11
शुद्ध अऊर अशुद्ध पशु
(व्यवस्थाविवरन 14:3-21)
1 फिर परमेश्वर न मूसा अऊर हारून सी कह्यो,
2 “इस्राएलियों सी कहो: जितनो पशु धरती पर हय उन सब म सी तुम इन जीवधारियों को मांस खाय सकय हय।”
3 पशुवों म सी जितनो चिरयो यां फट्यो खुरी को होवय हय अऊर कवरी करय हय, उन्ख खाय सकय हय।
4 पर कवरी करन वालो यां फटी खुरी वालो को अलावा इन जनावरों ख मत खावो, मतलब ऊंट, जो कवरी त करय हय पर चिरयो खुरी को नहीं होवय हय, येकोलायी ऊ तुम्हरो लायी अशुद्ध ठहरयो हय।
5 अऊर चट्टानी बिज्जू, जो कवरी त करय हय पर चिरयो खुरी को नहीं होवय, ऊ भी तुम्हरो लायी अशुद्ध होवय हय।
6 अऊर ससा, जो कवरी त करय हय पर चिरयो खुरी को नहीं होवय, येकोलायी ऊ भी तुम्हरो लायी अशुद्ध हय।
7 अऊर डुक्कर, जो चिरयो मतलब फटी खुरी को होवय त हय पर कवरी नहीं करय, येकोलायी ऊ भी तुम्हरो लायी अशुद्ध हय।
8 इन को मांस म सी कुछ मत खावो, अऊर इन्को लोथ ख छूवो भी मत; यो त तुम्हरो लायी अशुद्ध हय।
9 “फिर जितनो जलजन्तु हय उन म सी तुम इन ख खाय सकय हय, मतलब समुन्दर यां नदियों को जलजन्तुवों म सी जितनो को पंखा अऊर खिपला होवय हय उन्ख खाय सकय हय।”
10 अऊर जलचरी प्रानियों म सी जितनो जीवधारी बिना पंखा अऊर खिपला वालो जीव-जन्तु समुन्दर यां नदियों म रह्य हय हि सब तुम्हरो लायी अशुद्ध हय।
11 हि तुम्हरो लायी घृणित ठहरे; तुम उन्को मांस म सी कुछ मत खावो, अऊर उन की लोथों ख अशुद्ध जानो।
12 पानी म जो कोयी जन्तु को पंखा अऊर खिपला नहीं होवय ऊ तुम्हरो लायी अशुद्ध हय।
13 फिर पक्षियों म सी इन ख अशुद्ध जानो, हि अशुद्ध होन को वजह नहीं खानो चाहिये, गरूड़, दाढ़ी वालो गिधाड़, कारो चमगादड़,
14 लाल घार, अऊर कारी गिधाड़,
15 अऊर अलग अलग तरह को कौवा,
16 शुतुरमुर्ग, रात शिकरा, पानकोबंड़ी, अऊर अलग अलग तरह को शिकारी पक्षी,
17 पिंजल्ला, बगला, बड़ो घुबड़,
18 राजहंस, पानकोंबड़ी, गिधाड़,
19 सारस, सब तरह को बगला, टिटिहरी अऊर चमगादड़।
20 “जितनो पंखा वालो कीड़ा चार पाय को बल चलय हय हि सब तुम्हरो लायी अशुद्ध हय।”
21 पर रेंगन वालो अऊर पंखा वालो कीड़ा जो चार पाय को बल चलय हय, अऊर जिन्को पाय को ऊपर एक मुड़ी हुयी टांग होवय हय, जेको बल पर हि जमीन पर कूदय हय, उन्ख तुम खाय सकय हय।
22 तुम इन म सी खाय सकय हय सब तरह की टिड्डियां, भौरा, झींगुर अऊर सब तरह को टिड्डे।
23 पर अऊर सब रेंगन वालो पंखा वालो कीड़ा जो चार पाय वालो होवय हय हि तुम्हरो लायी अशुद्ध हय।
24 इन्को वजह तुम अशुद्ध ठहरो; जो कोयी सी इन की लोथ छुय जाये ऊ शाम तक अशुद्ध ठहरे।
25 अऊर जो कोयी इन्की लोथ म सी कुछ भी उठायेंन ऊ अपनो कपड़ा धोयेंन अऊर शाम तक अशुद्ध रहेंन।
26 फिर जितनो पशु चिरयो खुरी को होवय त हय पर पूरो तरह सी दोय हिस्सा म नहाय अऊर कवरी भी नहीं करय, हि तुम्हरो लायी अशुद्ध हंय; जो कोयी इन ख छुय लेयेंन ऊ अशुद्ध होय जायेंन।
27 अऊर चार पाय को बल चलन वालो पशु म सी जितनो पंजा को बल चलय हय हि सब तुम्हरो लायी अशुद्ध हय; जो कोयी उन्की लोथ छुय लेयेंन ऊ शाम तक अशुद्ध रहेंन।
28 अऊर जो कोयी उन्की लोथ उठायेंन ऊ अपनो कपड़ा धोये अऊर शाम तक अशुद्ध रहे; कहालीकि हि तुम्हरो लायी अशुद्ध हय।
29 जो धरती पर रेंगय हय उन म सी हि रेंगन वालो जन्तुवों तुम्हरो लायी अशुद्ध हय, मतलब मुंगुश, मुसा, अऊर अलग अलग तरह की बड़ी इजगुर,
30 अऊर इजगुर, मगर, सांपसिरोली, घोरपड़ अऊर डोकेला।
31 सब रेंगन वालो जन्तुवों म सीच तुम्हरो लायी अशुद्ध हय; जो कोयी इन्की लोथ ख छुयेंन त ऊ शाम तक अशुद्ध रहेंन।
32 अऊर इन म सी कोयी की लोथ जो कोयी चिज पर गिर जाये ऊ भी अशुद्ध ठहरे, चाहे ऊ लकड़ी को बर्तन होना, चाहे कपड़ा, चाहे खाल, चाहे बोरा, यां कोयी काम को कैसो भी बर्तन कहाली नहीं होना; ऊ पानी म डाल्यो जाये, अऊर शाम तक अशुद्ध रहेंन, येको बाद यो चिज शुद्ध मानी जायेंन।
33 यदि कोयी माटी को बर्तन म जन्तुवों को लोथ म सी कुछ गिर जाये, त ऊ बर्तन म जो कुछ भी होना ऊ अशुद्ध मान्यो जायेंन, तुम ऊ बर्तन ख तोड़ देवो।
34 यदि यो बर्तन को पानी कोयी भी खान की चिज पर गिर जाये, ऊ अशुद्ध होय जायेंन अऊर यदि असो बर्तन म पिवन लायी कुछ होना त ऊ भी अशुद्ध होय जायेंन।
35 अऊर यदि इन की लोथ म सी कुछ हिस्सा भट्टी यां चुलो पर गिर जाये त ऊ भी अशुद्ध होयेंन, अऊर ओख तोड़ दियो जाये; कहालीकि ऊ अशुद्ध हय, ऊ तुम्हरो लायी भी अशुद्ध होयेंन।
36 पर सोता यां तलाव जेको म पानी जमा होवय हय ऊ त शुद्धच रहे; पर जो कोयी इन की लोथ ख छुयेंन ऊ अशुद्ध ठहरेंन।
37 अऊर यदि इन की लोथ को कुछ हिस्सा बोयो जान वालो बीज पर गिर जाये, त ऊ बीज शुद्ध मान्यो जायेंन।
38 पर यदि बीज पर पानी डाल्यो गयो होना अऊर ऊ लोथ म सी कुछ हिस्सा ओको पर गिर जाये, त ऊ तुम्हरो लायी अशुद्ध ठहरेंन।
39 “फिर जिन पशुवों ख खान की आज्ञा तुम ख दी गयी हय यदि उन म सी कोयी पशु मर जाये, त जो कोयी उन्की लोथ ख छुयेंन ऊ शाम तक अशुद्ध रहेंन।”
40 अऊर ओकी लोथ म सी जो कोयी कुछ खाये ऊ अपनो कपड़ा धोये अऊर शाम तक अशुद्ध रहे; अऊर जो कोयी ओकी लोथ ख उठाये ऊ भी अपनो कपड़ा धोये अऊर शाम तक अशुद्ध रहे।
41 सब तरह को धरती पर रेंगन वालो जीव-जन्तु अशुद्ध हय; हि खायो नहीं जाये।
42 धरती पर सब रेंगन वालो जन्तुवों म सी जितनो पेट यां चार पाय को बल चलय हय, यां बहुत जादा पाय वालो होवय हय, उन्ख तुम मत खावो; कहालीकि हि अशुद्ध हय।
43 तुम अपनो आप ख रेंगन वालो जन्तुवों को द्वारा घृणित मत बनावो; अऊर नहीं उन्को द्वारा अपनो आप ख अशुद्ध कर क् अपवित्र होय जावो।
44 कहालीकि मय तुम्हरो परमेश्वर यहोवा आय; येकोलायी अपनो आप ख शुद्ध कर क् पवित्र बन्यो रहो, कहालीकि मय पवित्र हय। येकोलायी तुम कोयी तरह को रेंगन वालो जन्तुवों को द्वारा जो धरती पर चलय हय अपनो आप ख अशुद्ध मत करो।
45 “कहालीकि मय ऊ परमेश्वर आय जो तुम्ख मिस्र देश सी येकोलायी निकाल लायो हय कि तुम्हरो परमेश्वर ठहरू; येकोलायी तुम पवित्र बनो, कहालीकि मय पवित्र हय।”
46 पशुवों, पक्षियों, अऊर हर एक जनावरों, जो पानी म अऊर जमीन पर रेंगय हय उन्को लायी याच व्यवस्था हय,
47 जेकोसी शुद्ध अऊर अशुद्ध अऊर खान की यां नहीं खान की चिजों म भेद करयो जाय सके।