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जीवन को बारे म बिचार
अच्छो नाम की सुगन्ध अनमोल अत्तर सी अच्छो हय अऊर मृत्यु को दिन जनम को दिन सी अच्छो हय। भोज को त्यौहार म शामिल होन की अपेक्षा, शोक सी पीड़ित परिवार म जानो अच्छो हय; कहालीकि मरनोच सब आदमियों को अन्त हय। अऊर जो जीन्दो हय ऊ मन लगाय क येको पर सोचेंन। हसी सी दु:ख उत्तम हय, कहालीकि मुंह पर को शोक सी मन सुधरह्य हय। बुद्धिमानों को मन शोक करन वालों को घर को तरफ लग्यो रह्य हय पर मूर्खों को मन आनन्द करन वालों को घर लग्यो रह्य हय। मूर्खों को गीत सुनन सी बुद्धिमान की फटकार सुननो उत्तम हय। कहालीकि मूर्खों की हसी वसीच होवय हय जसी हांडी को खल्लो जरती लकड़ी की चरचराहट जसी; यो भी बेकार हय। निश्चय अत्याचार की कमायी सी बुद्धिमान मूर्ख बन जावय हय; अऊर रीश्वत सी बुद्धि नाश होय जावय हय। कोयी काम की सुरूवात सी ओको अन्त उत्तम हय; अहंकारी आदमी की अपेक्षा धीरज रखन वालो आदमी उत्तम हय। अपनो मन म उतावली सी गुस्सा मत हो, कहालीकि गुस्सा मूर्खों कोच दिल म रह्य हय। 10 यो मत कह्यजो, “कि अज सी बीत्यो हुयो कल उत्तम होतो?” कहालीकि यो बारे म तुम्हरो असो कह्यनो, बुद्धि द्वारा नहाय। 11 बुद्धि धन सम्पत्ति समान उत्तम हय, जीन्दो लोगों लायी बुद्धि लाभदायक हय। 12 कहालीकि बुद्धि को आड़ धन को आड़ को जसो हय; पर ज्ञान सी यो लाभ हय कि ऊ अपनो रखन वालो को जीवन सुरक्षित रखय हय। 13 परमेश्वर को काम पर नजर कर; जो चिज ख ओन टेढ़ो बनायो हय ओख कौन सीधो कर सकय हय? 14 सुख को दिनों म आनन्द मनावो, अऊर दु:ख को दिनों म बिचार करो; कहालीकि परमेश्वर न सुख अऊर दु:ख दोयी ख बनायो हय, ताकि आदमी यो बात को भेद नहीं पा सके कि ओको बाद का होन वालो हय। 15 मय न अपनो बेकार जीवन म यो सब कुछ देख्यो हय; कोयी न्यायी अपनो न्याय को काम करतो हुयो नाश होय जावय हय, अऊर दुष्ट बुरायी करतो हुयो लम्बी उमर हासिल करय हय। 16 अपनो ख बहुत न्यायी मत बना, अऊर न अपनो ख ज्यादा बुद्धिमान बना; तय कहाली अपनोच नाश को वजह होजो? 17 अत्यन्त दुष्ट भी मत बन, अऊर न मूर्ख बन; तय कहाली अपनो समय सी पहिले मरजो? 18 यो अच्छो हय कि तय या बात ख पकड़्यो रह्य; अऊर न वा बात पर सी भी हाथ न उठाजो; कहालीकि जो परमेश्वर को भय मानय हय ऊ इन सब कठिनायियों सी पार होय जायेंन। 19 बुद्धि सीच बुद्धिमान व्यक्ति ख नगर को दस शासकों सी ज्यादा ताकत हासिल होवय हय। 20 निश्चयच धरती पर कोयी असो धार्मिक व्यक्ति नहाय जो सदा भलायीच करय हय, अऊर कभी पाप नहीं करय। 21 जो बाते आदमी कह्य हय, उन सब बातों पर कान मत लगावो, असो नहीं हो कि तुम सुनो कि तुम्हरो दास तुम्हरी निन्दा करत होतो। 22 तुम्हरो दिल जानय हय कि खुद तुम न भी बहुत बार दूसरो लोगों की निन्दा करी हंय। 23 यो सब मय न बुद्धि सी परख्यो हय; मय न कह्यो, “मय बुद्धिमान होय जाऊं,” लेकिन बुद्धि मोरो सी दूरच रही। 24 ऊ जो दूर अऊर बहुत ज्यादा गहरो हय, ओको भेद कौन पा सकय हय? 25 मय न अपनो मन लगायो कि बुद्धि को बारे म जान लेऊ; कि खोज निकालूं अऊर ओको भेद जानु, कि मूर्खता अधर्म हय, अऊर मूर्खता पागलपन हय ख जानु। 26 मय न मृत्यु सी भी ज्यादा दु:खदायी एक चिज पायी, मतलब वा स्त्री जेको मन फन्दा अऊर जाल हय अऊर जेको हाथ हथकड़ियां हय जो आदमी सी परमेश्वर प्रसन्न हय उच ओको सी बचेंन, पर पापी ओको शिकार होयेंन। 27 देख, उपदेशक कह्य हय, मय न ज्ञान लायी अलग अलग बाते मिलाय क जाची, अऊर या बात निकाली, 28 जेख मोरो मन अब तक ढूंढ़ रह्यो हय, पर नहीं पायो। हजार आदमी म सी मय न एक आदमी ख पायो, पर उन्म मोख एक भी स्त्री नहीं मिली। 29 देखो, मय न केवल या बात पायी हय कि परमेश्वर न आदमी ख सीधो बनायो, पर उन्न बहुत सी योजना निकाली हंय।
7:1 नीतिवचन २२:१ 7:9 याकूब १:१९