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रब की क़ौम के लिए नई ज़िंदगी
लेकिन अब सुन, ऐ याक़ूब मेरे ख़ादिम! मेरी बात पर तवज्जुह दे, ऐ इसराईल जिसे मैंने चुन लिया है। रब जिसने तुझे बनाया और माँ के पेट से ही तश्कील देकर तेरी मदद करता आया है वह फ़रमाता है, ‘ऐ याक़ूब मेरे ख़ादिम, मत डर! ऐ यसूरून जिसे मैंने चुन लिया है, ख़ौफ़ न खा। क्योंकि मैं प्यासी ज़मीन पर पानी डालूँगा और ख़ुश्की पर नदियाँ बहने दूँगा। मैं अपना रूह तेरी औलाद पर नाज़िल करूँगा, अपनी बरकत तेरे बच्चों को बख़्शूँगा। तब वह पानी के दरमियान की हरियाली की तरह फूट निकलेंगे, नहरों पर सफ़ेदा के दरख़्तों की तरह फलें-फूलेंगे।’
एक कहेगा, ‘मैं रब का हूँ,’ दूसरा याक़ूब का नाम लेकर पुकारेगा और तीसरा अपने हाथ पर ‘रब का बंदा’ लिखकर इसराईल का एज़ाज़ी नाम रखेगा।”
रब्बुल-अफ़वाज जो इसराईल का बादशाह और छुड़ानेवाला है फ़रमाता है, “मैं अव्वल और आख़िर हूँ। मेरे सिवा कोई और ख़ुदा नहीं है। कौन मेरी मानिंद है? वह आवाज़ देकर बताए और अपने दलायल पेश करे। वह तरतीब से सब कुछ सुनाए जो उस क़दीम वक़्त से हुआ है जब मैंने अपनी क़ौम को क़ायम किया। वह आनेवाली बातों का एलान करके बताए कि आइंदा क्या कुछ पेश आएगा।
घबराकर दहशतज़दा न हो। क्या मैंने बहुत देर पहले तुझे इत्तला नहीं दी थी कि यह कुछ पेश आएगा? तुम ख़ुद मेरे गवाह हो। क्या मेरे सिवा कोई और ख़ुदा है? हरगिज़ नहीं! और कोई चट्टान नहीं है, मैं किसी और को नहीं जानता।”
ख़ुदसाख़्ता देवता
बुत बनानेवाले सब हेच ही हैं, और जो चीज़ें उन्हें प्यारी लगती हैं वह बेफ़ायदा हैं। उनके गवाह न देख और न जान सकते हैं, लिहाज़ा आख़िरकार शरमिंदा हो जाएंगे।
10 यह किस तरह के लोग हैं जो अपने लिए देवता बनाते और बेफ़ायदा बुत ढाल लेते हैं? 11 उनके तमाम साथी शरमिंदा हो जाएंगे। आख़िर बुत बनानेवाले इनसान ही तो हैं। आओ, वह सब जमा होकर ख़ुदा के हुज़ूर खड़े हो जाएँ। क्योंकि वह दहशत खाकर सख़्त शरमिंदा हो जाएंगे।
12 लोहार औज़ार लेकर उसे जलते हुए कोयलों में इस्तेमाल करता है। फिर वह अपने हथौड़े से ठोंक ठोंककर बुत को तश्कील देता है। पूरे ज़ोर से काम करते करते वह ताक़त के जवाब देने तक भूका हो जाता, पानी न पीने की वजह से निढाल हो जाता है। 13 जब बुत को लकड़ी से बनाना है तो कारीगर फ़ीते से नापकर पेंसिल से लकड़ी पर ख़ाका खींचता है। परकार भी काम आ जाता है। फिर कारीगर लकड़ी को छुरी से तराश तराशकर आदमी की शक्ल बनाता है। यों शानदार आदमी का मुजस्समा किसी के घर में लगने के लिए तैयार हो जाता है।
14 कारीगर बुत बनाने के लिए देवदार का दरख़्त काट लेता है। कभी कभी वह बलूत या किसी और क़िस्म का दरख़्त चुनकर उसे जंगल के दीगर दरख़्तों के बीच में उगने देता है। या वह सनोबर * का दरख़्त लगाता है, और बारिश उसे फलने फूलने देती है। 15 ध्यान दो कि इनसान लकड़ी को ईंधन के लिए भी इस्तेमाल करता, कुछ लेकर आग तापता, कुछ जलाकर रोटी पकाता है। बाक़ी हिस्से से वह बुत बनाकर उसे सिजदा करता, देवता का मुजस्समा तैयार करके उसके सामने झुक जाता है। 16 वह लकड़ी का आधा हिस्सा जलाकर उस पर अपना गोश्त भूनता, फिर जी भरकर खाना खाता है। साथ साथ वह आग सेंककर कहता है, “वाह, आग की गरमी कितनी अच्छी लग रही है, अब गरमी महसूस हो रही है।” 17 लेकिन बाक़ी लकड़ी से वह अपने लिए देवता का बुत बनाता है जिसके सामने वह झुककर पूजा करता है। उससे वह इलतमास करता है, “मुझे बचा, क्योंकि तू मेरा देवता है।”
18 यह लोग कुछ नहीं जानते, कुछ नहीं समझते। उनकी आँखों और दिलों पर परदा पड़ा है, इसलिए न वह देख सकते, न समझ सकते हैं। 19 वह इस पर ग़ौर नहीं करते, उन्हें फ़हम और समझ तक नहीं कि सोचें, “मैंने लकड़ी का आधा हिस्सा आग में झोंककर उसके कोयलों पर रोटी पकाई और गोश्त भून लिया। यह चीज़ें खाने के बाद मैं बाक़ी लकड़ी से क़ाबिले-घिन बुत क्यों बनाऊँ, लकड़ी के टुकड़े के सामने क्यों झुक जाऊँ?” 20 जो यों राख में मुलव्वस हो जाए उसने धोका खाया, उसके दिल ने उसे फ़रेब दिया है। वह अपनी जान छुड़ाकर नहीं मान सकता कि जो बुत मैं दहने हाथ में थामे हुए हूँ वह झूट है।
रब अपनी क़ौम को आज़ाद करता है
21 “ऐ याक़ूब की औलाद, ऐ इसराईल, याद रख कि तू मेरा ख़ादिम है। मैंने तुझे तश्कील दिया, तू मेरा ही ख़ादिम है। ऐ इसराईल, मैं तुझे कभी नहीं भूलूँगा। 22 मैंने तेरे जरायम और गुनाहों को मिटा डाला है, वह धूप में धुंध या तेज़ हवा से बिखरे बादलों की तरह ओझल हो गए हैं। अब मेरे पास वापस आ, क्योंकि मैंने एवज़ाना देकर तुझे छुड़ाया है।”
23 ऐ आसमान, ख़ुशी के नारे लगा, क्योंकि रब ने सब कुछ किया है। ऐ ज़मीन की गहराइयो, शादियाना बजाओ! ऐ पहाड़ो और जंगलो, अपने तमाम दरख़्तों समेत ख़ुशी के गीत गाओ, क्योंकि रब ने एवज़ाना देकर याक़ूब को छुड़ाया है, इसराईल में उसने अपना जलाल ज़ाहिर किया है।
24 रब तेरा छुड़ानेवाला जिसने तुझे माँ के पेट से ही तश्कील दिया फ़रमाता है, “मैं रब हूँ। मैं ही सब कुछ वुजूद में लाया, मैंने अकेले ही आसमान को ज़मीन के ऊपर तान लिया और ज़मीन को बिछाया। 25 मैं ही क़िस्मत का हाल बतानेवालों के अजीबो-ग़रीब निशान नाकाम होने देता, फ़ाल खोलनेवालों को अहमक़ साबित करता और दानाओं को पीछे हटाकर उनके इल्म की हमाक़त ज़ाहिर करता हूँ। 26 मैं ही अपने ख़ादिम का कलाम पूरा होने देता और अपने पैग़ंबरों का मनसूबा तकमील तक पहुँचाता हूँ, मैं ही यरूशलम के बारे में फ़रमाता हूँ, ‘वह दुबारा आबाद हो जाएगा,’ और यहूदाह के शहरों के बारे में, ‘वह नए सिरे से तामीर हो जाएंगे, मैं उनके खंडरात दुबारा खड़े करूँगा।’ 27 मैं ही गहरे समुंदर को हुक्म देता हूँ, ‘सूख जा, मैं तेरी गहराइयों को ख़ुश्क करता हूँ।’ 28 और मैं ही ने ख़ोरस के बारे में फ़रमाया, ‘यह मेरा गल्लाबान है! यही मेरी मरज़ी पूरी करके कहेगा कि यरूशलम दुबारा तामीर किया जाए, रब के घर की बुनियाद नए सिरे से रखी जाए’!”
* 44:14 शायद इबरानी लफ़्ज़ से मुराद सनोबर नहीं बल्कि laurel हो, एक छोटा सदाबहार काफ़ूरी दरख़्त।