स्तोत्र 26
दावीद की रचना.
याहवेह, मुझे निर्दोष प्रमाणित कीजिए,
क्योंकि मैं सीधा हूं;
याहवेह पर से मेरा भरोसा
कभी नहीं डगमगाया.
याहवेह, मुझे परख लीजिए, मेरा परीक्षण कर लीजिए,
मेरे हृदय और मेरे मन को परख लीजिए;
आपके करुणा-प्रेम* का बोध मुझमें सदैव बना रहता है,
आपकी सत्यता मेरे मार्ग का आश्वासन है.
 
मैं न तो निकम्मी चाल चलने वालों की संगत करता हूं,
और न मैं कपटियों से सहमत होता हूं.
कुकर्मियों की समस्त सभाएं मेरे लिए घृणित हैं
और मैं दुष्टों की संगत में नहीं बैठता.
मैं अपने हाथ धोकर निर्दोषता प्रमाणित करूंगा
और याहवेह, मैं आपकी वेदी की परिक्रमा करूंगा,
कि मैं उच्च स्वर में आपके प्रति आभार व्यक्त कर सकूं
और आपके आश्चर्य कार्यों को बता सकूं.
 
याहवेह, मुझे आपके आवास, पवित्र मंदिर से प्रेम है,
यही वह स्थान है, जहां आपकी महिमा का निवास है.
पापियों की नियति में मुझे सम्मिलित न कीजिए,
हिंसक पुरुषों के साथ मुझे दंड न दीजिए.
10 उनके हाथों में दुष्ट युक्ति है,
जिनके दायें हाथ घूस से भरे हुए हैं.
11 किंतु मैं अपने आचरण में सदैव खरा रहूंगा;
मुझ पर कृपा कर मुझे मुक्त कर दीजिए.
 
12 मेरे पैर चौरस भूमि पर स्थिर हैं;
श्रद्धालुओं की महासभा में मैं याहवेह की वंदना करूंगा.
* स्तोत्र 26:3 करुणा-प्रेम ख़ेसेद इस हिब्री शब्द का अर्थ में “अनुग्रह, दया, प्रेम, करुणा” ये सब शामिल हैं