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ऐ बुज़ुर्गों! क्या तुम दर हक़ीक़त रास्तगोई करते हो?
ऐ बनी आदम! क्या तुम ठीक 'अदालत करते हो?
बल्कि तुम तो दिल ही दिल में शरारत करते हो;
और ज़मीन पर अपने हाथों से जु़ल्म पैमाई करते हैं।
शरीर पैदाइश ही से कजरवी इख़्तियार करते हैं;
वह पैदा होते ही झूट बोलकर गुमराह हो जाते हैं।
उनका ज़हर साँप का सा ज़हर है;
वह बहरे अज़दहे की तरह हैं जो कान बंद कर लेता है;
जो मन्तर पढ़ने वालों की आवाज़ ही नहीं सुनता,
जो चाहे वह कितनी ही होशियारी से मन्तर पढ़ें।
ऐ ख़ुदा! तू उनके दाँत उनके मुँह में तोड़ दे,
ऐ ख़ुदावन्द! बबर के बच्चों की दाढ़ें तोड़ डाल।
वह घुलकर बहते पानी की तरह हो जाएँ जब वह अपने तीर चलाए,
तो वह जैसे कुन्द पैकान हों।
वह ऐसे हो जाएँ जैसे घोंघा, जो गल कर फ़ना हो जाता है;
और जैसे 'औरत का इस्कात जिसने सूरज को देखा ही नहीं।
इससे पहले कि तुम्हारी हड्डियों को काँटों की आंच लगे
वह हरे और जलते दोनों को यकसाँ बगोले से उड़ा ले जाएगा।
10 सादिक़ इन्तक़ाम को देखकर खु़श होगा;
वह शरीर के खू़न से अपने पाँव तर करेगा।
11 तब लोग कहेंगे, यक़ीनन सादिक़ के लिए अज्र है;
बेशक ख़ुदा है, जो ज़मीन पर 'अदालत करता है।