकी कुल तादाद 2,750 थी। मूसा और हारून ने सब कुछ वैसा ही किया जैसा रब ने मूसा की मारिफ़त फ़रमाया था। 38-41 फिर जैरसोनियों की मर्दुमशुमारी उनके कुंबों और आबाई घरानों के मुताबिक़ हुई। ख़िदमत के लायक़ मर्दों की कुल तादाद 2,630 थी। मूसा और हारून ने सब कुछ वैसा ही किया जैसा रब ने मूसा के ज़रीए फ़रमाया था। 42-45 फिर मिरारियों की मर्दुमशुमारी उनके कुंबों और आबाई घरानों के मुताबिक़ हुई। ख़िदमत के लायक़ मर्दों की कुल तादाद 3,200 थी। मूसा और हारून ने सब कुछ वैसा ही किया जैसा रब ने मूसा के ज़रीए फ़रमाया था। 46-48 लावियों के उन मर्दों की कुल तादाद 8,580 थी जिन्हें मुलाक़ात के ख़ैमे में ख़िदमत करना और सफ़र करते वक़्त उसे उठाकर ले जाना था।
49 मूसा ने रब के हुक्म के मुताबिक़ हर एक को उस की अपनी अपनी ज़िम्मादारी सौंपी और उसे बताया कि उसे क्या क्या उठाकर ले जाना है। यों उनकी मर्दुमशुमारी रब के उस हुक्म के ऐन मुताबिक़ की गई जो उसने मूसा की मारिफ़त दिया था।