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सादी सुदा जिंदगी की कहानी
1 हे भईय्यौ और बहेनियौ, का तुम नाय जानथौ मैं नियम के जानन बारेन से कहथौं कि जबले इंसान जिंदो रहथै, तौले बाके ऊपर नियम को राज्य रहथै।
2 काहैकि सादी सुदा बईय्यर, नियम के आधार मैं अपने आदमी के जीते जी बासे भँदी है, पर अगर बाको आदमी खतम हुई जाबै, तौ बौ अपने लोगा के नियम से छुट गई।
3 तभई अगर, आदमी के जीते जी बौ कोई पराए आदमी की हुई जाबै, तौ बौ छिनरइ कही जाबैगी, लेकिन अगर आदमी खतम हुई जाबै, तौ बौ नियम से छुट गई, हिंयाँ तक कि अगर कोई पराए आदमी की हुई जाबै तौ तहुँओं छिनरइ नाय मानी जागी।
4 बैसिये मेरे भईय्यौ और बहेनियौ, तुम्हऊँ मसीह के सरीर से नियम के ताहीं मरे भै हुईगै, कि बे दुसरेन के हुई जाबौ, जो मरे भौ मैं से जिंदो हुई गौ: ताकी हम परमेस्वर के ताहीं फल लामैं।
5 काहैकि जब हम सारीरिक रहैं, तौ पापन की इच्छा जो नियम के जरिया रहै, मरन को फल देन ताहीं हमरे सरीर के अंगन मैं काम करत रहैं।
6 अब, हालाकि जोके बंधन मैं हम भँदे रहैं बाके ताहीं मर कै, अब नियम से ऐसे करकै छुट गै, कि लिखी भइ पुरानी रीत मैं नाय, बल्किन आत्मा की नई रीत से।
नियम और पाप
7 तौ हम का कहमैं? फिरौंकी का नियमै पापी है? कतईये नाय! बल्किन बगैर नियम के मैं पाप कै जानिए ना सकथौं। अगर नियम कहतो कि “जो कोई और कोई को है बाकी इच्छा मत करै,” तौ मैं ऐसी इच्छा कै जानतोई नाय।
8 लेकिन बौ आग्या के जरिया पाप मेरे मैं सबै तरह की लालची इच्छन कै जगान को मौका पाई। काहैकि बगैर नियम के तौ पाप मरो भौ है।
9 मैं तौ पहले बगैर नियम के जिंदो रहौं लेकिन जब आग्या मिली, तौ पाप जी गौ, और मैं मर गौ।
10 और बहे आग्या जो मेरी जिंदगी के ताहीं रहै, मेरे ताहीं मरन की बजह बनी।
11 काहैकि पाप मौका मारकै आग्या से मोकै फुसलाई, और बहे की बजह से मोकै मारियो डारी।
12 तभई के मारे नियम पवित्र है, और आग्या पवित्र, धर्मी और अच्छी है।
13 तौ का बौ जो अच्छो रहै, मेरे ताहीं मौत ठहरो? कतईये नाय! लेकिन पाप बौ अच्छी चीजन से मेरे ताहीं मौत कै पैदा करन बारो भौ, ताकी पाप को असली रूप सामने आए सकै। और तभई आग्या के जरिया पाप कै औरौ खतरनाक तरीका से पाप के रूप मैं दिखाओ गौ है।
खुद मैं संघर्स
14 हम जानथैं कि नियम तौ आध्यात्मिक है, लेकिन मैं सारीरिक हौं और पाप के हात मैं बिको भौ हौं।
15 मोकै समझ मैं नाय आए रौ है कि मैं का करौं; काहैकि मैं बौ ना करथौं जो मोकै करनो चाहिए, लेकिन जाके बजाय मैं बहे करथौं जोसे मैं नफरत करथौं।
16 काहैकि मैं जो कहथौं, बहे करथौं, जासे पता लगथै कि मैं मानथौं कि नियम ठीक है।
17 तौ ऐसे हालत मैं बाकै करन बारो मैं नाय, बल्किन बौ पाप है जो मेरे भीतर है।
18 मैं जानथौं, कि मेरे सरीर के भीतर कोई अच्छी चीज नाय बास करथै, मन तौ मेरो होथै, भलेई अच्छो करन की इच्छा मेरे मैं है, लेकिन भले काम मोसे होतै ना हैं।
19 काहैकि जो अच्छो काम करन को मेरो मन होथै, बौ तौ मैं करतै नाय हौं, लेकिन जो खराब काम के ताहीं मन नाय करथै, बहे काम करथौं।
20 अगर मैं बे काम करथौं जोको मेरो मन नाय करथै, जाको मतलब बे काम कै करन बारो मैं नाय रहौं, लेकिन पाप जो मेरे भीतर है बहे जे काम करथै।
21 तौ मोकै जो नियम मिलथै कि जब मैं भले काम करन की सोचथौं: जब मैं बौ करनो चाहथौं जो अच्छो है, तौ बुराई मेरे झोने आथै।
22 काहैकि मैं अपने अंदर की इंसानियत से तौ परमेस्वर के नियम से भौतै खुस रहथौं।
23 लेकिन मोकै मेरे सरीर के हिस्सन मैं कुछ अलगै जैसो नियम दिखाई देथैं, जो मेरे अकल के नियम से लड़थैं और मोकै पाप के नियम के भँदना मैं डरात रहथैं जो मेरे सरीर के हिस्सन मैं हैं।
24 मैं कैसो दुखी आदमी हौं! जौ सरीर से मोकै कौन छुड़ाबैगो जो मोकै मौत के घाट उतार रहो है?
25 हमरे प्रभु ईसु मसीह के जरिये, परमेस्वर को धन्यवाद होबै! जौ फिर मेरी स्थिति है: अपने दम पर मैं अपने मन से सिरफ परमेस्वर के नियम की सेवा करथौ, जबकी मेरो इंसान को स्वभाव पाप के नियम को काम करथै।