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1 तब मय न ऊ सब अत्याचार देख्यो जो जगत म होवय हय। अऊर का देख्यो, कि अत्याचार सहन वालो को आंसू बह्य रह्यो हंय, अऊर उन्ख कोयी शान्ति देन वालो नहीं! अत्याचार करन वालो को हाथ म शक्ति होती, पर उन्ख कोयी शान्ति देन वालो नहीं होतो।
2 अऊर मय न घोषना करी हय, कि जो पहिले मर चुक्यो हय, हि उन जीवतों सी ज्यादा खुश हय।
3 पर मरयो हुयो अऊर जीन्दो आदमियों सी महान हय ऊ आदमी जेको जनम नहीं भयो हय, जेन धरती पर करयो जान वालो दुष्कर्मों ख नहीं देख्यो हय।
4 तब मय न सब मेहनत को काम अऊर सब सफल कामों ख देख्यो जो लोग अपनो पड़ोसी सी जलन को वजह करय हंय। यो भी बेकार हय या मानो हवा ख पकड़नो जसो हय।
5 मूर्ख हाथ पर हाथ रख क बैठ्यो रह्य हय, अऊर मानो अपनो आप ख बर्बाद करय हय।
6 मुट्ठी भर मन को चैन, दोय मुट्ठी मेहनत सी बड़ो हय, जो मानो हवा ख पकड़नो हय।
7 तब मय न धरती पर या भी बेकार बात देखी।
8 कोयी अकेलो रह्य हय अऊर ओको कोयी नहाय; न ओको टुरा हय, न भाऊ हय तब भी ओको परिश्रम को अन्त नहीं होवय; न ओकी आंखी धन सी सन्तुष्ट होवय हंय; अऊर न ऊ कह्य हय, मय कोन्को लायी मेहनत करतो अऊर अपनो जीवन ख सुख शान्ति सी दूर रखू हय? यो भी बेकार अऊर दु:ख भरयो काम हय।
9 एक सी दोय अच्छो हंय, कहालीकि उन्को मेहनत को अच्छो फर मिलय हय।
10 यदि उन्को म सी एक गिरेंन, त दूसरो ओख उठायेंन; पर हाय ओको पर जो अकेलो होय क गिरेंन अऊर ओको कोयी उठान वालो नहाय।
11 यदि दोय जन एक संग सोयेंन त हि गरम रहेंन, पर कोयी अकेलो कसो गरम होय सकय हय?
12 यदि कोयी अकेलो पर भारी होवय हय त हय, पर दोय ओको सामना कर सकेंन। जो दोरी तीन धागा सी बटी हो वा जल्दी नहीं टूटय।
13 बुद्धिमान जवान गरीब होन पर भी असो बूढ्ढा अऊर मूर्ख राजा सी ज्यादा अच्छो हय जो सलाह नहीं मानय,
14 होय सकय हय कि ऊ ओको राज्य म गरीब पैदा भयो हो या होय सकय हय कि ऊ जैलखाना सी निकल क राजा भयो होना।
15 मय न धरती पर घुमतो हुयो पूरो जीन्दो लोगों ख ऊ दूसरो जवान को तरफ जातो हुयो देख्यो, जो पहिले वालों की जागा लेयेंन।
16 हि सब लोग अनगिनत होतो जिन्को पर ऊ प्रधान भयो होतो। तब भी भविष्य म होन वालो लोग ओको वजह खुश नहीं होयेंन। नि:सन्देह यो भी बेकार हय, अऊर मानो हवा ख पकड़नो हय।