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योग्य सेवकक प्रमाण कोरिन्थी मण्डली
1 की हम सभ फेर अपने प्रशंसा करऽ लगलहुँ? की किछु आन लोक सभ जकाँ हमरो सभ केँ एहि बातक आवश्यकता अछि जे सिफारिश-पत्र अहाँ सभ केँ देखाबी अथवा अहाँ सभ सँ लिखाबी?
2 हमरा सभक पत्र तँ अहीं सभ छी जे हमरा सभक हृदय पर लिखल गेल छी आ जकरा सभ केओ देखि आ पढ़ि सकैत अछि।
3 ई स्पष्ट अछि जे अहाँ सभ मसीहक पत्र छी जकरा ओ हमरा सभ सँ लिखबौलनि। ई पत्र मोइस सँ नहि, बल्कि जीवित परमेश्वरक आत्मा सँ, पाथरक पाटी पर नहि, बल्कि मानव हृदयक पाटी पर लिखल गेल अछि।
4 एहन बात कहबाक साहस एहि लेल अछि जे हमरा सभ केँ मसीहक कारणेँ परमेश्वर पर भरोसा अछि।
5 ई नहि, जे हम सभ अपने एतेक योग्य छी जे अपने सँ किछु कऽ सकबाक दावा करी, बल्कि हमरा सभक योग्यता तँ परमेश्वरेक दिस सँ अबैत अछि।
6 वैह हमरा सभ केँ योग्य बनौने छथि, जाहि सँ हम सभ ओहि नव सम्बन्धक विषय मे सुना सकी जे परमेश्वर अपन वचन दऽ कऽ मनुष्यक संग स्थापित कयने छथि। ई नव सम्बन्ध अक्षर सँ लिखल विधान द्वारा स्थापित नहि भेल, बल्कि परमेश्वरक आत्मा द्वारा, किएक तँ अक्षर वला विधान मारैत अछि मुदा आत्मा जीवन दैत छथि।
नव विधान पुरान विधान सँ श्रेष्ठ
7 आब सोचू। मूसा केँ देल गेल विधान जे पाथर पर खोधि कऽ लिखल छल से मृत्यु मे लऽ जाइत छल। तैयो ओ एहन महिमाक संग आयल जे मूसाक मुँह सेहो एतेक चमकैत छल जे इस्राएली सभ एकटक लगा कऽ हुनका मुँह दिस नहि देखि सकल, जखन कि ओ चमक तुरत फेर मन्द पड़ऽ लगैत छल। जँ मृत्यु दिआबऽ वला विधान एतेक महिमामय छल,
8 तँ की पवित्र आत्मा दिआबऽ वला विधान ओहि सँ आरो बेसी महिमामय नहि होयत?
9 जखन दोषी ठहराबऽ वला विधान एतेक महिमामय छल तँ की धार्मिक ठहराबऽ वला विधान ओहि सँ बहुत अधिक महिमामय नहि होयत?
10 वास्तव मे, ओ जे पहिने महिमामय छल, तकरा एहि सर्वश्रेष्ठ महिमाक सम्मुख आब कोनो महिमा नहि छैक।
11 किएक तँ जखन नहि टिकऽ वला विधान एतेक महिमामय छल तँ सदा अटल रहऽ वला विधान कतेक आरो महिमामय होयत!
12 हमरा सभक एहने आशा होयबाक कारणेँ हम सभ साहसपूर्बक बजैत छी।
13 हम सभ मूसा जकाँ नहि छी। मूसा तँ अपना मुँह पर परदा रखने रहैत छलाह जाहि सँ इस्राएली लोक सभ लुप्त होमऽ वला चमक पर अन्त तक नजरि नहि टिकौने रहय।
14 मुदा ओकरा सभक मोन कठोर कयल गेल छलैक। आइओ धरि जखन पुरान विधान पढ़ल जाइत अछि तँ वैह परदा लागल रहैत छैक। ओ हटाओल नहि गेल अछि किएक तँ ओकरा मात्र मसीह द्वारा हटाओल जाइत अछि।
15 हँ, आइओ जखन मूसाक धर्म-नियम पढ़ल जाइत अछि तँ ओकरा सभक मोन पर परदा टाँगल रहैत छैक।
16 मुदा जखने केओ प्रभु लग फिरैत अछि तँ ओ परदा हटा देल जाइत अछि।
17 जाहि प्रभु लग फिरबाक अछि, से नव विधानक ओ आत्मा छथि, आ जतऽ प्रभुक आत्मा छथि ततऽ स्वतन्त्रता अछि।
18 मुदा अपना सभक मुँह पर परदा नहि अछि आ जहिना अएना मे देखल जाइत अछि, तहिना अपना सभ प्रभुक महिमाक प्रतिबिम्ब देखैत छी। संगहि अपना सभ क्रमशः बढ़ैत मात्रा मे ओहि महिमामय रूप मे बदलल जाइत छी। ई रूपान्तर प्रभुक, अर्थात् पवित्र आत्माक, काज छनि।