रोमियों को कै की चिट्ठी
रोमियों कै पौलुस की चिट्ठी
परिचय
रोमियों की किताब प्रेरित पौलुस लमसम 54-58 साल मैं ईसु के पैदा होन के बाद लिखी रहै। पौलुस अभैले रोम को दौरा नाय करी रहै, तभईये बौ जौ चिट्ठी मसीहियन कै निर्देस देन के ताहीं यहूदि और गैर-यहूदि कै पनारी। बौ कुरिन्थ सहर से चिट्ठी लिखी रहै, जहाँपै बौ, पहले रहेत रहै। पौलुस जहे ताहीं लिखी ताकी सबै देस ईसु मसीह मैं बिस्वास और आग्या पालन कर सकैं। 16:26
रोमियों की किताब हर जघा और हर समय मसीहियन के ताहीं भौत जरूरी किताब है, काहैकि पौलुस सपा-सपा और अच्छे तरीका से समझाथै कि आपन ईसु मसीह के उद्धार के बारे मैं बताए सकथैं। पौलुस ईसु मसीह के सुसमाचार कै पुराने नियम से भी जोड़ी। कई विद्वानन को कहनो है कि किताब मैं सबसे जरूरी किताब है जो कहथै, 1:16“मोकै सुसमाचार से कोई सरम नाय है, काहैकि जौ सबन के ताहीं परमेस्वर की सक्ति है जो मानथै: पहले यहूदि के ताहीं, फिर गैर यहूदि के ताहीं।” रोमियों को पहलो भाग1–12 गहरो धर्मसास्त्र है और दुसरो भाग13–15 मैं मसीह हुई जिंदगी के ताहीं निरे आग्या पालन के निर्देस हैं।
रूपरेखा
1. पौलुस अपनी चिट्ठी अपनिए बारे मैं बतात भै लिखी, कि बौ कौनकै लिखत रहै। 1:1-15
2. जाके बाद बौ ईसु मसीह के जरिया से इंसानन कि हालत और उद्धार के बारे मैं लिखथै। 1:16–11:36
3. जाके बाद पौलुस मसीह जिंदगी जीन ताहीं कई आग्या पालन को निर्देस देथै। 12:1–15:13
4. बौ रोम की (16) कलीसिया मैं लोगन कै कई सुभकामनाय दैकै रोमियों कि किताब कै खतम करथै।
1
1 पौलुस के घाँईं से जो ईसु मसीह को सेवक है, और प्रेरित होन के ताहीं मस्काओ गौ, और परमेस्वर के बौ सुसमाचार के ताहीं अलग करो गौ है।
2 सुसमाचार की प्रतिग्या भौत पहले परमेस्वर अपने भविस्यवक्तन के जरिये करी रहै, जैसो कि पवित्र सास्त्र मैं लिखो है।
3 अपनेई लौड़ा हमरे प्रभु ईसु मसीह के बारे मैं वादा करी है बौ सरीर से तौ राजा दाऊद की पीढ़ी से भौ है।
4 और पवित्रता की आत्मा से भरकै मरे भौ से, जिंदो होन की बजह से सामर्थ्य के संग परमेस्वर को लौड़ा प्रभु ईसु मसीह ठहरो है।
5 बहे की बजह से हमकै दया और प्रेरिताई मिली की बाके नाओं से सबै जाति के लोग बिस्वास करकै बाकी मानैं,
6 जित्ते हैं उन्हऊँ मैं से तुम्हऊँ ईसु मसीह के होन के ताहीं बुलाए गै हौ।
7 बे सबन के जो रोम देस मैं परमेस्वर के प्रिय हैं और पवित्र होन के ताहीं मस्काए गै हैं: आपन के परम दऊवा परमेस्वर और प्रभु ईसु मसीह के घाँईं से तुमकै दया और सांति मिलत रहबै।
धन्यवाद की प्रार्थना
8 सबसे पहले मैं तुम सबन के ताहीं ईसु मसीह के घाँईं से अपने परमेस्वर कै धन्यवाद करथौं, काहैकि तुमरे बिस्वास की बात पूरी दुनिया मैं हुई रइ है।
9 परमेस्वर जो की सेवा मैं अपनी आत्मा से बाके लौड़ा के सुसमाचार के बारे मैं कहथौं, बहे मेरो गभा है कि मैं तुमकै कैसे करकै हमेसा याद करत रहथौं,
10 और हमेसा अपनी प्रार्थना मैं नहोरे करथौं कि कैसियो करकै अब तुमरे झोने आन ताहीं मेरो सफर परमेस्वर की मरजी से पूरो होबै।
11 काहैकि मैं तुमसे मिलन की इच्छा करथौं, ताकी तुम्हैं ऐसो आध्यात्मिक वरदान को उपहार देमौं जोसे तुम मजबूती से बने रहाबौ;
12 मतलब की जब मैं तुमरे बीच मैं होमौं, तौ हम बौ बिस्वास से जो मेरे मैं है और तुम मैं है, एक दुसरे कै उकसात जामैं।
13 भईय्यौ और बहेनियौ, मैं नाय चाहथौं कि तुम जासे बेखबर रहबौ कि मैं, निरे बार तुमरे झोने आनो चाहो, कि जैसो मोकै दुसरे गैर यहूदि मैं बिस्वास रूपी फल मिलो, बैसिये तुम्हऊँ मैं मिलै, लेकिन हबै ले दिक्कतै आत गईं।
14 मैं यूनानियन और परदेसी, और अकल बारेन और बेअकलिन को कर्जदार हौं।
15 मैं तुम्हऊँ कै जो रोम देस मैं रहथौ, सुसमाचार सुनान के ताहीं कतई तैयार हौं।
सुसमाचार की ताकत
16 काहैकि मैं सुसमाचार से नाय सरमाथौं, जहेमारे बौ सबै बिस्वास करन बारेन के ताहीं पहले तौ यहूदि फिर यूनानी के उद्धार के ताहीं परमेस्वर की सामर्थ्य है।
17 काहैकि सुसमाचार मैं परमेस्वर की धार्मिकता बिस्वास से और बिस्वास के ताहीं दिखाई देथै; जैसो कि लिखो है, “बिस्वास से धर्मी लोग जिंदे रहमंगे।”
इंसान को पाप
18 परमेस्वर को गुस्सा उन लोगन की अभक्ति और अधर्म जो स्वर्ग से दिखाई देथै, जो सच्चाई कै अधर्म से दबाय कै रखथैं।
19 परमेस्वर उनकै सजा देगो, काहैकि परमेस्वर को ग्यान उनके मन मैं दिखाई दौ है, और परमेस्वर बाकै दिखाई है।
20 काहैकि परमेस्वर के अनदेखे गुन, मतलब बाकी अनंत सामर्थ्य, और परमेस्वरत्व दुनिया की उत्पत्ति के समय से बाके काम के जरिया देखन मैं आथैं, इसलै उनके झोने कोई उत्तर नाय है।
21 जहे वजह से परमेस्वर कै जानत भै बाके काबिल कोई बड़ाँईं और धन्यवाद नाय करीं, पर बे बेकार बिचार करन लागे, हिंयाँ तक कि उनको र्निबुद्धि मन अंधियारो हुई गौ।
22 बे अपने आपकै अकल बारे जताथैं, पर बे मूर्ख हैं;
23 और अविनासी परमेस्वर की महिमा कै, नास होन बारे इंसान, चिरईंयाँ, जानवर और घिसटन बारे कीरा करमोला की मूर्ति के हानी बदल दईं।
24 जहे बजह से परमेस्वर उनकै उनकी मन की अभिलासा के जरिया असुद्धता ताहीं छोड़ दई कि बे आपस मैं अपनेई सरीर को बुरो करन लगे।
25 काहैकि बे परमेस्वर की सच्चाई कै बदलकै झूठ कर दईं, और जो कुछ परमेस्वर बनाई रहै; बहे की उपासना करीं, ना की बौ बनान बारे की जो हमेसा ताहीं धन्य है! आमीन।
26 तभई परमेस्वर उनकै बेकार इच्छा के वस मैं छोड़ दई; हिंयाँ ले की उनकी बईंय्यरौं जो अपने लोगा संग सम्बंध रखनो चाहिए रहै छोड़कै परायन के संग गलत सम्बंध रखन लागीं।
27 ऐसिये आदमियौं अपनी बईय्यर संग सम्बंध छोड़कै एक दुसरे संग इच्छा मैं जलन लागे। और आदमी-आदमी के संग गलत काम करन लागे। उनकै अपनेई बुरे काम की बजह से बुरो फल मिलन लागो।
28 जब बे परमेस्वर कै नाय पहेचाननो चाँहीं, तौ परमेस्वरौ उनकै उनके निठल्ले मन मैं छोड़ दई कि बे ना करन बारे भी काम करैं।
29 तभईये बे सबै तरहन के अधर्म, दुस्टता, लालच और एक दुसरे को बुरो करन बारे बन गै; और डहान बारे और मारन और लड़न और धोका, और जलन से भर गै। बे चुगल्या,
30 और बदनामी करन बारे, परमेस्वर कै अच्छो ना मानन बारे, दुसरेन को आदर नाय करन बारे, अभिमानी, फोकिया, बुरी बात करन बारे, अपने अईय्या-बाबा को कहनो नाय मानन बारे;
31 बेअकली, भरोसो तोड़न बारे, प्यार ना करन बारे और दया ना करन बारे हुईगै हैं।
32 बे तौ परमेस्वर की जौ नियम जानथैं, कि ऐसे-ऐसे काम करन बारे मौत की सजा के लायक हैं, तहुँओं बे ऐसो काम करथैं, बल्किन करन बारेन कै बढ़ावा देथैं।