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दिना को भ्रष्ट करयो जानो
एक दिन लिआ की टुरी दीना, जो याकूब सी पैदा भयी होती, वा कनान देश की टुरियों सी भेंट करन ख गयी। तब ऊ देश को प्रधान हमोर होतो हमोर को टुरा को नाम शकेम होतो ऊ हिव्वी जाति को होतो, शकेम न दीना ख पकड़ लियो अऊर अपनो संग शारीरिक सम्बन्ध बनाय क ओख भ्रष्ट कर डाल्यो। तब शकेम को मन याकूब की टुरी दीना सी लग गयो, अऊर ओन दीना सी प्रेम की बाते करी, अऊर ओको सी प्रेम करन लग्यो। तब शकेम न अपनो बाप हमोर सी कह्यो, “मोख या टुरी ख मोरी पत्नी को रूप म दिलाय दे।”
अऊर याकूब न सुन्यो कि शकेम न मोरी टुरी दीना ख अशुद्ध कर डाल्यो हय; पर याकूब को टुरा ऊ समय जनावरों को संग मैदान म होतो, येकोलायी याकूब उन्को आनो तक चुप रह्यो। तब शकेम को बाप हमोर निकल क याकूब सी बातचीत करन लायी ओको जवर गयो। तब याकूब को टुरावों न दीना को बारे म असो सुन्यो त मैदान सी बहुत उदास अऊर गुस्सा सी आयो; कहालीकि शकेम न याकूब की टुरी को संग सोय क इस्राएली समाज म मुर्खतापूर्न काम करयो होतो, असो करनो बहुत गलत होतो हमोर न उन सब सी कह्यो, “मोरो टुरा शकेम तुम्हरी टुरी सी बहुत प्रेम करन लग्यो हय, कृपया अपनी टुरी ख पत्नी को रूप म शकेम ख प्रदान कर देवो। अऊर हम लोगों सी बिहाव को सम्बन्ध बान्धो; अपनी बेटियां हम्ख देवो, अऊर हमरी बेटियां तुम लेवो। 10 तब तुम हमरो संग यो देश म रह्य सको; यो देश को दरवाजा तुम्हरो लायी खुल जायेंन, यहां रहो अऊर व्यापार करो, अऊर धन सम्पत्ति कमाय लेवो।”
11 शकेम न भी दीना को बाप अऊर भाऊवों सी कह्यो, “यदि मोरो पर तुम लोगों की अनुग्रह की नजर हो, त जो कुछ तुम मोरो सी कहो, ऊ मय तुम्ख देऊं। 12 तुम मोरो सी कितनो भी ज्यादा दाम अऊर भेंट मांगो, उतनो मय तुम्ख तुम्हरो वचन को अनुसार देऊं; पर तुम केवल मोख अपनी टुरी पत्नी को रूप म प्रदान कर देवो।”
13 तब यो सोच क कि शकेम न हमरी बहिन दीना ख अशुद्ध करयो हय, याकूब को टुरावों न शकेम अऊर ओको बाप हमोर ख छल को संग यो उत्तर दियो, 14 हि बोल्यो “हम असो काम नहीं कर सकजे कि कोयी बिना खतना वालो आदमी ख हम अपनी बहिन देबो, कहालीकि येको सी हमरो अपमान होयेंन। 15 हम केवल यो शर्त पर तुम्हरी बात मान सकजे हंय कि हमरो जसो तुम्हरी जाति को हर एक आदमी को खतना करयो जाये। 16 तब हम अपनी बेटियां तुम लोगों ख देबो, अऊर तुम्हरी बेटियां हम अपनाय लेबो, अऊर तुम्हरो संग बस्यो भी रह्यबोंन, अऊर हम दोयी एकच जाति को आदमी बन जाबो। 17 पर यदि तुम हमरी बात नहीं मानो अऊर खतना नहीं करो, त हम अपनी टुरी ख ले क इत सी चली जाबो।”
18 उन्की यो बात पर हमोर अऊर ओको टुरा शकेम खुश भयो। 19 अऊर युवक शकेम न ओकी मांग ख पूरो करनो म देर नहीं करयो, कहालीकि ऊ याकूब की टुरी ख बहुत चाहत होतो। ऊ अपनो बाप को पूरो परिवार म बहुत ज्यादा महत्वपूर्न आदमी होतो।
20 येकोलायी हमोर अऊर ओको टुरा शकेम अपनो नगर को फाटक को जवर जाय क नगर म रहन वालो ख यो समझान लग्यो, 21 “हि आदमी हमरो संग मिलझुल क रहनो चाहवय हंय, येकोलायी उन्ख यो देश म रह्य क लेन देन करन देवो; देखो, यो देश की जमीन उन्को लायी भी बहुत हय; तब हम लोग उन्की टुरियों सी भी बिहाव कर लेबो, अऊर अपनी टुरियों ख भी उन्ख दियो करबो। 22 हि लोग केवल यो बात पर हमरो संग रहन लायी अऊर एकच जाति को लोग होय जान लायी राजी हंय कि उन्को जसो हमरो सब आदमियों को भी खतना करयो जाये। 23 तब उन्की शेरी मेंढियां, अऊर गाय बईल अऊर उन्को पूरो जनावर अऊर धन सम्पत्ति हमरी नहीं होय जायेंन? इतनोच करे कि हम लोग उन्की बात मान ले, त हि हमरो संग रहेंन।” 24 येकोलायी जितनो ऊ नगर की फाटक सी निकलत होतो, उन पूरो न हमोर की अऊर ओको टुरा शकेम की बात मानी; अऊर हर एक आदमी को खतना करयो गयो, जितनो ऊ नगर की फाटक सी निकलत होतो।
25 तीसरो दिन, जब खतना करयो वालो लोग दु:ख म पड़्यो होतो, तब असो भयो कि शिमोन अऊर लेवी नाम को याकूब को दोय टुरावों न, जो दीना को भाऊ होतो, अपनी अपनी तलवार धर क ऊ नगर म बेधड़क घुस क सब आदमियों ख मार डाल्यो। 26 हमोर अऊर ओको टुरा शकेम ख उन्न तलवार सी मार डाल्यो, अऊर दीना ख शकेम को घर सी निकाल क लिजायो। 27 याकूब को दूसरो टुरावों न मार डालन पर भी उन्न नगर ख येकोलायी लूट लियो कि ऊ नगर म उन्की बहिन अशुद्ध करी गयी होती। 28 उन्न शेरी मेंढी गाय बईल, गधा, अऊर नगर अऊर मैदान म जितनो धन होतो लूट लियो। 29 उन सब ख, अऊर उन्को बाल बच्चा, अऊर उन्की बाईयों ख भी लिजायो, अऊर घर घर म जो कुछ होतो उन्ख भी उन्न लूट लियो।
30 तब याकूब न शिमोन अऊर लेवी सी कह्यो, “तुम न जो यो देश को निवासी म कनानियों अऊर परिज्जी जाति को मन म मोरो खिलाफ नफरत पैदा करायी हय, येको सी तुम न मोख संकट म डाल्यो हय, कहालीकि मोरो संग त थोड़ो सोच लोग हंय; येकोलायी अब हि जमा होय क मोरो पर हमला करेंन, अऊर मोख मार डालेंन, त मय अपनो घराना सहीत नाश होय जाऊं।”
31 उन्न कह्यो, “का ऊ हमरी बहिन को संग वेश्या को जसो बर्ताव करे?”