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जब पाचवों स्वर्गदूत न तुरही फूकी, त मय न स्वर्ग सी धरती पर एक तारा गिरतो हुयो देख्यो, अऊर ओख अधोलोक कुण्ड की कुंजी दी गयी। फिर ऊ तारा न अधोलोक कुण्ड ख खोल्यो, अऊर ओको म सी असो धुवा निकल रह्यो होतो जसो ऊ एक बड़ी भट्टी सी निकल रह्यो हय, अऊर अधोलोक सी निकल्यो हुयो सी सूरज अऊर हवा कालो पड़ गयो। ऊ धुवा म सी धरती पर टिड्डियां निकली, अऊर उन्ख धरती की बिच्छूवों को जसी शक्ति दी गयी। उन्को सी कह्यो गयो कि नहीं धरती की घास ख, नहीं कोयी हरियाली ख, नहीं कोयी झाड़ ख हानि पहुंचावों, केवल उन आदमियों ख हानि पहुंचावों जिन्को मस्तक पर परमेश्वर की मुहर नहीं होती। टिड्डियां को दल ख निर्देश दियो गयो होतो कि उन्ख लोगों ख मार डालन को त नहीं पर पाच महीना तक तकलीफ देन को अधिकार दियो गयो: अऊर उन्की यातना असी होती जसी बिच्छू को डंक मारनो सी आदमी ख होवय हय। उन पाच महीना को अन्दर आदमी अपनी मृत्यु ख ढूंढेंन अऊर नहीं पायेंन; मरन की लालसा करेंन, अऊर उन्को सी मृत्यु दूर भगेंन।
हि टिड्डियां लड़ाई को लायी तैयार करयो हुयो घोड़ा को जसी दिख रह्यो होतो। अऊर उन्को मुंड पर सुनहरी सोनो को मुकुट होतो; अऊर उन्को मुंह आदमियों को जसो दिख रह्यो होतो। उन्को बाल बाईयों को बाल जसो अऊर दात सिंह को दात जसो होतो। उन्की छाती असी दिख रही होती मानो लोहा की झिलम हो; अऊर उन्को पंखा को आवाज लड़ाई म जातो हुयो बहुत सारो घोड़ा को रथों सी पैदा हुयो आवाज को जसी होती। 10 उन्की पूछी बिच्छूवों को डंक को जसी होती अऊर उन्म लोगों ख पाच महीना तक दु:ख पहुंचान की शक्ति मिली होती, 11 अधोलोक को दूत उन पर राजा होतो; ओको नाम इब्रानी म अबद्दोन, अऊर यूनानी म अपुल्लयोन जेको अर्थ हय “विनाशक।”
12 पहिली विपत्ति खतम भय गयी हय, देखो, अब येको बाद दोय विपत्तिया अऊर आवन वाली हंय।
13 फिर छठवो स्वर्गदूत न तुरही फूकी त सोनो की वेदी जो परमेश्वर को सामने हय ओको सींगो म सी मय न असो आवाज सुन्यो, 14 मानो कोयी छठवो स्वर्गदूत सी, जेको जवर तुरही होती, कह्य रह्यो हय, “उन चार स्वर्गदूतों ख जो बड़ी नदी फरात को जवर बन्ध्यो हुयो हंय, खोल दे।” 15 त चारयी दूत छोड़ दियो गयो हि उच घड़ी, उच दिन, उच महीना, अऊर उच साल को लायी तैयार रख्यो गयो होतो, ताकी हि एक तिहाई मानव जाति ख मार डाले। 16 उन्की घुड़सवार सैनिकों की गिनती बीस करोड़ होती; मय न उनकी गिनती सुनी। 17 मोख यो दर्शन म घोड़ा अऊर उन्को असो सवार दिखायी दियो जिन्की छाती की झिलम धधकती आगी जसी लाल, अऊर गहरो निलो, अऊर गन्धक जसो पिलो दिखायी दियो, अऊर घोड़ा की मुंड सिंहों को मुंड को जसो अऊर उन्को मुंह सी आगी, धुवा अऊर गन्धक निकलन को जसो दिखायी दियो। 18 इन तीन महामारियों मतलब उन्को मुंह सी निकल रही आगी, धुवा अऊर गन्धक सी एक तिहाई मानव जाति ख मार डाल्यो गयो। 19 कहालीकि उन घोड़ा की सामर्थ उन्को मुंह अऊर उन्की पूछी म होती; येकोलायी कि उन्की पूछी सांपो जसी होती, अऊर उन पूछी की मुंड भी होतो अऊर इन्को सी हि हानि पहुंचात होतो।
20 इन पर बाकी को असो मानव जाति न जो इन महामारी सी भी नहीं मरयो गयो होतो, अपनो हाथों को बनायो हुयो चिजों सी मन नहीं फिरायो, तथा दुष्ट आत्मावों की, यां सोनो, चांदी, कासा, गोटा अऊर लकड़ी की मूर्तियों की आराधना नहीं छोड़ी जो नहीं देख सकय हय, नहीं सुन सकय हय, अऊर नहीं चल सकय हंय। 21 अऊर जो हत्यायें, जादूटोना, व्यभिचार, अऊर चोरी उन्न करी होती, उन्को सी मन नहीं फिरायो।