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यरूशलेम की पुत्रियों का उससे कथन 
 
1 स्त्रियों में सुन्दरतम स्त्री,  
बता तेरा प्रियतम कहाँ चला गया  
किस राह से तेरा प्रियतम चला गया है  
हमें बता ताकि हम तेरे साथ उसको ढूँढ सके।   
यरूशलेम की पुत्रियों को उसका उत्तर 
 
2 मेरा प्रिय अपने उपवन में चला गया,  
सुगंधित क्यारियों में,  
उपवन में अपनी भेड़ चराने को  
और कुमुदिनियाँ एकत्र करने को।   
3 मैं हूँ अपने प्रियतम की  
और वह मेरा प्रियतम है।  
वह कुमुदिनियों के बीच चराया करता है।   
पुरुष का वचन स्त्री के प्रति 
 
4 मेरी प्रिय, तू तिर्सा सी सुन्दर है,  
तू यरूशलेम सी मनोहर है, तू इतनी अद्भुत है  
जैसे कोई दिवारों से घिरा नगर हो।   
5 मेरे ऊपर से तू आँखें हटा ले!  
तेरे नयन मुझको उत्तेजित करते हैं!  
तेरे केश लम्बे हैं और वे ऐसे लहराते है  
जैसे गिलाद की पहाड़ी से बकरियों का झुण्ड उछलता हुआ उतरता आता हो।   
6 तेरे दाँत ऐसे सफेद है  
जैसे मेढ़े जो अभी—अभी नहा कर निकली हों।  
वे सभी जुड़वा बच्चों को जन्म दिया करती हैं  
और उनमें से किसी का भी बच्चा नहीं मरा है।   
7 घूँघट के नीचे तेरी कनपटियाँ  
ऐसी हैं जैसे अनार की दो फाँके हों।   
   
 
8 वहाँ साठ रानियाँ,  
अस्सी सेविकायें  
और नयी असंख्य कुमारियाँ हैं।   
9 किन्तु मेरी कबूतरी, मेरी निर्मल,  
उनमें एक मात्र है।  
जिस मां ने उसे जन्म दिया  
वह उस माँ की प्रिय है।  
कुमारियों ने उसे देखा और उसे सराहा।  
हाँ, रानियों और सेविकाओं ने भी उसको देखकर उसकी प्रशंसा की थी।   
स्त्रियों द्वारा उसकी प्रशंसा 
 
10 वह कुमारियाँ कौन है  
वह भोर सी चमकती है।  
वह चाँद सी सुन्दर है,  
वह इतनी भव्य है जितना सूर्य,  
वह ऐसी अद्भुत है जैसे आकाश में सेना।   
स्त्री का वचन 
 
11 मैं गिरीदार पेड़ों के बगीचे में घाटी की बहार को  
देखने को उतर गयी,  
यह देखने कि अंगूर की बेले कितनी बड़ी हैं  
और अनार की कलियाँ खिली हैं कि नहीं।   
12 इससे पहले कि मैं यह जान पाती, मेरे मन ने मुझको राजा के व्यक्तियों के रथ में पहुँचा दिया।   
यरूशलेम की पुत्रियों को उसको बुलावा 
 
13 वापस आ, वापस आ, ओ शुलेम्मिन!  
वापस आ, वापस आ, ताकि हम तुझे देख सके।  
   
 
क्यों ऐसे शुलेम्मिन को घूरती हो  
जैसे वह महनैम के नृत्य की नर्तकी हो