130
ऐ ख़ुदावन्द! मैंने गहराओ में से तेरे सामने फ़रियाद की है!
ऐ ख़ुदावन्द! मेरी आवाज़ सुन ले!
मेरी इल्तिजा की आवाज़ पर, तेरे कान लगे रहें।
ऐ ख़ुदावन्द! अगर तू बदकारी को हिसाब में लाए,
तो ऐ ख़ुदावन्द कौन क़ाईम रह सकेगा?
लेकिन मग़फ़िरत तेरे हाथ में है,
ताकि लोग तुझ से डरें।
मैं ख़ुदावन्द का इन्तिज़ार करता हूँ।
मेरी जान मुन्तज़िर है, और मुझे उसके कलाम पर भरोसा है।
सुबह का इन्तिज़ार करने वालों से ज़्यादा,
हाँ, सुबह का इन्तिज़ार करने वालों से कहीं ज़्यादा,
मेरी जान ख़ुदावन्द की मुन्तज़िर है।
ऐ इस्राईल! ख़ुदावन्द पर भरोसा कर;
क्यूँकि ख़ुदावन्द के हाथ में शफ़क़त है
, उसी के हाथ में फ़िदिए की कसरत है।
और वही इस्राईल का फ़िदिया देकर,
उसको सारी बदकारी से छुड़ाएगा।