11
पौलुस और गलत प्रेरित
1 अगर तुम मेरी मूर्खता झेल लेते तौ का भलो होतो; हाँ, मेरी झेलियो लेथौ!
2 मैं तुमरे बारे मैं परमेस्वर कि धुन लगाए रखाथौं, जौ ताहीं कि मैं एकै आदमी से तुमरी बात चलाओ हौं, तुमकै सुद्ध कुवाँरी के हानी मसीह के संग बिहा करन को वादा करो हौं।
3 मोकै डर है कि तुमरे दिमाक भ्रस्ट हुई जांगे और तुम मसीह के ताहीं अपनी पूरी पवित्रता कै छोड़ देगे, बसिये जैसे हव्वा कै साँप को चालाँक झूठ धोका दई रहै।
4 काहैकि तुम खुसी-खुसी कोई कै भी बरदास कर लेथौ जो तुमरे झोने आथै और एक अलग ईसु को प्रचार करथै, ना कि बौ जो हम प्रचार करे रहैं; और तुम आत्मा और सुसमाचार कि आत्मा और तुमसे मिलै भै सुसमाचार कै पूरी तरह से अपनाथौ!
5 मोकै ना लगथै, कि मैं कोई से कछु बात मैं बड़े से बड़े “प्रेरितन” से कम नाय हौं।
6 अगर मैं बोलन मैं अनाड़ी हौं, लेकिन अकल मैं नाय हौं। हम जाकै हर बातन मैं सब तरहन से तुमरे लै दिखाए हैं।
7 जब मैं तुमकै परमेस्वर को सुसमाचार को उपदेस दौ तौ मैं तुमसे को फीस ना लौ; मैं तुमकै जरूरी बनान के ताहीं खुदकै विनम्र बनाओ। का बौ मेरे ताहीं पाप रहै?
8 मैं और दुसरी कलीसियन कै लूटो, मतलब मैं उनसे दिहाड़ी लौ ताकी तुमरी सेवा करौं।
9 और जब मैं तुमरे संग रहौं और मोकै घटी पड़ी, तौ मैं कोई के ऊपर बोझ नाय डारो, भईय्या मकिदुनिया से आयकै मेरी घटी कै पूरो करीं; और मैं हर बातन मैं अपने आपकै तुमरे ऊपर बोझ बनन से रोको: और रोके रखांगो!
10 अगर मेरे अंदर मसीह की सच्चाई है, तौ अखाया देस मैं कोई मोकै जौ घमंड से ना रोकैगो।
11 काहेकै? का जौ ताहीं कि मैं तुमसे प्यार नाय करथौं? परमेस्वर जौ जानथै, कि मैं प्यार करथौं!
12 लेकिन जोमैं करथौं, बहे करत रैहंगो; कि जो “प्रेरित” दाँव ढूँड़थैं, उनकै मैं दाँव मिलन नाय देमौं, ताकी जो बात से बे घमंड करथैं, बामै बे हमरे बराबर माने जामैं।
13 ऐसे लोग झूठे प्रेरित, और छल से काम करन बारे हैं, और मसीह के असली प्रेरितन के हानी दिखन के ताहीं खुदकै भटकाथैं।
14 और जौ अचम्मो होन बारी बात नाय है! सैतान खुदै ज्योतिर्मै स्वर्गदूत को रूप धरथै!
15 जहे ताहीं अगर बाके सेवा करन बारेयौ धर्म सेवा के सेवक के तराहनी रूप धरैं, तौ कोई बड़ी बात नाय है, लेकिन उनको खात्मा उनके कामन के हिसाब से होगो।
प्रेरित के रूप मैं पौलुस को दुख
16 मैं फिर से कहथौं, कोई मोकै मूर्ख नाय समझै; ना तौ मूर्खै समझकै मेरी सह लेयौ, ताकी थोड़ी सो महुँ घमंड कर सकौं।
17 जौ आत्मविस्वासी बेधड़क घमंड से जो कछु मैं कहथौं, बौ प्रभु की आग्या के हिसाब से नाय पर मानौं मूर्खतै से कहथौं।
18 जबकी भौत से लोग सरीर के हिसाब से घमंड करथैं, तौ महुँ ऐसोई करंगो।
19 तुम तौ समझदार हुईकै खुसी से मूर्खन की सह लेथौ!
20 तुम कोई कै भी झेलथौ जो तुमरे बारे मैं आदेस देथै या तुमरो फायदा उठाथै या तुमकै फसाथै या तुमकै नीचो दिखाथै या तुमकै चाँटा मारथै।
21 मोकै सरम आथै कि हम बे चीजन कै करन के ताहीं बड़ा डराय गै रहै! अगर कोई मैं कोई चीज के बारे मैं सेखी मारन कि हिम्मत करथै, मैं मूर्खता से कहथौं, तौ महुँ हिम्मत करथौं।
22 का बेईं इब्रानी हैं? महुँ हौं; का बेईं इस्राएली हैं? महुँ हौं। का बेईं अब्राहम के बंस हैं? महुँ हौं।
23 का बेईं मसीह की सेवा करन बारे हैं (मैं पागल हानी कहथौं) मैं उनसे अच्छो सेवक हौं! जद्धे मेहनत करन मैं; बार-बार कैद होन मैं; कोड़े खान मैं; बार-बार मौत के जोखिमन मैं।
24 पाँच बार मैं यहूदियन के हाथ से उन्तालीस कोड़े खाओ;
25 तीन बार मैं बेंथ कि मार खाओ; एक बार मेरे ऊपर पथराव करो गौ; तीन बार जहाज जिनमैं मैं चढ़ो रहों, एक बार मैं चौबीस घंटा पानी मैं बिताओ।
26 मैं बार-बार सफर मैं; नदियन के खतरन मैं; डाँकुअन के खतरन मैं; अपने संग बारे यहूदिन से खतरन मैं, और गैर यहूदि के खतरन मैं; सहरन मैं खतरन, बन के खतरन मैं; ऊँचे समुंदर के खतरन मैं; झूठे दोस्तन के बीच खतरन मैं रहो।
27 मैं भौत रातन कि नींद हराम करत भइ मेहनत और लंबे समय ले काम करो हौं। मोकै भूंक और प्यास लगी है और मैं अक्सर बिना खानु खाए चलो जाथौं। मैं ठंड मैं कपकपाए रौ हौं, बिना लत्तन के मोकै गरम रखत के ताहीं।
28 और दुसरी बातन कै छोड़कै जोकी बात मैं नाय करथौं, सब कलीसियन की फिकर रोजाना मोकै दबाथैं।
29 कौनकी कमजोरी से मैं कमजोर नाय होथौं? कौनके ठोकर खान से मेरो जी नाय दुखथै।
30 अगर घमंड करनो जरूरी है, तौ मैं अपनी निर्बलता की बातन मैं घमंड करंगो। जौ दिखाथै कि मैं कितनो कमजोर रहौं।
31 प्रभु ईसु को परमेस्वर और परम दऊवा जो हमेसा धन्य है! बौ जानथै कि मैं झूठ नाय बोलथौं।
32 जब मैं दमिस्क मैं रहैं, तौ राजा अरितास के अधीन राज्यपाल मोकै गिरफ्तार करन के ताहीं सहर के फाटक मैं पहरुवा लगबाए दई।
33 पर मैं बितौला मैं खिड़की से हुईकै दीवार मैं से उतारो गौ, और बाके हात से बच निकरो।