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इसराईली बुज़ुर्गों पर मातमी गीत
ऐ नबी, इसराईल के रईसों पर मातमी गीत गा,
‘तेरी माँ कितनी ज़बरदस्त शेरनी थी। जवान शेरबबरों के दरमियान ही अपना घर बनाकर उसने अपने बच्चों को पाल लिया।
एक बच्चे को उसने ख़ास तरबियत दी। जब बड़ा हुआ तो जानवरों को फाड़ना सीख लिया, बल्कि इनसान भी उस की ख़ुराक बन गए।
इसकी ख़बर दीगर अक़वाम तक पहुँची तो उन्होंने उसे अपने गढ़े में पकड़ लिया। वह उस की नाक में काँटे डालकर उसे मिसर में घसीट ले गए।
 
जब शेरनी के इस बच्चे पर से उम्मीद जाती रही तो उसने दीगर बच्चों में से एक को चुनकर उसे ख़ास तरबियत दी।
यह भी ताक़तवर होकर दीगर शेरों में घूमने फिरने लगा। उसने जानवरों को फाड़ना सीख लिया, बल्कि इनसान भी उस की ख़ुराक बन गए।
उनके क़िलों को गिराकर उसने उनके शहरों को ख़ाक में मिला दिया। उस की दहाड़ती आवाज़ से मुल्क बाशिंदों समेत ख़ौफ़ज़दा हो गया।
तब इर्दगिर्द के सूबों में बसनेवाली अक़वाम उससे लड़ने आईं। उन्होंने अपना जाल उस पर डाल दिया, उसे अपने गढ़े में पकड़ लिया।
वह उस की गरदन में पट्टा और नाक में काँटे डालकर उसे शाहे-बाबल के पास घसीट ले गए। वहाँ उसे क़ैद में डाला गया ताकि आइंदा इसराईल के पहाड़ों पर उस की गरजती आवाज़ सुनाई न दे।
 
10 तेरी माँ पानी के किनारे लगाई गई अंगूर की-सी बेल थी। बेल कसरत के पानी के बाइस फलदार और शाख़दार थी।
11 उस की शाख़ें इतनी मज़बूत थीं कि उनसे शाही असा बन सकते थे। वह बाक़ी पौदों से कहीं ज़्यादा ऊँची थी बल्कि उस की शाख़ें दूर दूर तक नज़र आती थीं।
12 लेकिन आख़िरकार लोगों ने तैश में आकर उसे उखाड़कर फेंक दिया। मशरिक़ी लू ने उसका फल मुरझाने दिया। सब कुछ उतारा गया, लिहाज़ा वह सूख गया और उसका मज़बूत तना नज़रे-आतिश हुआ।
13 अब बेल को रेगिस्तान में लगाया गया है, वहाँ जहाँ ख़ुश्क और प्यासी ज़मीन होती है।
14 उसके तने की एक टहनी से आग ने निकलकर उसका फल भस्म कर दिया। अब कोई मज़बूत शाख़ नहीं रही जिससे शाही असा बन सके’।”
 
दर्जे-बाला गीत मातमी है और आहो-ज़ारी करने के लिए इस्तेमाल हुआ है।