एस्तेर की किताब
एस्तेर की किताब
परिचय
एस्तेर की किताब बतावय हय कि कसो फारस म बन्दी बनायो गयो इस्राएलियों ख एक असो दुश्मन सी बचायो गयो जो उन्ख नाश करन की योजना बनाय रह्यो होतो। हालाकि एस्तेर म ईश्वर नाम को उल्लेख नही करयो गयो, लेकिन यो साफ हय कि ईश्वर न उन्ख उन सभी ख मारन को यो प्रयास सी बचायो। कोयी नहीं जानय कि एस्तेर की किताब कौन लिखी हय। इस्तेमाल करी गयी हिब्रू भाषा को प्रकार को आधार पर, कयी विद्धान सुझाव देवय हंय कि एस्तेर कि किताब लगभग ४०० ईसा पूर्व लिखी गयी होती।
एस्तेर कि किताब म वर्नित घटनाये दिखावय हंय कि यहूदी पुरीम को पर्व ख कसो मानय हंय। हामान नाम को एक अमालेकी न यहूदी लोगों ख नाश करन की योजना बनायी। इस्राएली अऊर अमालेकी तब सी दुश्मन होतो जब सी इस्राएली रेगिस्तान सी होय क ऊ देश म पहुंच्यो होतो जेको वादा परमेश्वर न उन्को सी करयो होतो। निर्गमन १७:८-१६ लगभग उच समय जब हामान यहूदियों ख नाश करन की योजना बनाय रह्यो होतो, एस्तेर, जो एक यहूदी होती, फारस की रानी बन गयी। अपनो रिश्तेदार मोर्दकै की सलाह सी, एस्तेर हामान की योजना ख रोखनो म लायक होती। यहूदियों द्वारा अपनो दुश्मनों पर विजय हासिल करन को बाद एस्तेर ९:२०-२२, मोर्दकै न उन्ख या जीत को जशन मनान लायी कह्यो। यो तरह सी यहूदियों न पुरीम को पर्व मनानो शुरू करयो।
रूप रेखा
१. एस्तेर फारस की रानी कसी बनी। १–२
२. कसो हामान न यहूदियों ख नाश करन की योजना बनायी अऊर असो करन को वजह ओख मार दियो गयो। ३–७
३. यहूदियों न अपनो दुश्मनों ख कसो हरायो अऊर पुरीम को उत्सव कसो शुरू करयो। ८–१०
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वशती रानी राजा क्षयर्ष की बात नहीं मानय
क्षयर्ष नाम को राजा को दिनों म या बाते भयी : यो उच क्षयर्ष आय, जो एक सौ सत्ताईस देशों पर, मतलब भारत सी ले क *कूश देश तक राज्य करत होतो। उच दिनों म राजा क्षयर्ष को शासन काल की राजधानी शूशन गढ़ म होती उत राजगद्दी पर बैठ क राज्य करत होतो। उत ओन अपनो शासन करन को तीसरो साल म अपनो सब हाकिमों अऊर काम करन वालो ख भेज दियो। फारस अऊर मादै देशों को सेनापति अऊर क्षेत्र क्षेत्र को प्रधान अऊर हाकिम ओको जवर आय गयो। ऊ उन्ख बहुत दिन बल्की छय महीना तक अपनो राज सी वैभव को धन अऊर अपनी महानता की अनमोल चिज दिखातो रह्यो। इन दिनों को बीतन पर राजा न छोटो बड़ो उन पूरो ख भी जो शूशन नाम को राजगढ़ म जमा भयो होतो, राजभवन को बगीचा को आंगन म सात दिन तक जेवन दियो। उत को परदा सफेद अऊर नीलो धागा को होतो, अऊर सन अऊर बैंजनी रंग की डोरियों सी चांदी को छल्ला म, संगमर्मर को खम्भा सी लग्यो हुयो होतो; अऊर उत की चौकियां सोनो चांदी की होती; अऊर लाल अऊर सफेद अऊर पीलो अऊर कालो संगमर्मर की बनी हुयी फर्श पर धरी हुयी होती। ऊ जेवन म राजा को लायक अंगूररस अऊर अलग अलग रूप को सोनो को बर्तनों म डाल क राजा की उदारता सी बहुतायत को संग पिलायो जात होतो। पीनो त नियम को अनुसार होत होतो, जेख जसो लगत होतो वसोच करत होतो; कहालीकि राजा न अपनो भवन को सब भण्डारियों ख आज्ञा दी होती, कि जो अतिथि जसो चाहे ओको संग वसोच बर्ताव करजो। रानी वशती न भी राजा क्षयर्ष को भवन म स्त्रियों ख भोज दियो।
10 सातवों दिन, जब राजा को मन अंगूररस म चूर होतो, तब ओन महूमान, बिजता, हर्बोना, बिगता, अबगता, जेतेर अऊर कर्कस नाम को सातों किन्नर ख जो क्षयर्ष राजा को जवर सेवा करत होतो, आज्ञा दी, 11 कि रानी वशती ख राजमुकुट धारन करयो हुयो राजा को जवर ले आवों; जेको सी देश देश को लोगों अऊर शासक पर ओकी सुन्दरता प्रगट हो जाये; कहालीकि वा देखनो म सुन्दर होती। 12 किन्नरों को द्वारा राजा की या आज्ञा पा क रानी वशती न आनो सी मना करयो। या बात पर राजा बड़ो गुस्सा सी जलन लग्यो।
13 तब राजा न समय समय को भेद जानन वालो पण्डितों सी पूछ्यो राजा त नीति अऊर न्याय को सब ज्ञानियों सी असोच करत होतो। 14 ओको जवर कर्शन, शेतार, अदमाता, तर्शीश, मेरेस, मर्सना, अऊर ममूकान नाम को फारस अऊर मादै देश को सात प्रधान होतो, जो राजा को दर्शन करत होतो, अऊर राज्य म मुख्य मुख्य पदों पर नियुक्त करयो गयो होतो 15 राजा न पूछ्यो, “रानी वशती न राजा क्षयर्ष की, किन्नरों द्वारा दिलायी हुयी आज्ञा को उल्लंघन करयो, त नीति को अनुसार ओको संग का करयो जाये?” 16 तब ममूकान राजा न अऊर शासक की उपस्थिति म उत्तर दियो, “रानी वशती न जो अनुचित काम करयो हय, ऊ न केवल राजा सी पर सब शासक सी अऊर उन सब देशों को लोगों सी भी जो राजा क्षयर्ष को सब क्षेत्रों म रह्य हंय। 17 कहालीकि रानी को यो काम की चर्चा सब स्त्रियों म होयेंन अऊर जब यो कह्यो जायेंन, ‘राजा क्षयर्ष न रानी वशती ख अपनो आगु लान की आज्ञा दी पर वा नहीं आयी,’ तब हि भी अपनो अपनो पति ख बेकार जानन लगेंन। 18 अज को दिन फारसी अऊर मादी देश को हाकिमों की स्त्रियां जिन्न रानी की या बात सुनी हय, हि भी राजा को सब शासक सी असीच कहन लगेंन; यो तरह बहुत जलन अऊर गुस्सा पैदा होयेंन। 19 यदि राजा ख स्वीकार हो, त या आज्ञा निकाले, अऊर फारसियों अऊर मादियों को कानून म लिखी भी जाये, जेको सी कभी बदल नहीं सके, कि रानी वशती राजा क्षयर्ष को जवर फिर कभी आनो न पाये, अऊर राजा पटरानी को पद कोयी दूसरो ख दे दे जो ओको सी अच्छी हो। 20 तब जब राजा की या आज्ञा ओको पूरो राज्य म सुनायी जायेंन, तब सब पत्नियां अपनो अपनो पति को, आदर सम्मान करती रहेंन, चाहे ऊ गरीब हो या अमीर हो।” 21 या बात राजा अऊर शासक ख पसंद आयी अऊर राजा न ममूकान की सलाह मान ली अऊर अपनो राज्य म, 22 मतलब हर एक क्षेत्र को अक्षरों म अऊर हर एक जाति की भाषा म चिट्ठियां भेजी, कि सब आदमी अपनो अपनो घर म अधिकार चलाये, अऊर अपनी जाति की भाषा बोल्यो करे।
1:1 एज्रा ४:६ * 1:1 इथियोपिया देश