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मुल्के-बाबल में 70 साल रहने की पेशगोई
यहूयक़ीम बिन यूसियाह की हुकूमत के चौथे साल में अल्लाह का कलाम यरमियाह पर नाज़िल हुआ। उसी साल बाबल का बादशाह नबूकदनज़्ज़र तख़्तनशीन हुआ था। यह कलाम यहूदाह के तमाम बाशिंदों के बारे में था। चुनाँचे यरमियाह नबी ने यरूशलम के तमाम बाशिंदों और यहूदाह की पूरी क़ौम से मुख़ातिब होकर कहा,
“23 साल से रब का कलाम मुझ पर नाज़िल होता रहा है यानी यूसियाह बिन अमून की हुकूमत के तेरहवें साल से लेकर आज तक। बार बार मैं तुम्हें पैग़ामात सुनाता रहा हूँ, लेकिन तुमने ध्यान नहीं दिया। मेरे अलावा रब दीगर तमाम नबियों को भी बार बार तुम्हारे पास भेजता रहा, लेकिन तुमने न सुना, न तवज्जुह दी, गो मेरे ख़ादिम तुम्हें बार बार आगाह करते रहे, ‘तौबा करो! हर एक अपनी ग़लत राहों और बुरी हरकतों से बाज़ आकर वापस आए। फिर तुम हमेशा तक उस मुल्क में रहोगे जो रब ने तुम्हें और तुम्हारे बापदादा को अता किया था। अजनबी माबूदों की पैरवी करके उनकी ख़िदमत और पूजा मत करना! अपने हाथों के बनाए हुए बुतों से मुझे तैश न दिलाना, वरना मैं तुम्हें नुक़सान पहुँचाऊँगा’।”
रब फ़रमाता है, “अफ़सोस! तुमने मेरी न सुनी बल्कि मुझे अपने हाथों के बनाए हुए बुतों से ग़ुस्सा दिलाकर अपने आपको नुक़सान पहुँचाया।” रब्बुल-अफ़वाज फ़रमाता है, “चूँकि तुमने मेरे पैग़ामात पर ध्यान न दिया, इसलिए मैं शिमाल की तमाम क़ौमों और अपने ख़ादिम बाबल के बादशाह नबूकदनज़्ज़र को बुला लूँगा ताकि वह इस मुल्क, इसके बाशिंदों और गिर्दो-नवाह के ममालिक पर हमला करें। तब यह सफ़हाए-हस्ती से यों मिट जाएंगे कि लोगों के रोंगटे खड़े हो जाएंगे और वह उनका मज़ाक़ उड़ाएँगे। यह इलाक़े दायमी खंडरात बन जाएंगे। 10 मैं उनके दरमियान ख़ुशीओ-शादमानी और दूल्हे दुलहन की आवाज़ें बंद कर दूँगा। चक्कियाँ ख़ामोश पड़ जाएँगी और चराग़ बुझ जाएंगे। 11 पूरा मुल्क वीरानो-सुनसान हो जाएगा, चारों तरफ़ मलबे के ढेर नज़र आएँगे। तब तुम और इर्दगिर्द की क़ौमें 70 साल तक शाहे-बाबल की ख़िदमत करोगे।
12 लेकिन 70 साल के बाद मैं शाहे-बाबल और उस की क़ौम को मुनासिब सज़ा दूँगा। मैं मुल्के-बाबल को यों बरबाद करूँगा कि वह हमेशा तक वीरानो-सुनसान रहेगा। 13 उस वक़्त मैं उस मुल्क पर सब कुछ नाज़िल करूँगा जो मैंने उसके बारे में फ़रमाया है, सब कुछ पूरा हो जाएगा जो इस किताब में दर्ज है और जिसकी पेशगोई यरमियाह ने तमाम अक़वाम के बारे में की है। 14 उस वक़्त उन्हें भी मुतअद्दिद क़ौमों और बड़े बड़े बादशाहों की ख़िदमत करनी पड़ेगी। यों मैं उन्हें उनकी हरकतों और आमाल का मुनासिब अज्र दूँगा।”
रब के ग़ज़ब का प्याला
15 रब जो इसराईल का ख़ुदा है मुझसे हमकलाम हुआ, “देख, मेरे हाथ में मेरे ग़ज़ब से भरा हुआ प्याला है। इसे लेकर उन तमाम क़ौमों को पिला दे जिनके पास मैं तुझे भेजता हूँ। 16 जो भी क़ौम यह पिए वह मेरी तलवार के आगे डगमगाती हुई दीवाना हो जाएगी।”
17 चुनाँचे मैंने रब के हाथ से प्याला लेकर उसे उन तमाम अक़वाम को पिला दिया जिनके पास रब ने मुझे भेजा। 18 पहले यरूशलम और यहूदाह के शहरों को उनके बादशाहों और बुज़ुर्गों समेत ग़ज़ब का प्याला पीना पड़ा। तब मुल्क मलबे का ढेर बन गया जिसे देखकर लोगों के रोंगटे खड़े हो गए। आज तक वह मज़ाक़ और लानत का निशाना है।
19 फिर यके बाद दीगरे मुतअद्दिद क़ौमों को ग़ज़ब का प्याला पीना पड़ा। ज़ैल में उनकी फ़हरिस्त है : मिसर का बादशाह फ़िरौन, उसके दरबारी, अफ़सर, पूरी मिसरी क़ौम 20 और मुल्क में बसनेवाले ग़ैरमुल्की, मुल्के-ऊज़ के तमाम बादशाह,
फ़िलिस्ती बादशाह और उनके शहर अस्क़लून, ग़ज़्ज़ा और अक़रून, नीज़ फ़िलिस्ती शहर अशदूद का बचा-खुचा हिस्सा,
21 अदोम, मोआब और अम्मोन,
22 सूर और सैदा के तमाम बादशाह, बहीराए-रूम के साहिली इलाक़े,
23 ददान, तैमा और बूज़ के शहर, वह क़ौमें जो रेगिस्तान के किनारे किनारे रहती हैं,
24 मुल्के-अरब के तमाम बादशाह, रेगिस्तान में मिलकर बसनेवाले ग़ैरमुल्कियों के बादशाह,
25 ज़िमरी, ऐलाम और मादी के तमाम बादशाह,
26 शिमाल के दूरो-नज़दीक के तमाम बादशाह।
यके बाद दीगरे दुनिया के तमाम ममालिक को ग़ज़ब का प्याला पीना पड़ा। आख़िर में शेशक के बादशाह * को भी यह प्याला पीना पड़ा।
27 फिर रब ने कहा, “उन्हें बता, ‘रब्बुल-अफ़वाज जो इसराईल का ख़ुदा है फ़रमाता है कि ग़ज़ब का प्याला ख़ूब पियो! इतना पियो कि नशे में आकर क़ै आने लगे। उस वक़्त तक पीते जाओ जब तक तुम मेरी तलवार के आगे गिरकर पड़े न रहो।’ 28 अगर वह तेरे हाथ से प्याला न लें बल्कि उसे पीने से इनकार करें तो उन्हें बता, ‘रब्बुल-अफ़वाज ख़ुद फ़रमाता है कि पियो! 29 देखो, जिस शहर पर मेरे नाम का ठप्पा लगा है उसी पर मैं आफ़त लाने लगा हूँ। अगर मैंने उसी से शुरू किया तो फिर तुम किस तरह बचे रहोगे? यक़ीनन तुम्हें सज़ा मिलेगी, क्योंकि मैंने तय कर लिया है कि दुनिया के तमाम बाशिंदे तलवार की ज़द में आ जाएँ’।” यह रब्बुल-अफ़वाज का फ़रमान है।
तमाम अक़वाम की अदालत
30 “ऐ यरमियाह, उन्हें यह तमाम पेशगोइयाँ सुनाकर बता कि रब बुलंदियों से दहाड़ेगा। उस की मुक़द्दस सुकूनतगाह से उस की कड़कती आवाज़ निकलेगी, वह ज़ोर से अपनी चरागाह के ख़िलाफ़ गरजेगा। जिस तरह अंगूर का रस निकालनेवाले अंगूर को रौंदते वक़्त ज़ोर से नारे लगाते हैं उसी तरह वह नारे लगाएगा, अलबत्ता जंग के नारे। क्योंकि वह दुनिया के तमाम बाशिंदों के ख़िलाफ़ जंग के नारे लगाएगा। 31 उसका शोर दुनिया की इंतहा तक गूँजेगा, क्योंकि रब अदालत में अक़वाम से मुक़दमा लड़ेगा, वह तमाम इनसानों का इनसाफ़ करके शरीरों को तलवार के हवाले कर देगा।” यह रब का फ़रमान है। 32 रब्बुल-अफ़वाज फ़रमाता है, “देखो, यके बाद दीगरे तमाम क़ौमों पर आफ़त नाज़िल हो रही है, ज़मीन की इंतहा से ज़बरदस्त तूफ़ान आ रहा है। 33 उस वक़्त रब के मारे हुए लोगों की लाशें दुनिया के एक सिरे से दूसरे सिरे तक पड़ी रहेंगी। न कोई उन पर मातम करेगा, न उन्हें उठाकर दफ़न करेगा। वह खेत में बिखरे गोबर की तरह ज़मीन पर पड़ी रहेंगी।
34 ऐ गल्लाबानो, वावैला करो! ऐ रेवड़ के राहनुमाओ, राख में लोट-पोट हो जाओ! क्योंकि वक़्त आ गया है कि तुम्हें ज़बह किया जाए। तुम गिरकर नाज़ुक बरतन की तरह पाश पाश हो जाओगे। 35 गल्लाबान कहीं भी भागकर पनाह नहीं ले सकेंगे, रेवड़ के राहनुमा बच ही नहीं सकेंगे। 36 सुनो! गल्लाबानों की चीख़ें और रेवड़ के राहनुमाओं की आहें! क्योंकि रब उनकी चरागाह को तबाह कर रहा है। 37 पुरसुकून मर्ग़ज़ारों का सत्यानास होगा जब रब का सख़्त ग़ज़ब नाज़िल होगा, 38 जब रब जवान शेरबबर की तरह अपनी छुपने की जगह से निकलकर लोगों पर टूट पड़ेगा। तब ज़ालिम की तेज़ तलवार और रब का शदीद क़हर उनका मुल्क तबाह करेगा।”
* 25:26 ग़ालिबन इससे मुराद बाबल का बादशाह है।