52
परमेश्‍वरजी ताँनए फिर खोंयोंइ आनुबै म्हाँया लम्
क्वे प्रिंब्मैंए चिबए ल्हागिर। एदोम ह्‍युलर्बै दोएग शाऊल ङाँर खसि चने “दाऊद अहिमेलेकए धिंर ह्‍याइमुँ,” बिमा दाऊदइ चु मस्किल *प्ह्रिइ।
ओ भोंबै म्हि, आछ्याँबै केमैं लसि क्हि तले थेब् प्हैंल?
क्हि तले त्हिंतिमिन् प्हैंरिम्?
छाबै म्हि परमेश्‍वरजी तिफुँइ आखो!
क्हि फिब्लो पार्दिसि के लमुँ,
छ्यारबै छुरिइ धोंले क्हिए लेइ नास लवाबै चाँजो लम्।
छ्याँबै के भन्दा आछ्याँबै के क्हिइ खोम्,
धै क्ह्रोंसेंन्बै ताँ भन्दा स्योलिबै ताँमैं क्हि पोंम्।
तिस्याँदे मैंन्
ओ फिब्लो पार्दिबै म्हि,
म्हिमैंए न्होह्रों लबै ताँमैंर क्हि सैं तोंम्।
 
छतसि परमेश्‍वरजी क्हिलाइ योगोर्लेन् नास लवाब्मुँ;
क्हिए तम्बुउँइँलेन् खीजी क्हि चैंबोब्मुँ,
सोगोंमैंए ह्‍युलउँइँले खीजी क्हि स्युसि भ्योंवाब्मुँ।
तिस्याँदे मैंन्
छलब् म्रोंसि ठिक के लब्मैं या ङ्हिंब्मुँ;
धै निस्योसि चलाइ छ बिब्मुँ,
“ङ्ह्‍योत्ति! परमेश्‍वरए फिर भर आलबै म्हि!
चुइ ह्रोंसने मुँबै ल्हें सै न्होरए फिर भर लइ,
धै अरूमैं नास लवासि भोंब तइ।”
 
दिलेया ङ बिस्याँ परमेश्‍वरए धिंर मुँबै
पिंक्यो भ्योंबै जैतुनए धुँ धोंन् तइमुँ,
तलेबिस्याँ परमेश्‍वरए खोंयोंइ आनुबै म्हाँयार
ङइ भर थेंइमुँ।
क्हिजी लमिंबै छ्याँबै केमैंए ल्हागिर
ङ खोंयोंन् बिलै क्हिए मिंन् थेब् लब्मुँ।
क्हिए मिं छ्याँब मुँ, छतसि ङइ क्हिए फिर्न भर लब्मुँ,
क्हिजी बिब् ङिंब्मैंने बालुन् ङै या क्हिए मिं क्वेब्मुँ।
* 52: मस्किलए मतलब पक्‍का था आरे, दिलेया ज्ञान बुद्धि पिंबै क्वे मुँलै। 52: १ शमू २२:९-१०