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परमेश्वर की सामर्थ यरूशलेम को मन्दिर सी निकल जानो
येको बाद मय न देख्यो कि करूबों को मुंड को ऊपर जो आकाश मण्डल हय, अऊर यो आकाश मण्डल म सिंहासन जसो कुछ हय, जो नीलमनि को जसो चमक रह्यो हय। तब परमेश्वर न ऊ सन को कपड़ा पहिन्यो हुयो आदमी सी कह्यो, “घूमन वालो चक्का को बीच करूबों को खल्लो जा अऊर अपनी दोयी मुट्ठियों म पंख धारी प्रानी को बीच म सी आगी उठाव अऊर यरूशलेम नगर पर बगराय दे।”
ऊ मोरो देखतो हुयो उन्को बीच म गयो। जब ऊ आदमी अन्दर गयो, तब हि करूब, भवन को दक्षिन दिशा को तरफ खड़ो होतो; अऊर बादर अन्दर को आंगन म समाय गयो। तब परमेश्वर को तेज करूबों को ऊपर सी उठ क भवन की डेहरी पर आय गयो; अऊर बादर भवन म भर गयो; अऊर ऊ डेहरी परमेश्वर को तेज को महिमा सी भर गयो। करूबों को पंखा को आवाज बाहेर को आंगन तक सुनायी देत होतो, ऊ सर्वशक्तिमान परमेश्वर को बोलन को जसो शब्द होतो।
जब ओन सन को कपड़ा पहिन्यो हुयो आदमी ख घूमन वालो चक्का को अन्दर करूबों को बीच म सी आगी लेन की आज्ञा दी, तब ऊ उन्को बीच म जाय क एक चक्का को जवर खड़ो भयो। तब करूबों को बीच म सी एक करूब न अपनो हाथ बढ़ा क, वा आगी म सी जो करूबों को बीच म होती, कुछ उठाय क सन को कपड़ा पहिन्यो हुयो आदमी की मुट्ठी म दे दियो; अऊर ऊ ओख ले क बाहेर चली गयो।
करूबों को पंखा को खल्लो त आदमी को हाथ को जसो कुछ दिखायी देत होतो। तब मय न देख्यो, कि करूबों को जवर चार चक्का हय; मतलब एक एक करूब को जवर एक एक चक्का हय, अऊर चक्का को रूप किमती चमकीलो गोटा को जसो हय। 10 उन्को असो रूप हय, कि चारयी एक जसो दिखायी दे रह्यो हंय, जसो एक चक्का को बीच दूसरो चक्का हय। 11 जब हि चलत होतो तब चारयी दिशावों म हि बिना मुड़्यो चलत होतो; पर सामने को चक्का जो दिशा म चलत होतो, बाकी चक्का ओको पीछु पीछु चलत होतो, अऊर चलतो समय हि मुड़त नहीं होतो। 12 मय न देख्यो की करूबों को पूरो शरीर पीठ, हाथ अऊर पंखा म अऊर जो चक्का उन्को हय, उन म भी सब को सब चारयी तरफ आंखीच आंखी हय, 13 मोरो सुनतो हुयो इन चक्का ख चक्कर कह्यो गयो, मतलब घुमन वालो चक्का।
14 एक एक को चार चार मुंह होतो : एक मुंह त करूब को जसो, दूसरो मुंह आदमी को जसो, तीसरो मुंह सिंह को जसो, अऊर चौथो मुंह उकाब पक्षी को जसो होतो। 15 करूब जमीन पर सी ऊपर उठ गयो। हि योच जीवधारी हय जो मय न कबार नदी को जवर देख्यो होतो। 16 जब करूब चलत होतो तब तब हि चक्का उन्को जवर जवर चलत होतो; अऊर जब जब करूब धरती पर सी ऊपर उड़न लायी पंख फैलावत होतो तब तब चक्का उन्को जवर सी मुड़त नहीं होतो। 17 जब हि खड़ो होत होतो; तब चक्का भी खड़ो होय जात होतो; अऊर जब हि ऊपर उठय हय तब हि भी उन्को संग उठत होतो; कहालीकि इन जीवधारियों की आत्मा उन्म भी होती।
18 परमेश्वर की सामर्थ भवन को दरवाजा सी बाहेर निकल्यो अऊर करूबों को ऊपर ठहर गयो। 19 तब करूब अपनो पंख फैलाय क मोरो देखतो देखतो धरती पर सी उठ क निकल गयो; अऊर चक्का भी उन्को संग संग गयो, अऊर हि सब परमेश्वर को भवन को पूर्व दिशा को फाटक म खड़ो भय गयो; अऊर इस्राएल को परमेश्वर को तेज उन्को ऊपर रुक्यो रह्यो। 20 हि योच जीवधारी आय जो मय न कबार नदी को जवर इस्राएल को परमेश्वर को आसन को खल्लो देख्यो होतो, अऊर मय न जान लियो कि हि करूब आय।
21 हर एक को चार मुंह अऊर चार पंखा को खल्लो आदमी को जसो हाथ भी होतो। 22 उन्को मुंह को रूप उच हय जो मय न कबार नदी को किनार पर देख्यो होतो। उन्को मुंहच नहीं बल्की शरीर भी वसोच होतो। हि सीधो सामने को तरफ चलत होतो।
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