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तब इसहाक न याकूब ख बुलाय क आशीर्वाद दियो, अऊर आज्ञा दी, “तय कोयी कनानी टुरी सी बिहाव मत कर लेजो। उठ अऊर पद्दनराम* म अपनो नाना बतूएल को घर जाय क, वहां अपनो मामा लाबान की एक टुरी सी बिहाव कर लेजो। सर्वशक्तिमान परमेश्वर तोख आशीष दे, अऊर तोख कुछ बच्चा दे क बढ़ाये, ताकि तय कुछ राष्ट्रों को बाप बन जाये। ऊ तोख अऊर तोरो वंश ख भी अब्राहम की जसी आशीष दे, कि तय यो देश जेको म तय परदेशी होय क रह्य हय, अऊर जेक परमेश्वर न अब्राहम ख दियो होतो, ओको अधिकार होय जाये।” यो तरह इसहाक न याकूब ख बिदा करयो, अऊर ऊ पद्दनराम ख अरामी बतूएल को बेटा लाबान को जवर चली गयो, जो याकूब अऊर एसाव की माय रिबका को भाऊ होतो।
एसाव को एक अऊर बिहाव करनो
जब एसाव ख पता चल्यो कि इसहाक न याकूब ख आशीर्वाद दे क पद्दनराम क्षेत्र भेज दियो, कि ऊ वहां सी पत्नी लाये, अऊर ओख आशीर्वाद देन को समय यो आज्ञा भी दी, “तय कोयी कनानी टुरी सी बिहाव मत कर लेजो,” अऊर याकूब अपनो माय बाप की आज्ञा मान क पद्दनराम ख चली गयो। तब एसाव यो सब देख क् अऊर यो भी सोच क कि कनानी टुरियां मोरो बाप इसहाक ख बुरी लगय हंय, येकोलायी ऊ अब्राहम को बेटा इश्माएल को जवर गयो, अऊर एश्माएल की टुरी महलत ख, जो नबायोत की बहिन होती, ओको सी बिहाव कर क् अपनी पत्नियों म मिलाय लियो।
बेतेल म याकूब को सपनो
10 याकूब बेर्शेबा सी निकल क हारान नगर को तरफ चल्यो। 11 अऊर ओन कोयी एक जागा म पहुंच क रात उतच बितावन को बिचार करयो, कहालीकि सूरज डुब गयो होतो; येकोलायी ओन ऊ जागा म गिरयो गोटा म सी एक गोटा ले क ओख अपनी मुंड को खल्लो रख्यो, अऊर ऊ उच जागा पर सोय गयो। 12 तब याकूब न सपनो म देख्यो, कि एक सीढ़ी धरती पर खड़ी हय, अऊर ओको सिरा स्वर्ग तक पहुंच्यो हय; अऊर परमेश्वर को दूत ओको पर सी चढ़य अऊर उतरय हंय। 13 अऊर यहोवा ओको ऊपर खड़ो होय क कह्य हय, “मय यहोवा, तोरो दादा अब्राहम को परमेश्वर, अऊर इसहाक को भी परमेश्वर आय; जो जमीन पर तय सोयो हय, ओख मय तोख अऊर तोरो वंश ख देऊं। 14 अऊर तोरो वंश जमीन की धूल को कन को जसो बहुत सारो होयेंन, अऊर पश्चिम, पूर्व, उत्तर, दक्षिन, चारयी तरफ फैलतो जायेंन : अऊर तोरो अऊर तोरो वंश को द्वारा धरती को पूरो वंशज आशीष पायेंन। 15 अऊर सुन, मय तोरो संग रहूं, अऊर जित कहीं तय जाजो उत तोरी रक्षा करूं, अऊर तोख यो देश म वापस ले आऊं: जो बात मय न तोरो सी कहीं हंय, जब तक उन्ख पूरी नहीं कर लेऊं तब तक तोख नहीं छोडूं।”
16 तब याकूब नींद सी जग गयो, अऊर कहन लग्यो, “निश्चय यो जागा म यहोवा हय; अऊर मय यो बात ख नहीं जानत होतो।” 17 अऊर ओन डर को मारे कह्यो, “या जागा कितनी भयानक हय! यो त परमेश्वर को भवन को अलावा अऊर कुछ नहीं होय सकय; नहीं त यो स्वर्ग म खुलन वालो फाटकच होना।”
18 सुबेरे याकूब उठ्यो, अऊर ओन अपनो मुंड को खल्लो रख्यो हुयो गोटा ख उठायो, अऊर ओख खम्बा को जसो खड़ो करयो, अऊर ओको बाद ओकी मुंड पर तेल डाल दियो। 19 अऊर ओन ऊ जागा को नाम बेतेल रख्यो; पर ऊ नगर को नाम पहिले लूज होतो। 20 तब याकूब न परमेश्वर सी एक कसम मांगी, “यदि तय मोरो संग रह्य क यो यात्रा म मोरी रक्षा करजो, अऊर मोख खान लायी रोटी, अऊर पहिन न लायी कपड़ा दे, 21 कि मय अपनो बाप को घर म अच्छी तरह सी लौट आऊं; त तय यहोवा च मोरो परमेश्वर होयजो। 22 खम्भा अऊर यो गोटा जेको मय न खम्बा खड़ो करयो हय, यो परमेश्वर को भवन बनेंन, अऊर जो कुछ तय मोख देजो ओकोच दसवा हिस्सा मय जरूरच तोख दियो करूं।”
* 28:2 मेशोपोटामियां 28:4 उत्पत्ति 17:4-8 28:12 यूहन्ना 1:51 28:13 उत्पत्ति 13:14,15 28:14 उत्पत्ति 12:3; 22:18 28:15 यशायाह 31:9 28:19 परमेश्वर को भवन