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परमेश्वर को बारे म यहेजकेल को दूसरो दर्शन
(८:१; १०:२२)
यरूशलेम म मूर्तिपूजा
1 फिर छटवों साल को छटवों महिना को पाचवों दिन जब मय अपनो घर म बैठ्यो होतो, अऊर यहूदियों को मुखिया मोरो सामने बैठ्यो होतो, उच समय प्रभु परमेश्वर की सामर्थ मोरो पर प्रगट भयी।
2 तब मय न देख्यो कि आगी जसो एक रूप दिखायी देवय हय; ओकी कमर को खल्लो को तरफ आगी हय, अऊर ओकी कमर को ऊपर को तरफ चमकायो हुयो पीतल की चमक को जसो कुछ हय।
3 ओन अपनो हाथ बढ़ायो अऊर मोरो बाल पकड़ लियो। फिर यो दर्शन म परमेश्वर की आत्मा न मोख हवा म ऊपर उठायो अऊर यरूशलेम ले गयो। ऊ मोख मन्दिर को अन्दर आंगन को जवर फाटक को जवर जेको मुंह उत्तर दिशा को तरफ हय पहुंचाय दियो; जहां एक मूर्ती होती जो परमेश्वर को लायी अपमानजनक होती।
4 फिर वहां इस्राएल को परमेश्वर को तेज वसोच होतो जसो मय न कबार नदी को किनार पर देख्यो होतो।
5 ओन मोरो सी कह्यो, “हे आदमी की सन्तान, अपनी आखी उत्तर दिशा को तरफ उठाय क देख।” मय न अपनी आखी उत्तर को तरफ उठाय क देख्यो की वेदी को फाटक को उत्तर दिशा को तरफ ओको फाटक को जवर मय न वा जलन उपजावन वाली मूर्ती देखी जेकोसी परमेश्वर को अपमान हय।
6 तब परमेश्वर न मोरो सी कह्यो, “हे आदमी की सन्तान, का तय देखय हय कि हि लोग का कर रह्यो हय? इस्राएल को घराना यहां कितनो घृणित काम कर रह्यो हय, ताकि मय अपनो पवित्र जागा सी दूर होय जाऊ; पर तय इन सी भी जादा घृणित काम देखजो।”
7 तब ऊ मोख आंगन की फाटक पर ले गयो, अऊर मय न देख्यो, कि दीवाल म एक छेद हय।
8 तब ओन मोरो सी कह्यो, “हे आदमी कि सन्तान, दीवाल ख फोड़।” येकोलायी मय न दीवाल ख फोड़ क का देख्यो कि एक दरवाजा हय।
9 ओन मोरो सी कह्यो, “अन्दर जाय क देख कि हि लोग यहां कसो कसो अऊर घृणित काम कर रह्यो हय।”
10 मय न अन्दर जाय क देख्यो कि चारयी तरफ की दीवाल पर अलग अलग तरह को रेंगन वालो जन्तुवों अऊर घृणित पशुवों अऊर इस्राएल को द्वारा पूज्यो जान वालो देवी-देवतावों को चित्र बनायो हुयो हय।
11 इस्राएल को घराना को मुखियावों म सी सत्तर आदमी जिन को बीच म शापान को टुरा याजन्याह भी हय, हि उन चित्र को सामने खड़ो हय, अऊर हर एक आदमी अपनो हाथ म धूपदान लियो हुयो हय, अऊर धूप को धूंगा ऊपर उठ रह्यो हय।
12 तब ओन मोरो सी कह्यो, “हे आदमी कि सन्तान, का तय न देख्यो हय कि इस्राएल को घराना को मुखिया अपनी अपनी नक्काशी वालो कमरा को अन्दर मतलब अन्धारो म का कर रह्यो हय? हि कह्य हय कि परमेश्वर हम्ख नहीं देखय; परमेश्वर न देश ख त्याग दियो हय।”
13 फिर ओन मोरो सी कह्यो, “तय इन सी अऊर भी जादा घृणित काम देखजो जो हि करय हय।”
14 तब ऊ मोख परमेश्वर को भवन को ऊ फाटक को जवर ले गयो जो उत्तर दिशा को तरफ होतो अऊर वहां बाईयां बैठी हुयी तम्मूज देवता को लायी रोय रह्यी हय।
15 तब ओन मोरो सी कह्यो, “हे आदमी कि सन्तान, का तय न यो देख्यो हय? फिर इन सी भी बड़ो घृणित काम तय देखजो।”
16 तब ऊ मोख परमेश्वर को भवन को अन्दर आंगन म ले गयो; अऊर वहां परमेश्वर को भवन को फाटक को जवर मन्डप अऊर वेदी को बीच पच्चीस आदमी अपनी पीठ परमेश्वर को भवन को तरफ अऊर अपनो मूख पूर्व दिशा को तरफ करयो हुयो होतो; अऊर हि पूर्व दिशा को तरफ सूर्य ख प्रणाम कर रह्यो होतो।
17 तब ओन मोरो सी कह्यो, “हे आदमी कि सन्तान, का तय न यो देख्यो? का यहूदा को घराना को लायी घृणित कामों को करनो जो हि यहां करय हय छोटी बात हय? उन्न अपनो देश ख उपद्रव सी भर दियो, अऊर फिर यहां आय क मोख गुस्सा दिलावय हय। हि मानो मुंह बनाय क मोरी निन्दा करय हय।
18 येकोलायी मय भी जलजलाहट को संग काम करूं, नहीं मय दया करूं अऊर नहीं मय तरस को व्यवहार करूं, अऊर चाहे हि मोरो कानों म ऊंचो आवाज सी पुकारे, तब भी मय उन्की बात नहीं सुनूं।”