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कोढ़ को रोगी ख चंगो करनो
(मरकुस १:४०-४५; लूका ५:१२-१६)
1 जब यीशु पहाड़ी सी उतरयो, त एक बड़ी भीड़ ओको पीछू भय गयी।
2 अऊर देखो, एक कोढ़ी न जवर आय क ओख प्रनाम करयो अऊर कह्यो, “हे प्रभु, यदि तय चाहवय, त मोख शुद्ध कर सकय हय।”
3 यीशु न हाथ बढ़ाय क ओख छूयो, अऊर कह्यो, “मय चाहऊ हय, तय शुद्ध होय जा।” अऊर ऊ तुरतच कोढ़ सी चंगो भय गयो।
4 यीशु न ओको सी कह्यो, “देख, कोयी सी मत कहजो, पर जाय क अपनो आप ख याजक ख दिखाव अऊर जो चढ़ावा मूसा न ठहरायो हय ओख भेंट चढ़ाव, ताकि लोगों लायी गवाही हो।”
एक सूबेदार को विश्वास
(लूका ७:१-१०)
5 जब ऊ कफरनहूम नगर म आयो त एक रोमन अधिकारी न ओको जवर आय क ओको सी बिनती करी,
6 “हे प्रभु, मोरो सेवक ख घर म लकवा मारयो हय अऊर ओख बहुत दु:ख होय रह्यो हय।”
7 यीशु न ओको सी कह्यो, “मय आय क ओख चंगो करूं।”
8 जवाबदार अधिकारी न उत्तर दियो, “हे प्रभु, मय यो लायक नहाय कि तय मोरो छत को खल्लो आये, पर केवल आज्ञा दे त मोरो सेवक चंगो होय जायेंन।
9 कहालीकि मय भी दूसरों को अधीन हय, अऊर सिपाही मोरो अधीन हंय। जब मय एक सी कहूं हय, ‘जा!’ त ऊ जावय हय; अऊर दूसरों सी कहूं हय, ‘आव!’ त ऊ आवय हय; अऊर जब अपनो सेवक सी कहूं हय, ‘यो कर!’ त ऊ करय हय।”
10 यो सुन क यीशु ख अचम्भा भयो, अऊर जो ओको पीछू आय रह्यो होतो उन्को सी कह्यो, “मय तुम सी सच कहू हय कि मय न इस्राएल म भी असो विश्वास नहीं पायो।
11 अऊर मय तुम सी कहू हय कि पूर्व अऊर पश्चिम सी बहुत सो लोग आय क अब्राहम अऊर इसहाक अऊर याकूब को संग स्वर्ग को राज्य म भोज म बैठेंन।
12 पर राज्य को प्रजा बाहेर अन्धारो म डाल दियो जायेंन: उत रोवनो अऊर दात को कटरनो होयेंन।”
13 तब यीशु न अधिकारी सी कह्यो, “जा, जसो तोरो विश्वास हय, वसोच तोरो लायी हो।”
अऊर ओको सेवक उच घड़ी चंगो भय गयो।
यीशु द्वारा रोगियों ख चंगो करनो
(मरकुस १:२९-३४; लूका ४:३८-४१)
14 यीशु जब पतरस को घर आयो, त ओन पतरस की सासु ख बुखार म पड़ी देख्यो।
15 यीशु न ओको हाथ छूयो अऊर ओको बुखार उतर गयो, अऊर वा उठ क ओकी सेवा-भाव करन लगी।
16 जब शाम भयी तब हि ओको जवर बहुत सो लोगों ख लायो जेको म दुष्ट आत्मायें होती अऊर यीशु न उन आत्मावों ख अपनो वचन सी निकाल दियो; अऊर सब बीमारों ख चंगो करयो।
17 ताकि जो वचन यशायाह भविष्यवक्ता सी कह्यो गयो होतो ऊ पूरो हो: “यीशु न खुदच हमरी कमजोरियों ख पकड़ लियो अऊर हमरी बीमारियों ख उठाय लियो।”
यीशु को चेला बनन की कीमत
(लूका ९:५७-६२)
18 यीशु न जब अपनो चारयी तरफ एक बड़ी भीड़ देखी त चेलां ख झील को ओन पार जान को आदेश दियो।
19 तब एक धर्मशास्त्री न जवर आय क ओको सी कह्यो, “हे गुरु, जित कहीं तय जाजो, मय तोरो पीछू होय जाऊं।”
20 यीशु न ओको सी कह्यो, “लोमड़ियों की गुफा अऊर आसमान को पक्षिंयों को घोसला होवय हंय; पर आदमी को बेटा लायी मुंड रखन की भी जागा नहाय।”
21 एक अऊर चेला न ओको सी कह्यो, “हे प्रभु, मोख पहिले जान दे कि मय अपनो बाप ख गाड़ देऊ।”
22 यीशु न ओको सी कह्यो, “तय मोरो पीछू होय जा, अऊर मुर्दों ख अपनो मुर्दा गाड़न दे।”
आन्धी ख शान्त करनो
(मरकुस ४:३५-४१; लूका ८:२२-२५)
23 जब यीशु डोंगा पर चढ़्यो, त ओको चेला ओको पीछू गयो।
24 अऊर देखो, झील म अचानक असो बड़ो तूफान उठ्यो कि डोंगा लहर सी दबन लग्यो, पर यीशु सोय रह्यो होतो।
25 तब चेलावों न जवर आय क ओख जगायो अऊर कह्यो, “हे प्रभु, हम्ख बचाव, हम नाश होय रह्यो हंय।”
26 यीशु न उन्को सी कह्यो, “हे अविश्वासियों, कहाली डरय हय?” तब ओन उठ क आन्धी अऊर पानी ख डाट्यो, अऊर सब शान्त भय गयो।
27 अऊर हि अचम्भा कर क् कहन लग्यो, “यो कसो आदमी आय कि आन्धी अऊर पानी भी ओकी आज्ञा मानय हंय।”
यीशु दुष्ट आत्मा–ग्रस्त लोगों ख चंगो करनो
(मरकुस ५:१-२०; लूका ८:२६-३९)
28 जब यीशु ओन पार गदरेनियों को देश म पहुंच्यो, त दोय आदमी जिन्म दुष्ट आत्मायें होती कब्रो सी निकलतो हुयो ओख मिल्यो। हि इतनो खतरनाक होतो कि कोयी ऊ रस्ता सी जाय नहीं सकत होतो।
29 उन्न चिल्लाय क कह्यो, “हे परमेश्वर को बेटा, हमरो तोरो सी का काम? का तय समय सी पहिले हम्ख दु:ख देन ख इत आयो हय?”
30 उन्को सी कुछ दूरी पर बहुत सो डुक्करों को एक झुण्ड चर रह्यो होतो।
31 दुष्ट आत्मावों न ओको सी यो कह्य क बिनती करी, “यदि तय हम्ख निकालय हय, त डुक्करों को झुण्ड म भेज दे।”
32 यीशु न उन्को सी कह्यो, “जावो!” अऊर हि निकल क डुक्करों म समाय गयी अऊर देखो, पूरो झुण्ड ढलान पर सी झपट क झील को किनार पर गिर पड़्यो, अऊर पानी म डुब क मरयो।
33 उन्को चरवाहे भग क अऊर नगर म जाय क या सब बाते अऊर जेको म दुष्ट आत्मायें होती उन्को पूरो हाल सुनायो।
34 तब पूरो नगर को लोग यीशु सी मिलन ख निकल आयो, अऊर ओख देख क बिनती करी कि हमरी सीमा सी बाहेर चली जा।